--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।
प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों का संग्रह लौटाने की अपील कर कांग्रेस कुनबे को मुश्किल में डाल दिया है। हालांकि कांग्रेस ने फिलहाल इस बारे में आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के अनुरोध पर 2008 में इन पत्रों को सार्वजनिक पहुंच से हटा दिया गया था और तब से इन्हें निजी तौर पर संग्रहीत किया गया है। यह संग्रह मूल रूप से जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा 1971 में पीएमएमएल जिसे पहले नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) कहा जाता था को हस्तांतरित कर दिया गया था। जिसमें 51 बक्से हैं। जिनमें प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा 20वीं सदी की कुछ सबसे प्रमुख हस्तियों के साथ आदान-प्रदान किए गए व्यक्तिगत पत्र हैं। इनमें अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, पद्मजा नायडू, विजया लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली और बाबू जगजीवन राम को लिखे गए पत्र शामिल हैं। "हम समझते हैं कि ये दस्तावेज नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व रख सकते हैं। हालांकि पीएमएमएल का मानना है कि इन ऐतिहासिक सामग्रियों को अधिक व्यापक रूप से सुलभ बनाने से विद्वानों और शोधकर्ताओं को बहुत लाभ होगा।
पीएमएमएल ने अपने पत्र में कहा है कि संभावित समाधानों की खोज में आपके सहयोग के लिए हम आभारी होंगे। राहुल गांधी को यह पत्र सितंबर 2024 में सोनिया गांधी को पहले किए गए पत्राचार के बाद आया है। जिसमें उनसे दस्तावेजों को वापस करने या उनका डिजिटलीकरण करने का अनुरोध किया गया था। "सितंबर 2024 में मैंने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था जिसमें अनुरोध किया गया था कि लगभग आठ अलग-अलग खंडों से 51 कार्टून जो प्रधानमंत्री संग्रहालय (पूर्व में नेहरू स्मारक) में नेहरू संग्रह का हिस्सा थे उन्हें या तो संस्थान को वापस कर दिए जाएं या हमें उन्हें स्कैन करने की अनुमति दी जाए। या फिर उनकी स्कैन की गई प्रतियां प्रदान की जाएं। इससे हमें उनका अध्ययन करने और विभिन्न विद्वानों द्वारा शोध को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी।
इतिहासकार और लेखक रिजवान कादरी, ने कहा जो पीएमएमएल सोसाइटी के 29 सदस्यों में से एक हैं जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख हैं। पीएमएमएल की स्थापना मूल रूप से पीएम नेहरू के पूर्व निवास नई दिल्ली में तीन मूर्ति भवन में एनएमएमएल के रूप में की गई थी ताकि उनकी विरासत का सम्मान किया जा सके और आधुनिक भारतीय इतिहास के अध्ययन को बढ़ावा दिया जा सके।
एनएमएमएल के चार्टर में पीएम नेहरू के जीवन को समर्पित एक संग्रहालय बनाए रखने, उनके और अन्य नेताओं के व्यक्तिगत कागजात प्राप्त करने और उन्हें संरक्षित करने और अभिलेखागार व्याख्यान और प्रकाशनों तक पहुँच के माध्यम से शोध की अनुमति देने की रूपरेखा तैयार की गई थी।
पिछले साल अगस्त में सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों के योगदान को मान्यता देने के लिए एनएमएमएल का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय कर दिया गया।
फरवरी में पीएमएमएल की वार्षिक आम बैठक में प्रस्तुत आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार पीएम नेहरू के व्यक्तिगत पत्रों का एक संग्रह 1971 की शुरुआत में एनएमएमएल को हस्तांतरित किया गया था। कथित तौर पर ये कागजात जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड द्वारा पीएम नेहरू के कानूनी उत्तराधिकारी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से स्थायी उपहार के बजाय सुरक्षित रखने के लिए भेजे गए थे।
पीएमएमएल का दावा है कि इन कागजातों का स्वामित्व 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद सोनिया गांधी सहित पीएम नेहरू के उत्तराधिकारियों के पास रहा। 1988 के एक पत्र में कथित तौर पर कहा गया है कि इन कागजात तक पहुंच के लिए सोनिया गांधी की स्पष्ट अनुमति की आवश्यकता थी।