एक गुलाम एशियाई द्वीप! इसे नेहरू आजाद करा सकते थे!!

--के. विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स। भारत की जंगे आजादी के इतिहास में (10 मई 1857 के बाद) सर

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क्या थे वे दिन? गीतमाला वाले!

--के. विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स। उन दिनों अमूमन अखबारों के दफ्तर में देर शाम फोन

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बिना हड़ताल के हम जंग जीते ! हाकरों की मदद मिली थी !!

--के. विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स। लखनऊ पुलिस ने नागरिकों को सुझाया है (24 अगस्त 2022) क

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नेशनल हेरल्ड'' : क्या गत बन गयी आज !

--के. विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स। ''नेशनल हेरल्ड'' कभी आजादी की आवाज था। अब संस्थाप

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शेरे-आंध्र थे टी. प्रकाशम

--के. विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स। भारत के प्रथम भाषावार प्रदेश आंध्र के पहले मुख्

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