--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन,
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
● शिलान्यास, लोकार्पण कर मुंगेरीलाल के सपने दिखा रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
● साढ़े चार लाख करोड़ के कर्जे में डूबे प्रदेश में लगभग 90 दिनों में 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का हुआ भूमिपूजन और लोकार्पण
● डा. मोहन यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री कम उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री ज्यादा नजर आते है
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को प्रदेश की कमान संभाले हुए लगभग तीन महीने का समय पूरा होने चला है। अपने लगभग 90 दिनों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने प्रदेश को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की सौगात दे दी है। मुख्यमंत्री के दैनिक कार्यक्रमों की सूची उठाकर देखें तो समझ आता है कि डॉ. साहब ने पहले दिन से लेकर अब तक प्रदेश के विभिन्न प्रमुख जिलों में विकास कार्यों का भूमिपूजन, लोकार्पण और शिलान्यास किये हैं। सवाल यह है कि जो प्रदेश लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के कर्जे में है, सभी प्रमुख शासकीय योजनाओं के भुगतानों पर रोक लगी हुई है, युवा छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति के पैसे नहीं मिल रहे हैं आखिर ऐसे प्रदेश में इतना धन कहां से आ रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता को मुंगेरीलाल के सपने दिखा रहे हैं। अभी तक जिन जिलों में शिलान्यास, भूमिपूजन के कार्यक्रम हुए हैं उन्हें देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को केवल ऊंचे और लंबे सपने दिखा रहे हैं, जब तक जनता इन सपनों की नींद से जागेगी तब तक मुख्यमंत्री जी कोई दूसरा लॉलीपॉप जनता को दिखाना शुरू कर देंगे। पटवारी भर्ती घोटाला का अभी तक कुछ नहीं हुआ है। परीक्षा में शामिल हुए युवा परीक्षा को रदद करने की मांग पर अड़े हुए हैं। लेकिन इन पर ध्यान ही नहीं दे रही है। कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव अभी तो केवल प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों को जीतने पर फोकस कर रहे हैं। बाकी सरकार के सामने जो बुनियादी मुददे हैं उन पर सरकार का ध्यान ही नही है।
• चुनावी रेवड़ी सी प्रतीत होते हैं शिलान्यास
अगले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने को है। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूरा जोर केवल प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों को जीतने पर है। यही कारण है कि मोहन साहब लगातार दिल्ली से भोपाल एक किये हुए हैं और आये दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से रायशुमारी के लिए दिल्ली के प्रवास पर होते हैं। अब तक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में जो भी शिलान्यास और लोकार्पण के कार्य़क्रम हुए हैं उन्हें देखकर तो यही कहा जा सकता है कि यह सब चुनावी रेवड़ी है और समय के साथ बंटना भी बंद हो जाएगी, क्योंकि प्रदेश में इतना कोष ही नहीं है जितने करोड़ों लाखों रुपये के प्रोजेक्ट का भूमिपूजन और घोषणा हो चुकी है।
• बेरोजगारी दर पर कब ध्यान देंगे मुख्यमंत्री जी
विशेषज्ञों की मानें तो डॉ. साहब को प्रदेश के विकास पर अधिक फोकस करने की आवश्यकता है। लेकिन डॉ. साहब दिल्ली और भोपाल की हवाई यात्राएं कर 700 किलोमीटर की दूरी को महज 07 किलोमीटर की दूरी समझ आये दिन दिल्ली पहुंच जाते हैं। प्रदेश में बेरोजगारी दर की क्या स्थिति है, युवा सड़कों पर संघर्ष कर रहा है, नौकरी न मिल पाने के कारण युवा आत्महत्या कर रहा है। भर्ती परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों को हरी झंडी देकर मोहन सरकार ने करोड़ों युवाओं के सपनों को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया है। मुख्यमंत्री को यह बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कोई भी प्रदेश सिर्फ मंच पर खड़े होकर भाषण देने, कार्यक्रमों में फीता काटने, शिलान्यास करने और भूमिपूजन करने से नहीं चलता है। अगर सच में प्रदेश को गति देने की इच्छा है तो उन्हें शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, स्वरोजगार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
