बौद्ध धर्म का लक्ष्य है दु:खों से मुक्ति दिलाना



वाराणसी - उत्तर प्रदेश
इंडिया इनसाइड न्यूज।

"जो भी विकास हुआ है वह दु:ख मुक्ति के लिए हुआ है बौद्ध धर्म जन्म को दुख का कारण मानता हैं इसके लिए तृष्णा अविद्या के प्रहाण की आवश्यकता हैं बुद्ध के वचन परीक्षण के उपरांत ही स्वीकार किए जाते हैं " उक्त विचार सारस्‍वत अतिथि केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्‍थान, सारनाथ के कुलपति आचार्य वड्छुकदोर्जे नेगी ने वेदिक विज्ञान केंद्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित बुद्ध जयंती समारोह में व्यक्त किए।

इस कार्यक्रम के संयोजक उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ के जगदानंद झा ने संस्कृत पालि व प्राकृत ग्रंथों के प्रकाशन पर बल दिया। मुख्‍य अतिथि सम्‍पूर्णानन्‍द संस्‍कृत विश्‍वद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बौद्ध धर्म के पीछे सनातन संस्कृति की भूमिका व योगदान पर प्रकाश डाला। विषय वक्ता के रूप में प्रो. रमेश प्रसाद ने ''भगवान् बुद्ध तथा विश्‍व समरसता'' पर वक्तव्य दिया। वही प्रो. हर प्रसाद दीक्षित ने पालि थेरवाद की विशेषताओ पर प्रकाश डाला। प्रो. रामसुधार सिंह ने हिन्दी साहित्य के आधार पर बौद्ध धर्म की उपयोगिता को प्रस्तुत किया। प्रो. सुमन जैन ने करुणा व अहिंसा के संदेश को बुद्ध की समरसता बताया। विश्वभूषण मिश्र मुख्य कार्यपालक अधिकारी, काशी विश्वनाथ मंदिर समिति ने अध्यक्षीय उद्बोधन में सनातन संस्कृति के योगदान का बौद्ध धर्म के विकास में उल्लेख किया।

इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्‍थान, सारनाथ एवं वैदिक विज्ञान केन्द्र के संयुक्त तत्त्वावधान में सम्पन्न हुआ। सभी विद्वानों को बुद्ध जयंती 2024 सम्मान से अलंकृत किया गया।

इस कार्यक्रम का संचालन व संयोजन प्रो. धर्मदत्‍त चतुर्वेदी, संस्‍कृत विभाग, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्‍थान, सारनाथ एवं स्वागत वक्तव्य सह सहयोजक प्रो. उपेन्‍द्र कुमार त्रिपाठी, समन्‍वयक, वैदिक विज्ञान केन्‍द्र ने दिया। तथा धन्यवाद भाषण प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने किया।

कार्यक्रम में डॉ. सुनीता चंद्रा कुलसचिव, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्‍थान, सारनाथ, प्रो. प्रद्युम्न शाह, राजीव नेगी, वीरेंद्र नेगी, डॉ. शैलेन्द्र कुमार, कोमल कुमारी, रजनीश कुमार उपाध्याय, डॉ. राहुल अमृतराज, नालंदा, डॉ. हनुमदीश्वर कुमार सिंह, पटना, डॉ. अनुराग त्रिपाठी, डॉ. रविरंजन द्विवेदी, डॉ. उमाशंकर शर्मा, डॉ. अभिषेक पाठक, डॉ. अरविन्द कुमार त्रिपाठी, बौद्ध भिक्षु विशारा, म्यांमार, वीर्य, म्यांमार, अमरजीत श्रीवास्तव, इत्यादि ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

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