आखिर कब मिलेगा छत्तीसगढ़ को इंसाफ ?



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
रायपुर - छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज।

●क्यों भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री और अधिकारियों को दे रही अभयदान?

●प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को अपशब्द कहने वाले को छत्तीसगढ़ सरकार ने किया माफ, अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं के खिलाफ कांग्रेस कार्यकाल में उत्पीड़न करने वाले आइपीएस अधिकारियों को मिली रेवड़ियां

●एक तरफ भाजपा सांसद संतोष पांडे ने महादेव सट्टा को लेकर कांग्रेस को संसद में घेरा, वहीं छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री को क्यों बचा रही है?

●क्या मुख्यमंत्री सचिवालय का वरिष्ठ अधिकारी मोदी, शाह, भाजपा नेता और कार्यकर्ता के खिलाफ षड़यंत्र करने वाले आइपीएस अफसर आरिफ शेख और आनंद छाबरा को बचा रहा है?

छत्तीसगढ़ में रावण राज को समाप्त हुए आठ महीने हो गए हैं पर जिन मुद्दों पर सरकार बनी उन्हें ही कूड़ेदान में डाल दिया गया है। बानगी तो यह है कि देश भर में भाजपा सरकारें प्रधानमंत्री मोदी की माताजी को श्रद्धांजलि के रूप में "एक पेड़ मां के नाम" अभियान छेड़ी हुई है, वहीं छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय के मुखिया और उनके खासमखास आईपीएस जो मोदी जी की माताजी को अपशब्द कहते थे उनको अभयदान दे दिया है। आज भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया है पर सरकार चलाने वाले अफसर ही है, बस मुखौटा बदल गया है। महादेव सट्टा, चैट एवं अन्य को लेकर आईपीएस आरिफ शेख और आनंद छाबरा के खिलाफ अन्य स्तर पर सरकार को शिकायत हो चुकी है पर विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री सचिवालय के एक वरिष्ठ अफसर पूर्ववर्ती सरकार के दागी अधिकारियों एवं पूर्व राज्य मुखिया को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। कुल बातों का लब्बोलुआब यह है है सरकार भले ही बदल गई हो पर कार्यप्रणाली पुरानी सरकार के जैसे ही है।

किसी भी राज्य में सत्ताधारी दल के प्रमुख नेता से राज्य की जनता यह अपेक्षा करती है कि वह उसके हित में फैसला करे, राज्य को विकास के पथ पर ले जाए और प्रदेश के गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए। लेकिन भूपेश सरकार के समय राज्य में उनके करीबी नेता और अफसरों द्वारा किए गए गुनहगारों पर विष्णुदेव सरकार फिलहाल कोई कार्यवाही करती दिखाई नहीं दे रही है। आलम यह है कि राज्य की जनता में असंतोष फैलता जा रहा है और दोषी खुलेआम शहर में घूम रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार के नेता बघेल सहित सभी दोषियों को अभयदान दे रहे हैं। अगर साय सरकार ने जल्द इन नेता और अफसरों की जुगलबंदी पर कड़ी कार्यवाही नहीं की तो दूसरे नेता और अफसरों के हौंसले बुलंद होंगे और वे भी राज्य को खोखला करने की दिशा में लगातार काम करते रहेंगे। यही नहीं ये सब वही नेता हैं जो एक समय पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नीतियों पर कटाक्ष करते और उन्हें बुरा भला कहने से तनिक नहीं हिचकते थे। इससे आगे जब इस बार संसद में केंद्र की भाजपा सरकार मुश्किल में नजर आई तब महादेव सट्टा को लेकर सांसद संतोष पांडे पूरे विपक्ष को महादेव सट्टा को लेकर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर घेरा, उनके साथ उन अधिकारियों को भी घेरा। संतोष पांडे कांग्रेस को इस मुद्दे पर कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया पर राज्य की विष्णुदेव साय की सरकार ने इन दागियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है।

• साय सरकार ने दे रखी है कांग्रेस के खास दागियों को प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी

जानकारी के मुताबिक जिन अफसरों ने भूपेश बघेल शासन में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया और राज्य को खोखला करने में भूपेश बघेल की मदद की है साय सरकार उन अफसरों को सलाखों के पीछे भेजने के बजाय उन्हें मलाईदार पोस्टिंग देने में जुटी हुई है। यह वही अफसर हैं जिनके ऊपर कई प्रमुख योजनाओं में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे हैं। इन अफसरों के खिलाफ ईडी सहित आयकर विभाग ने भी बड़ी कार्यवाही की है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने दो मामलों में केस दर्ज किया है। प्रवर्तन निदेशालय के आवेदन के आधार पर अब तक 04 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट पर एसीबी ने कस्टम मिलिंग मामले (चावल घोटाला) और डीएमएफ मामले में एफआइआर दर्ज की है। डीएमएफ मामले में एसीबी ने ईडी की रिपोर्ट के आधार पर विभिन्‍न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में ईडी ने आरोप लगाया है कि निविदाओं के आवंटन में बड़े पैमाने पर पैसों की गड़बड़ी की गई है। खासतौर पर दो आईपीएस अफसर जो कि सुपर सीएम की भूमिका में थे, जिन पर महादेव सट्टा को लेकर चार्जशीट सहित अन्य में उल्लेख है उनको उल्टा एलिवेट कर दिया गया है।