• एक नहीं अनेकों प्रोजेक्ट का हुआ है शिलान्यास
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्य़काल के 90 दिनों की विस्तार में देंखे तो यह समझ आता है कि अब तक प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ही लगभग 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शुभारंभ हो चुका है। इसमें 17 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं बीते दो दिन पहले, प्रधानमंत्री ने दी। इसके अलावा जबलपुर में मुख्यमंत्री खुद 409 करोड़, छिंदवाड़ा में 131 करोड़, बालाघाट में 761 करोड़, उज्जैन में 894 करोड़, इंदौर में 350 करोड़, खरगौन में 182 करोड़, रीवा में 337 करोड़ सहित अन्य ऐसे कई जिले हैं जो इस सूची में नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक एक जिले को चिन्हित कर वहां करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट की बरसात की है।
• मूर्तरूप लेंगे या नहीं भगवान जानें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने अब तक जिन भी प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। उनका भविष्य क्या होगा यह तो भगवान जानें। क्योंकि जिस प्रदेश को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के कर्जे में छोड़कर गये हैं उस प्रदेश को कर्जे से उबरने में ही एक पंचवर्षीय निकल जाएगी। ऐसे में शासकीय कर्मचारियों की वेतनवृद्धि, नई रोजगार की व्यवस्था, प्रमुख योजनाओं के हितग्राहियों को मिलने वाली आर्थिक मदद सहित कई ऐसे प्रमुख विषय हैं जिनके लिए बजट कहां से जुटा पाएगी मोहन सरकार। कुल मिलाकर यह भगवान भी नहीं जानता है कि यह प्रोजेक्ट कभी मूर्तरूप लेंगे या फिर शिलापट्टिका धूल खाकर खराब हो जाएंगी।
• कर्ज लेकर शुरू की गई लाडली बहना योजना
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जिस लाडली बहना योजना को भाजपा की बड़ी जीत की वजह माना जाता है। इसके लिए राज्य को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अकेले 2023 में 44,000 करोड़ रुपए का उधार लिया था। इसमें चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान लिए गए 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज भी शामिल है। माना जाता है कि इसका बड़ा हिस्सा लाडली बहना योजना पर खर्च किया गया। अब, नई सरकार आने के बाद, राज्य सरकार का खजाना खाली है। वहीं, उसके पास चुनावी वादों की एक लंबी फेहरिस्त भी है। ऐसे में भाजपा को डर सता रहा है कि अगर इसे पूरा नहीं किया गया, तो लोकसभा चुनाव पर इसका बुरा असर पड़ेगा और अगर पूरा करती है, तो राज्य और भी बड़े कर्ज के बोझ तले दब जाएगा।
• कर्ज पर गरमाई राजनीति
वहीं, राज्य पर बढ़ते कर्ज को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को अलर्ट किया है। विपक्षी दलों के नेताओं के अनुसार मध्यप्रदेश का हर नागरिक कर्ज में डूबा हुआ है। मध्यप्रदेश में जन्म लेने वाला हर बच्चा अब 40,000 रुपए के कर्ज में है। भाजपा लगातार मध्यप्रदेश को दिवालियापन की ओर धकेल रही है।
• अभी यह सपनें भी देख रही मोहन सरकार
इंडस्ट्रियल सेक्टर की तरफ से तैयार किए गए निवेश प्लान में कई इंडस्ट्रियल हब के निर्माण की बात कही गई है। इनमें टूरिज्म, वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स, नगरीय क्षेत्र विकास, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, एमएसएमई उद्योग और बड़े उद्योगों को लेकर अलग-अलग निवेश की बात कही गई है। इसके साथ ही देवास, मंडीदीप, पीथमपुर, मुहासा बाबई और जबलपुर के औद्योगिक क्षेत्र के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी निवेश को लेकर प्लान तैयार किया गया है।