--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■शिवराज ने की भूपेंद्र सिंह के लिए अध्यक्ष पद की लॉबिंग
■क्या सिंधिया और पूर्व कांग्रेसियों के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं भूपेंद्र सिंह?
■क्या भ्रष्टाचार के आरोप और लोकायुक्त की जांच के आरोपी रह चुके भूपेंद्र सिंह पर भरोसा दिखाएगी भाजपा?
■क्या भाजपा फिर दिखाएगी "संगठन सर्वोपरि" रखने वाले वी.डी. शर्मा पर भरोसा?
मध्यप्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सियासत शुरू हो गई है। एक तरफ जहां भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए अलग-अलग स्तर पर चयन समिति का गठन कर कार्यवाही को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष उम्मीदवार के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। अलग-अलग दलों के नेता अलग-अलग नेताओं का नाम प्रदेश अध्यक्ष के सुझा रहे हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसे सौंपने जा रही है। या अध्यक्ष के रूप में देखा जाए तो भले ही वीडी शर्मा के शुरुआती कार्यकाल में कार्यशैली को लेकर खींचतान हुई हो लेकिन समय के साथ वीडी शर्मा ने पार्टी को संभाला और सभी नेताओं को एकजुट कर आगे बढ़े। यही कारण है कि आज भाजपा ने प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर सशक्त पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
• कई नामों पर हो रही चर्चा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रदेश के सक्रिय नेता अपने चहेतों का नाम आगे बढ़ाने से बिल्कुल भी नहीं चूक रहे। पार्टी कार्यकर्ताओं के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव भी अपने करीबी नेताओं का नाम लेकर दिल्ली तक पहुंचे। सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले उज्जैन आए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन और मालवा के नेताओं का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए आगे बढ़ाया। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूपेंद्र सिंह को बतौर प्रदेश अध्यक्ष नाम आगे बढ़ाया है। जबकि देखा जाए तो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर सहित गोपाल भार्गव का नाम प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सामने आ रहा है। अभी तक सामने आए सभी नामों पर बारीकि से नजर डाले तो देखने में आता है कि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को छोड़ सभी नेता प्रदेश अध्यक्ष की काबिलियत रखते हैं। लेकिन भूपेंद्र सिंह अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, सागर और खुरई में उनकी गुंडई ने प्रदेश भाजपा को पहले भी उनके चयन के लिए कठघरे में खड़ा कर दिया था। ऐसे में अब भाजपा दोबारा उनके नाम पर विचार करेगी यह तो संभव नहीं। वहीं कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के बारे में उन्होंने कहा था कि "पार्टी स्वीकार करे या ना करे मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूंगा", इसका सीधा सीधा अर्थ है कि सिंधिया और उनके करीबी भूपेंद्र सिंह के अध्यक्ष बन जाने के बाद स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यही नहीं अगर भाजपा की अपनी प्रतिकृति अनुसार कार्यशैली को आगे बढ़ाना है तो भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बाहर निकलना होगा।
• महाकाल लोक से लेकर मारपीट और अवैध वसूली के हैं आरोप
पूर्वमंत्री भूपेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी नेताओं में शामिल रहे हैं। यह बात सभी लोगों को पता है ऐसे में भूपेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के लिए शिवराज सिंह चौहान खुद भी काफी जोर लगा रहे हैं। और वे लगातार भूपेंद्र सिंह के नाम की चर्चा राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं से कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने स्वयं भूपेंद्र सिंह के नाम पर इनकार कर दिया है। उसकी सबसे बड़ा कारण भूपेंद्र सिंह के ऊपर महाकाल लोक और नगरीय निकाय में किए गए भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
