मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के संरक्षण में चल रहे एमडी ड्रग्स फैक्ट्री का हुआ पर्दाफाश!



--विजया पाठक
संपादक - जगत विज़न
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■आखिर कौन है मध्यप्रदेश का पाबलो एस्कोबार?

■क्या मंदसौर, नीमच, रतलाम में बेरोकटोक ड्रग मूवमेंट पर सरकार का है संरक्षण?

■क्या मुख्य आरोपी की उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से करीबी के चलते देवड़ा से इस्तीफा लेगी भाजपा?

■क्या उज्जैन से मिल रहा है बड़े ड्रग माफियाओं को संरक्षण?

आज मध्यप्रदेश भारत में ड्रग्स मैन्यु फैक्चरिंग के मामले में कोलंबिया को टक्कर दे रहा है। नीमच, रतलाम, मंदसौर में अवैध नेचुरल ड्रग्स जैसे कोकीन, हीरोइन इत्यादि की अवैध फैक्ट्रियां सरकार में बैठे मंत्रियों के संरक्षण में चल रही थी, पर भोपाल स्थित एक फैक्ट्री से सिंथेटिक ड्रग्स का रैकेट का खुलासा होने के बाद मध्यप्रदेश का नाम इस गंदे कारोबार से भी जुड़ गया है। इस सिंथेटिक ड्रग्स माफिया का मास्टरमाइंड मंदसौर का रहने वाला हरीश आंजना है। मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के खास व्यक्ति हरीश आंजना की ढेरों तस्वीरें कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक की हैं। हरीश द्वारा उप मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में ढेरों पैसे खर्च किए गए, सूत्रों द्वारा इनके बेटे हर्ष के काफी करीबी संबंध हरीश आंजना से बताए गए हैं। जगदीश देवड़ा के पुत्र हर्ष के विवाह के सारे कार्यक्रमों में हरीश मौजूद था, इन सबसे स्पष्ट होता हैं कि हरीश आंजना के मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा एवं उनके परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। अब सवाल यह है कि किसकी शह पर ड्रग माफिया हरीश आंजना को बेरोकटोक मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, इंदौर और भोपाल में तस्करी करता था। ऐसा कतई नही सकता हो सकता कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं रही होगी क्योंकि हरीश आंजना पर पूर्व में भी ड्रग्स से संबंधित मामलों में कार्यवाही हो चुकी है। एक गंभीर सवाल सरकार से है, मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ही गृहमंत्री के पद पर आसीन है, इस स्टोरी के कवर करने दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि प्रदेश के ड्रग कारोबार को राजनीतिक संरक्षण उज्जैन से भी मिल रहा है। गंभीर विषय यह भी हैं कि प्रदेश बड़े शहर जैसे इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा के युवा आज ड्रग्स की चपेट में बड़ी तेजी से आ रहे हैं और इससे जुड़ी अरबों खरबों के पैसों के लालच में युवाओं के जीवन बर्बाद किया जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार आखिर इस गंदे कारोबार को संरक्षण क्यों दे रही है यह एक गंभीर प्रश्न है। कहीं पंजाब और हरियाणा के बाद मध्यप्रदेश के युवाओं को भी इसके माध्यम से बरबाद करने की साजिश तो नहीं? शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश को पिछले कुछ वर्षों से आखिर किसकी नजर लग गई है। ऐसा क्या कारण है कि मध्यप्रदेश की शांति को भंग करने वाले समूहों को प्रदेश सरकार और कानून से कोई बड़ी कार्यवाही होती नहीं दिखाई दे रही। इसे सरकार की लापरवाही कहे या फिर कानून का फैलियर की मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 1800 करोड़ रुपये से अधिक के एमडी ड्रग्स निर्माण की जानकारी सामने आई है। प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में नशे के सबसे बड़े कोराबार का खुलासा होने के बाद प्रदेश और प्रदेश की जनता पूरी तरह से स्तब्ध है। समझ ही नहीं आ रहा कि आखिर वह कौन लोग हैं जिनके संरक्षण में यह लोग इतना बड़ा रैकेट चला रहे थे और इसकी सूचना पुलिस को हुई तक नहीं। इसे गुजरात पुलिस की सक्रियता ही कहेंगे कि पुलिस के कर्मचारियों और अधिकारियों ने पूरी मुस्तैदी के साथ एक सर्च ऑपरेशन चलाकर इस पूरे मामले से पर्दा उठाया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में जो आरोपी अब तक सामने आया है उसे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का करीबी बताया गया है। ऐसे में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की विश्वसनीयता पर तो सवाल खड़े हो ही रहे हैं और इस पूरे मामले में उनकी संलिप्ता संदेहास्तमक है। ऐसे में मोहन सरकार को चाहिए कि वह इस पूरे मामले की विस्तार से जांच करें और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा पर कड़ी कार्यवाही करें।

