--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।
सिपाही, यूजीसी, नीट, रेलवे सरीखी परीक्षाओं में प्रश्न पत्र के परीक्षा से पहले "लिक" को लेकर चल रहे विवादों का अभी अंत होने से पहले देश की शीर्ष नौकरी के लिए होने वाली संध लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सरीख अत्यंत सुरक्षित परीक्षा भी विवादों की भेट चढ़ गई हैं। ताजा मामला ट्रेनी आइएएस पूजा खेडकर का है। इस युवा अधिकारी की कारनामों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मामले से यूपीएससी की हो रही फजीहत के बाद केंद्र सरकार को दखल देने को मजबूर होना पड़ा है। इस बीच पुणे ग्रामीण पुलिस ने उनकी मां मनोरमा खेडकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक किसान को बंदूक दिखाकर धमकाया। एएनआई के अनुसार, दिलीप खेडकर और पांच अन्य के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।
ट्रेनी आइएएस पूजा खेडकर को नौकरी से निकाले जाने और कथित रूप से झूठी विकलांगता और जाति के दावों के लिए आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। पुणे से हटाई गई आइएएस ट्रेनी पूजा खेडकर ने 'सत्ता के दुरुपयोग' विवाद से पहले नवी मुंबई पुलिस को एक चोर को छोड़ने के लिए मजबूर किया था।
महाराष्ट्र काडर की ट्रेनी आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां ने पिस्तौल का इस्तेमाल कर किसानों को धमकाने का वीडियो वायरल होने के बाद शुक्रवार रात पौड पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 323, 504 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मनोज यादव ने के अनुसार मनोरमा खेड़कर के खिलाफ इसके अलावा, आर्म्स एक्ट के तहत भी आरोप दर्ज किए गए हैं।
यह तब हुआ जब खेडकर की मां मनोरमा का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में मनोरमा खेडकर को पुणे के मुलशी तालुका में किसानों को पिस्तौल से धमकाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए पुणे ग्रामीण के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित हो रहे वीडियो का संज्ञान लिया है। तथ्यों का पता लगने के बाद हम जांच शुरू करेंगे। हम जांच करेंगे कि मनोरमा खेडकर के पास बंदूक का लाइसेंस है या नहीं।"
पूर्व आइएएस अधिकारी और पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने कथित तौर पर संपत्ति अर्जित की और मुलशी तालुका में 25 एकड़ जमीन खरीदी। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खेडकर परिवार ने कथित तौर पर पड़ोसी जमीन पर अतिक्रमण करके अपनी जमीन बढ़ाने की कोशिश की।
पूजा खेडकर की नियुक्ति के बाद कई विसंगतियां सामने आने के बाद यह जानकारी सामने आई। सत्ता के कथित दुरुपयोग की शिकायतों के कारण महाराष्ट्र सरकार ने खेडकर को पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया था। पुणे कलेक्टर डॉ. सुहास दिवासे द्वारा मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र के बाद जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार खेडकर ने अब वाशिम जिले में अतिरिक्त सहायक कलेक्टर की भूमिका संभाल ली है। उन्होंने गुरुवार को चार दिन की देरी के बाद कार्यालय में कार्यभार संभाला।
स्थानांतरण का निर्णय तब लिया गया जब डॉ. खेडकर ने कथित तौर पर अनाधिकृत विशेषाधिकारों की मांग करने के लिए विवाद खड़ा किया, जैसे कि लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट से लैस एक निजी ऑडी कार का उपयोग करना और अपने निजी वाहन पर 'महाराष्ट्र सरकार' का बोर्ड प्रदर्शित करना शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने कई मांगें कीं जो ट्रेनी अधिकारियों के प्रोटोकॉल के खिलाफ थीं, जिसमें वीआईपी नंबर प्लेट वाली एक आधिकारिक कार, आवास, एक कर्मचारी के साथ एक आधिकारिक कक्ष और एक कांस्टेबल शामिल थे। नियमों के बावजूद कि ट्रेनी ऐसी सुविधाओं के हकदार नहीं हैं और उन्हें पहले राजपत्रित अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना जरुरी है। खेडकर की हरकतें आगे बढ़ गईं। कथित तौर पर, डॉ. खेडकर के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी पिता ने अपनी बेटी की मांगों को पूरा करने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डाला और अधिकारियों को संभावित नतीजों की चेतावनी दी।
यूपीएससी परीक्षा में 841वीं रैंक हासिल करने वाली डॉ. खेडकर को अब वाशिम में तबादले और पुनर्नियुक्ति का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वह एक अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में अपनी परिवीक्षा अवधि जारी रखे हुए हैं। आइएएस पूजा खेडकर जो कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग को लेकर विवादों में हैं, ने शुक्रवार को कहा कि वह उन विवादों पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं, जिनमें वह और उनका परिवार शामिल हैं। ट्रेनी सहायक कलेक्टर ने कहा कि वह समिति के समक्ष अपनी दलीलें देंगी और प्रक्रिया का पालन करेंगी।
खेडकर ने मीडिया से कहा, "मुझे मीडिया से कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है। मैं समिति के समक्ष अपनी दलीलें दूंगी। मैं प्रक्रिया का पालन करूंगी।" प्रोबेशन पर चल रही 2023 बैच की आइएएस अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ लिखा बोर्ड और लाल-नीली बत्ती वाली ऑडी कार की तस्वीरें वायरल होने के बाद विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कथित तौर पर जूनियर अधिकारियों को उपलब्ध नहीं होने वाले अलग घर और कार के विशेषाधिकारों की मांग उठाई और उन पर एक अतिरिक्त कलेक्टर के चैंबर पर अवैध रूप से कब्जा करने का भी आरोप है। उन पर और भी गंभीर आरोप लगे हैं जो सिविल सेवाओं में उनकी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कथित तौर पर शारीरिक विकलांगता श्रेणी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र के तहत लाभों का दुरुपयोग किया। खेड़कर की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए, पुणे स्थित आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने आरोप लगाया कि प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर के अंतर्गत नहीं आती हैं, जैसा कि उन्होंने भर्ती प्रक्रिया के दौरान उल्लेख किया था। कुंभार ने आरोप लगाया कि उनके पिता के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस बीच केंद्र की कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) ने कहा कि भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति खेडकर की दावों की जांच करेगी। डीओपीटी के एक आला अधिकारी ने कहा जांच में आरोप सही पाये जाने पर पूजा खेडकर की नौकरी से वर्खास्त भी किया जा सकता है..।