• महाकाल लोक पर उठा था विवाद
मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आंधी के दौरान महाकाल लोक परिसर में क्षति को लेकर उठे विवाद पर सफाई देते हुए कहा था कि कांग्रेस को उन्हें ठोस सबूत देना चाहिए या सार्वजनिक माफी जारी करनी चाहिए। उन्होंने घटनाक्रम को लेकर कहा कि शिवराज सरकार ने 2017 में महाकाल लोक के निर्माण के लिए 100 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था, जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
• उपमुख्यमंत्री के सामने लगाए थे आरोप
शिवराज सरकार में गृह, परिवहन एवं नगरीय प्रशासन मंत्री रहे खुरई से विधायक भूपेंद्र सिंह ने पहली दफा जिला योजना समिति की बैठक में खुलकर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एसपी-आईजी की अनुमति के बगैर कुछ स्थानीय पुलिस अधिकारी कुछ लोगों के मोबाइल की सीडीआर निकाल रहे हैं। ऐसे मामले 05 महीने से सामने आ रहे हैं। स्थानीय पुलिस ने कुछ लोगों को धमकियां देकर बताया है कि आपने कुछ लोगों से फोन पर इस तरह की बातें की हैं। जिनके साथ ऐसा हुआ है, उन लोगों ने मुझे आकर बताया है। भूपेंद्र सिंह ने उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के सामने बैठक में सागर एसपी विकास शाहवाल ने कहा कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो सिंह ने कहा कि सफाई नहीं चाहिए है, गृहमंत्री रहा हूं मुझे सब पता है। आप तो यह बताइए कि ऐसा किसकी परमिशन से हो रहा है और क्यों हो रहा है?
• भूपेंद्र सिंह पर दर्ज हुआ था आय से अधिक संपत्ति का मामला
लोकायुक्त संगठन ने कांग्रेस की शिकायत पर तत्कालीन प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है और मामले की जांच भी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया और कांग्रेस के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पुनीत टण्डन ने इस संबंध में शिकायत की थी। कांग्रेस नेताओं ने 30 मई 2023 को चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्रों, एडीआर रिपोर्ट एवं खसरा अभिलेखों के आधार पर अनुपातहीन संपत्ति होने के आरोप भूपेंद्र सिंह पर पत्रकारवार्ता में लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाए थे कि मंत्री भूपेन्द्र सिंह और उनके परिवारजनों ने 10 साल के भीतर लगभग 46 करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित की है। ये भी कहा था कि आश्चर्यजनक रूप से वर्ष 2018-19 में लगभग 07 करोड़ रुपये वार्षिक आय होने संबंधी रिटर्न प्रस्तुत करना भी अर्जित अनुपातहीन एवं आय से अधिक संपत्ति को दर्शाता है। कांग्रेस नेताओं की इस शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच क्रमांक 0035/ई/ 2023-24 के मामले में पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त से 08 अगस्त 2023 तक जांच रिपोर्ट मांगी है।
• भूपेंद्र सिंह के कहने पर बदला था लोकायुक्त डीजी
शिवराज सिंह चौहान के करीबी नेताओं में शामिल भूपेंद्र सिंह ने तत्कालीन लोकायुक्त डीजी कैलाश मकवाना पर दबाव बनाकर अपना केस रफा दफा करने का प्रयास किया था। लेकिन मकवाना चूंकि एक ईमानदार छवि के अधिकारी हैं, ऐसे में उन्होंने पूरे मामले की बारीकी से जांच करवाई। जांच में भूपेंद्र सिंह के दोषी पाए जाने की स्थिति में शिवराज सिंह चौहान ने आनन फानन में लोकायुक्त डीजी का तबादला कर दिया। लेकिन अब वहीं मकवाना प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के तौर पर पदस्थ हुए।
• दलित परिवार की हत्या में भी लगे थे आरोप
बरोदिया नोनागिर दलित हत्याकांड में में परिवार की तरफ से आरोपियों को भूपेंद्र सिंह द्वारा बचाने के आरोप लगाए थे। मामला और संदिग्ध नजर इसलिए आता है कि आरोप लगाने वाली बहन अंजना अहिरवार की हत्या करवा दी गई थी जिसे आत्महत्या की शक्ल दी गई थी।