• उपमुख्यमंत्री देवड़ा से आरोपी का क्या रिश्ता?

फैक्टरी को अमित चतुर्वेदी पिता पीसी चतुर्वेदी उम्र 58 साल निवासी द्वारकापुरी कॉलोनी कोटरा सुल्तानबाद पीएनटी के द्वारा लगभग 6 से 7 माह पहले किराए पर ली थी। यहां मुम्बई से मशीनरी लाकर स्थापित की थी। साथ ही सान्याल पिता प्रकाश नारायण निवासी नासिक महाराष्ट्र के साथ मिलकर वह केमिकल लेकर सिंथेटिक ड्रग एमडी बना रहा था। सान्याल एनडीपीएस एक्ट के मामले में मुम्बई के आर्थर रोड जेल में 5 वर्ष बन्द रहा है। फैक्टरी में कुल तीन मजदूर काम कर रहे थे। बताया जाता है कि ये अंदर ही रहते हैं। फैक्टरी के बाहर गेट पर हमेशा ताला लगा रहता था। अमित चतुर्वेदी और सान्याल प्रकाश बाहर चले जाते थे। इसके बाद फैक्टरी में मजदूर एमडी ड्रग बनाते थे। सूत्रों की मानें तो अफजलपुर थाना के माल्या गांव का हरीश आंजना सान्याल के संपर्क में था। वहीं माल सप्लाई का काम भी करता था। मंदसौर में एटीएस की आमद के बाद मंदसौर पुलिस भी हरकत में आई।

• कटघरे में मंदसौर पुलिस की भूमिका

जिले में मादक पदार्थ तस्करों पर अंकुश लगाने के नाम पर मंदसौर पुलिस की भूमिका कटघरे में है। पहले सीतामऊ थाना क्षेत्र में सेन्ट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम ने छापा मारकर 30 क्विंटल से अधिक डोडाचूरा जब्त किया। अब भोपाल में पकड़ाई एमडी ड्रग फैक्टरी के तार भी मंदसौर से जुड़े हैं। साथ ही तीन दिन पहले रतलाम जिले की ताल थाना पुलिस ने भी 3 किलो एमडी ड्रग जब्त की थी, उस मामले में भी मंदसौर से तार जुड़े होने की बात सामने आई थी। इसलिए मंदसौर पुलिस कटघरे में है।

• यह है पूरा मामला

भोपाल के बागरोदा में एंटी टेरर स्क्वाड और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने बड़ी रेड की। रेड में करीब 1800 करोड़ रुपये का ड्रग्स बरामद किया गया है। यह ड्रग्स कटारा हिल्स थाना क्षेत्र की एक फैक्ट्री से बरामद किया गया है। ड्रग्स के साथ दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। यह कार्रवाई इंडस्ट्रियल एरिया बागरोदा पठार में हुई है। दिल्ली एनसीबी ने गुजरात एटीएस और दिल्ली एटीएस के साथ मिलकर रेड की है। रेड में एमडी ड्रग्स बरामद किया है। बताया जा रहा है कि कटारा हिल्स स्थित प्लॉट नंबर 63 पर मौजूद निजी फैक्ट्री में मारा गया छापा। इस पूरी कार्रवाई में राजधानी पुलिस को रखा दूर रखा गया। बीते 24 घंटे से भोपाल में दिल्ली एटीएस, एनसीबी और गुजरात एटीएस की टीम मौजूद है इससे पहले मंदसौर में पुलिस ने जांच के दौरान एक क्विंटल से अधिक का डोडा चूरा बरामद किया गया है। मादक पदार्थों को लग्जरी गाड़ियों से ट्रांसपोर्ट किया जाता था। पुलिस ने गाड़ी भी बरामद की है। इस दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है।

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