संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी को लेकर सियासत हुआ गर्म, डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ - भाजपा के एक वरिष्ठ नेता - और सत्तारूढ़ पार्टी के वैचारिक संरक्षक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आज दोपहर गोरखपुर में मिलने की उम्मीद है। गोरखपुर योगी का विधानसभा क्षेत्र है।

बैठक को सूत्रों ने हालांकि "शिष्टाचार मुलाकात" का नाम दिया है लेकिन माना जा रहा है कि संकेतों में नरेंद्र मोदी को लेकर भागवत की टिपप्पणी से उत्तपन्न् मतभेद को सीमित करने की कोशिश है।

भागवत आरएसएस के एक कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में हैं। नागपुर में इस सप्ताह पूर्व के भाषण के बाद मोहन भागवत की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दृश्य महत्वपूर्ण हैं। श्री भागवत के भाषण में राजनीतिक विभाजन के दोनों पक्षों द्वारा अभियान के संचालन के तरीके के बारे में आलोचना की गई थी। अगर आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी परोक्ष थी, तो उनके सहयोगी इंद्रेश कुमार की नहीं थी। इंद्रेश कुमार ने "भगवान राम की भक्ति करने वाली पार्टी (उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का संदर्भ, जिससे पार्टी को भारी जीत मिलने की उम्मीद थी)" की उसके "अहंकार" के लिए आलोचना की।

हालांकि, आरएसएस ने अपनी राजनीतिक इकाई के साथ विभाजन की बात को खारिज कर दिया। सूत्रों ने कहा कि यह संदेश भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के लिए सिर्फ एक उत्साहवर्धक संदेश था। और जहां तक इंद्रेश कुमार के कटाक्ष का सवाल है, आरएसएस के सूत्रों ने संगठन को टिप्पणियों से दूर कर दिया जिसमें यह घोषणा करते हुए कि भगवान राम ने 241 पर "उन लोगों (कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारत ब्लॉक) को रोक दिया जो अहंकारी हो गए थे"। और इसे पलटने की कोशिश की।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार केंद्र सरकार बनाने के लिए 370 सीटों (सहयोगियों के साथ 400+) का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था। हालांकि, इंडिया समूह के मजबूत प्रदर्शन और नीतिगत मुद्दों पर विरोध के कारण, पार्टी की पहले की दुर्जेय चुनाव जीतने वाली मशीनरी केवल 240 सीटें ही हासिल कर पाई।

2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन पर अपने विवादास्पद बयान के बाद, आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने यह कहकर अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करने का प्रयास किया कि चुनावों से पता चलता है कि भगवान राम का विरोध करने वालों की हार हुई है, जबकि भगवान राम की महिमा को बहाल करने का लक्ष्य रखने वाले सत्ता में हैं।

श्री कुमार ने गुरुवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने "अहंकार" के कारण हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में बहुमत के निशान से काफी नीचे 240 सीटों पर सिमट गई। गुरुवार को जयपुर के पास एक कार्यक्रम में बोलते हुए, श्री कुमार ने कहा, "जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की और अहंकारी हो गई, उसे 240 पर रोक दिया गया; हालांकि, यह सबसे बड़ी पार्टी बन गई।" उन्होंने इंडिया ब्लॉक का जिक्र करते हुए कहा, "और जिन लोगों की राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें 234 पर रोक दिया गया।" लोकतंत्र में रामराज्य का विधान देखिए, जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे, लेकिन उन्हें जो वोट और सत्ता मिलनी चाहिए थी, वह अहंकार के कारण भगवान ने रोक दी। श्री कुमार की टिप्पणी, पैदा हुए विवाद के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज हो गई है।

आरएसएस नेता ने नुकसान को कम करने के लिए स्पष्ट करने की कोशिश की है कि "इस समय देश का मूड बिल्कुल साफ है। भगवान राम का विरोध करने वाले सत्ता में नहीं हैं। भगवान राम का सम्मान करने का लक्ष्य रखने वाले सत्ता में हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनी है।"

श्री कुमार की टिप्पणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के तीन दिन पहले दिए गए बयान के बाद आई है। श्री भागवत ने कहा था कि एक सच्चे 'सेवक' को अहंकार के बिना लोगों की सेवा करनी चाहिए और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। आरएसएस ने शुक्रवार को भाजपा के साथ दरार की अटकलों को शांत करने की कोशिश की। भाजपा ने कहा कि इस तरह के दावे केवल अटकलें हैं जिनका उद्देश्य भ्रम पैदा करना है। आरएसएस सूत्रों ने कहा, "आरएसएस और भाजपा के बीच कोई मतभेद नहीं है।" भाजपा ने यह कह कर विवाद को खत्म करने की कोशिश की कि किसी भी संबोधन में राष्ट्रीय चुनावों जैसे महत्वपूर्ण आयोजन का संदर्भ होना लाज़िमी है। लेकिन इसे गलत तरीके से समझा गया और भ्रम पैदा करने के लिए संदर्भ से बाहर ले जाया गया।

सूत्रों ने कहा उनके 'अहंकार' वाले बयान का कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी भाजपा नेता पर निशाना नहीं साधा गया था।"

भाजपा के एक नेता ने कहा- विपक्षी नेताओं ने उनके बयान का इस्तेमाल भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करने के लिए किया था। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था, "अगर प्रधानमंत्री की अंतरात्मा की आवाज़ नहीं सुनी जाती या मणिपुर के लोगों की बार-बार की मांग नहीं मानी जाती, तो शायद श्री भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए मना सकते हैं।"

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