• ईडी की रिपोर्ट पर भी नहीं हो रही कार्यवाही

डीएमएफ मामले में एसीबी ने ईडी की रिपोर्ट के आधार पर विभिन्‍न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में ईडी ने आरोप लगाया है कि निविदाओं के आवंटन में बड़े पैमाने पर पैसों की गड़बड़ी की गई है। ईडी का आरोप है कि निविदा का गलत निर्धारण कर टेंडर डालने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया है। इसके लिए टेंडर राशि का चालीस प्रतिशत कमीशन लिया गया। निजी कंपनियों के द्वारा दायर टेंडरों पर 15 से 20 फ़ीसदी कमीशन अलग-अलग दरों पर लिया गया है। डीएमएफ मामले में रानू साहू को प्रमुख अभियुक्त बनाया गया है। रानू साहू के अलावा संजय शैडे, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, रिषभ सोनी को भी आरोपी बनाया गया है। साथ इस मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पीयूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर को भी अभियुक्त बनाया गया है। यह प्रारंभिक तौर पर दर्ज नाम हैं।

• क्या भ्रष्ट अफसरों को भाजपा से मिली माफी?

राज्य में भाजपा सरकार के गठन के बाद इन अफसरों पर एक्शन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। हर कोई इस बात पर ही चर्चा कर रहा है कि आईपीएस आरिफ शेख़, आनंद छाबरा सहित अनिल टुटेजा, पूर्व जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा जैसे अफसरों पर कार्यवाही होगी या इन्हें अभयदान दिया जायेगा। गौरतलब है कि भूपेश बघेल की सरकार में इन अफसरों ने चौतरफा भ्रष्टाचार किया और राज्य को जबरदस्त ढंग से लूटा है। बघेल सरकार में कुछ खास काम तो इन्हीं अफसरों को दिये जाते थे। जैसे भाजपा नेता, पत्रकार के हर मूवमेंट की खबर रखना आदि। साथ-साथ क्या साजिश रची जा सकती है, उसका खाका खींचने में भी इनका ही हस्तक्षेप होता था। पत्रकारिता के माध्यम से मैंने उनके बारे में काफी उल्लेखित किया। फिर भाजपा ने भी इन दोनों अधिकारियों से तंग आकर मुख्य चुनाव आयुक्त से 120 पन्नों की आरिफ शेख़ की शिकायत की और आनंद छाबड़ा की 48 पन्नों की कंप्लेंट की थी। बड़ा सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार अब जीरो करप्शन टॉलरेंस जो प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है उस पर चलकर तंत्र का दुरुपयोग करने वाले ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करेगी या फिर इन्हें अभयदान दिया जायेगा।

• महादेव सट्टेबाजी घोटाला

पिछले दिनों भाजपा सांसद संतोष पांडे ने संसद में बघेल सरकार के चर्चित महादेव एप सट्टा घोटाले मामले में न सिर्फ बघेल सरकार को बल्कि साय सरकार के ऊपर भी सवाल खड़ा कर दिए। पांडे ने कहा जब सब कुछ सामने आ गया, आरोप साबित हो गए हैं तो फिर विष्णुदेव सरकार इन दोषियों पर करवाही क्यों नहीं कर रही है। जाहिर है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल हैं। इस कथित घोटाले के मास्टरमाइंड और ऐप के मालिक ने अपना एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए नकद पहुँचाए हैं। ये पैसे चुनाव में इस्तेमाल किए गए हैं। उसने बताया कि एक-एक पैसों का हिसाब उसके पास है। जानकारी के अनुसार महादेव सट्टेबाजी ऐप मामला 15 हजार करोड़ का है और इसमें अभी जाँच जारी है। इतने पैसों की तो मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिस पर ईडी ने केस दर्ज किया है। इस मामले में भूपेश बघेल के करीबी लोग जेल में बंद हैं।

• मौजूदा मुख्यमंत्री कार्यालय के लोग आए बचाव में

सूत्रों के मुताबिक साय सरकार के वरिष्ठ नेता और अफसर भी बघेल और उनसे जुड़े व्यक्तियों पर कार्यवाही न करने को लेकर लगातार देरी करने की योजना पर काम कर रहे हैं। यह वही अफसर नेता हैं जो बघेल शासन में उनसे लगातार लाभ ले रहे हैं और अब दोस्ती निभाने पर आतुर हैं। कुल मिलकर यह कहा सकता है कि आइपीएस अफसर आरिफ शेख और आनंद छाबरा को बचाने में भाजपा नेता और वरिष्ठ अफसर उन्हें संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।

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