ओडिसी नृत्यशिल्पी 'श्रीया श्री पति' अपनी शानदार परफॉर्मेंस के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं



--सतीश कुमार दास
भुवनेश्वर - ओडिशा, इंडिया इनसाइड न्यूज।

ओडिसी नृत्यशिल्पी अपनी शानदार परफॉर्मेंस के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। अन्य सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की तरह, ओडिसी नृत्य की उत्पत्ति भी ओडिशा के मंदिर परिसर में किए जाने वाले अनुष्ठानिक नृत्यों से हुई है। ओडिसी नृत्यशिल्पी की लय, भंगी और मुद्राओं की अपनी एक अलग शैली होती है। ओडिसी डांसर मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और राधा के असीम प्रेम की थीम पर परफॉर्म करते हैं।

पौराणिक कथाओं को दर्शाती खूबसूरत मुद्राएं, बिना बोले वास्तविक क्रिया को दर्शाने वाले भाव, रोशनी में जगमगाती नर्तकियों की खूबसूरत पोशाकें, खूबसूरत आभूषण और आकर्षक मुद्राएं- यह भारत के सबसे पुराने जीवित नृत्य रूपों में से एक ओडिसी की बेदाग परंपरा है। सोशियो स्टोरी आपके लिए ओडिशा के भुवनेश्वर की एक प्रतिभाशाली एकल नृत्यशिल्पी "श्रीया श्री पति" की कहानी लेकर आई है।

मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी श्रीया की नृत्य की दुनिया में यात्रा भगवान से जुड़े रहने की गहरी इच्छा के साथ शुरू हुई।

श्रीयाश्री पति का जन्म 1996 में हुआ, जिन्हें गुरु श्रीमती पुष्पिता मिश्रा के कुशल मार्गदर्शन में 12 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव है, जो पद्मश्री गुरु पंकज चरण दास से सम्मानित हैं। उन्होंने फैशन डिजाइनिंग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूरा किया, स्टीवर्ट स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की और संगीत विशारद फाइनल (5वें वर्ष) पूरा किया, जिसमें प्रैक्टिकल में डिस्टिंक्शन के साथ प्रथम स्थान प्राप्त की।

श्रीयाश्री ने अपने साक्षात्कार में बताया, मैं एक उत्सुक शिक्षार्थी और धैर्यवान श्रोता हूँ। मुझे कला और संस्कृति के क्षेत्र में रुचि है और मैंने बचपन से ही कला के प्रति अपनी रुचि विकसित की है। नृत्य में मेरी यात्रा कुछ ऐसी है जिसे मैं संजो कर रखती हूँ और जीवन भर संजो कर रखूँगी, मैं अपने शिक्षक की आभारी हूँ जो मेरे उतार-चढ़ाव के दौरान हमेशा मेरे साथ रहे, मेरा समर्थन किया और मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, चाहे परिस्थिति कुछ भी हो।

वह कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन कर चुकी हैं जैसे;

• कलिंगावन, मलेशिया
• घुंघरू उत्सव, 2022
• एआईडीए, भिलाई
• अपोलो डॉक्टर मीट सांस्कृतिक कार्यक्रम
• केआईएफएफ कलामेला इवेंट 2017
• वार्षिक मीट, अशानी कला 2011
• गुरु हरिहर खुंटिया मेमोरियल प्रतियोगिता 2008
• गुरु हरिहर खुंटिया मेमोरियल प्रतियोगिता 2009
• राजधानी पुस्तक मेला 2006
• केआईआईटी उत्सव 5.0
• मोंडेई 2017
• खोरधा महोत्सव 2019
• पारादीप महोत्सव 2015
• उत्कल दिवस, चंडीगढ़ 2015 • उत्कल दिवस, टाटा 2016
• उत्कल दिवस, दिल्ली 2017
• दूरदर्शन केंद्र ओडिशा
• मयूर महोत्सव
• बाराबती महोत्सव
• चांदीपुर बीच महोत्सव
• केंद्र सरकार द्वारा आयोजित कृषि सम्मेलन
• बोयनिका हैंडलूम एक्सपो
• पुरी बीच फेस्टिवल
• भरतमुनि महोत्सव
• आनंद उत्सव
• नृत्यांजलि रजत जयंती
• बुद्ध महोत्सव
• सीता महोत्सव
• माल्यबंता महोत्सव
• अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2019, 2021
• नयागार्ड महोत्सव
• चौमासा 2022
• खजुराहो 2023
• मलकानगिरी महोत्सव 2023
• नृत्यांजलि 2023
• नयागढ़ जिला महोत्सव 2019
• पारादीप महोत्सव 2015
• मयूर उत्सव 2018
• व्यापार मेला 2022

वह न केवल परमात्मा को श्रद्धांजलि देती है बल्कि एक स्थायी प्रभाव भी छोड़ती है। ओडिसी नृत्य की दुनिया में उनका नाम हमेशा से ही छाया रहा है। उनका समर्पण और जुनून हमें नृत्य की कला के माध्यम से ईश्वर से गहरा संबंध स्थापित करने की प्रेरणा देता है।

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
इ-अखबार - जगत प्रवाह
  India Inside News