ज्ञान का प्रकाश ही आपको ज्योतित‌ करेगा : प्रो. दुर्ग सिंह चौहान



वाराणसी - उत्तर प्रदेश
इंडिया इनसाइड न्यूज।

■भारतीय शिक्षण मंडल, काशी प्रांत द्वारा 100 से अधिक शोधार्थियों को पुरस्कृत किया गया

भारतीय शिक्षण मंडल काशी प्रांत, युवा गतिविधि द्वारा विजन फॉर विकसित भारत विषयक प्रांत स्तरीय शोधार्थी सम्मेलन का आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रेक्षागृह में किया गया। इस आयोजन में शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता के शोधार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इस अखिल भारतीय प्रतियोगिता में कुल 11 प्रस्तावित विषयों पर शोध पत्र आमंत्रित किए गए थे। प्रस्तावित विषय भारतीय ज्ञान परंपरा, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, प्रबंधशास्त्र, पर्यावरण, विधि एवं न्याय, ग्रामीण विकास एवं रोजगार, कला साहित्य एवं संस्कृति, राष्ट्रीय सुरक्षा, इतिहास के प्रति सही दृष्टि तथा महिला सशक्तीकरण थे। स्नातक, परास्नातक एवं शोधार्थी श्रेणी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के प्रचारक श्री रमेश ने कहा कि हमारा चरित्र ऐसा रहे कि हमारा सर्वांगीण विकास हो। दुनिया के‌ देशों की दृष्टि में विश्व बाजारवाद है, हमारी दृष्टि में विश्व बंधुत्व है। हम चाहते हैं कि सभी सुखी रहें। हमारी दृष्टि में सबको सबकुछ समान भाव से मिले, यह भाव‌ रहता है।

इस अवसर पर‌ बतौर मुख्य अतिथि के रूप में अपने‌ वक्तव्य में प्रो. जयप्रकाश सैनी ने कहा कि शोध के हर पक्ष का अपना स्थान है। विकास एक सतत प्रक्रिया है। यह शिक्षा के क्षेत्र में भी आवश्यक है।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान समय में शोध करना हो तो दो ही विषय हैं : सत्य और धर्म का आचरण। आपमें यदि ज्ञान का प्रकाश है तो सभी आपकी ओर आकर्षित होंगे, इसलिए ज्ञान ही जीवन का सार है। शोध की सार्थकता समाज के कल्याण में है। विद्या या शोध का तात्पर्य है आत्मोसर्ग।

प्रारंभ में प्रो. राजीव उपाध्याय ने अखिल भारतीय शोधपत्र लेखन प्रतियोगिता की‌ परिकल्पना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अपने‌ व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आपकी शोध की दृष्टि सदैव उन्नत रहे।

विशिष्ट अतिथि प्रो. अंजलि बाजपेई ने कहा कि हमें सतत शैक्षणिक प्रक्रिया से जुड़े रहना चाहिए।

स्वागत वक्तव्य काशी प्रांत के मंत्री एवं हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने दिया। आयोजन का संचालन प्रो. रचना शर्मा द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुज कुमार सिंह ने किया।

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