--के• विक्रम राव
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।
महाराष्ट्र के तमिलभाषी राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अब समझ में आया कि भाजपा के "अभिमन्यु" देवेंद्र फडनवीस बार-बार स्वयं को समुन्दर क्यों बताते हैं? "लहर की भांति मैं सत्ता के तट पर लौटूंगा", कहा था फडनवीस ने जब उनकी सरकार को उद्धव ठाकरे ने गिरा दिया था। आज यह पछ्पन-वर्षीय भगुवा स्वयंसेवक अठारहवाँ सीएम नामित हो गया है। ठाकरे-पुत्र उद्धव भी समझ गए कि इस मराठाओं के बीच इस मराठी विप्र देवेंद्र का विरोध उनके बूते में अब नहीं रहा।
कारण? युवा देवेंद्र सोलहवीं सदी के ब्रिटिश कवि जॉर्ज हर्बर्ट से सहमत हैं कि : "तट पर रहना हो, तो सागर की तारीफ करते रहो।" पिछली भेंट पर मैंने नोट किया था कि इस विप्रशिरोमणि, 15वें सीएम देवेंद्र के कई चमत्कारिक गुणों में एक है उनका लंबा नाम : देवेंद्र किरण गंगाधरराव फडनवीस। उनकी मां का नाम है किरण। नरनारी समता का इससे उम्दा उदाहरण क्या हो सकता है? उनकी लावण्यमती पत्नी गायिका, अभिनेत्री, बैंक अधिकारी हैं अमृता। मुख्यमंत्री से अधिक मासिक आय उनकी है। सवर्ण फडनवीस को चुनावी चुनौती में भी मराठा धमकदार नेता मनोज रावसाहेब पाटिल जारांगे ने कहा था : "विप्र का फिर मुख्यमंत्री बनना जन-द्रोह होगा।" मनोज जारांगे आरक्षण मामले पर अभी भी शुतुर्मुर्गी नजरिया अपना रहे हैं।
एक और अचंभा उजागर हुआ है महाराष्ट्र विधान सभा निर्वाचन से। भतीजे अजित पवार ने राज्य विधानसभा में 41 सीटें जीती महाबली चाचा शरदचंद्र गोविंदराव पवार से अधिक हासिल किए हैं। भले ही उनकी पत्नी सुनेत्रा को उन्हींकी चचेरी बहन और शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया ने हरा दिया था।
सबसे बेहतरीन राजनीतिक परिदृश्य मुंबई और महाराष्ट्र में बना जब ठाकरे वंश ध्वस्त हो गया। कार्टूनिस्ट बालासाहेब केशव ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे और पोता आदित्य का चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया।
राष्ट्र का सबसे अमीर और विकसित नगर मुंबई अब दलगत साजिशों से बचेगी। मतदाताओं का यही सपना है।