कुलदीप यादव में वीनू मांकड़ की छवि दिखी! कितना साम्य!!



--के• विक्रम राव,
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

बड़ी एकांगी होता है खेल रिपोर्टर! कल (11 सितम्बर 2023) भारत-पाक एक दिवसीय मैच था। सभी दैनिकों में बैटर्स विराट कोहली और केएल राहुल की सेंचुरी के सामने बॉलर कुलदीप यादव की करिश्मायी बॉलिंग कम वर्णित हुई, दब सी गई। हालांकि इस 29-वर्षीय बायें बाजू वाले चाइनामैन (गुगली) बॉलर ने मात्र आठ ओवर में पांच विकेट झटक कर पाकिस्तान की हार पक्की कर दी थी। भारतीय क्रिकेट में 25 साल का लंबा इंतजार खत्म कर दिया। मगर रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए, जो आंध्र प्रदेश के अरशद अयूब ने 1988 में ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ बनाया था। तब अयूब ने केवल 21 रन देकर पांच विकेट चटकाये थे।

उन्नाव (यूपी) में जन्मे कुलदीप यादव ने महान बायें हाथवाले बॉलर वीनू मांकड़ की अनायास याद दिला दी। पद्म भूषण (1973) मलवंतराय हिममतलाल उर्फ “वीनू” मांकड़ का तब दौर था। छः दशक पूर्व। जामनगर (गुजरात) के उनका निधन 21 अगस्त 1978 में इकसठ वर्ष के आयु में हुआ था। वे टेस्ट मैच में सैकड़ा मारने वाले प्रथम भारतीय रहे। कुल 44 टेस्ट मैच खेले और 165 विकेट लिए। इंग्लैंड के मशहूर बॉलर इयान बाथम ने कहा : “अपने दौर के दुनिया में बायें बाजूवाले श्रेष्ठतम स्पिनर मांकड़ थे।”

वीनू मांकड़ क्रिकेट इतिहास में विशेषतया स्मरणीय हैं क्योंकि उन्होंने विलक्षण रीति से बैटर को आउट करने का तरीका ईजाद किया था। इस विवादास्पद तरीके का नाम ही “मांकड़िंग” रख दिया गया था। दरअसल उसी वर्ष भारत आजाद हुआ था। भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। तब मांकड़ ने दूसरे टेस्ट में नॉन-स्ट्राइकर छोर पर बिल ब्राउन को रन आउट कर दिया। मांकड़ अपने गेंदबाजी रन-अप की डिलीवरी के दौरान रुके और विकेट को गिरा दिया। तब ब्राउन क्रीज से बाहर थे। ब्राउन को आउट करने से ऑस्ट्रेलियाई मीडिया नाराज हो गई थी। किसी को इस तरह से रन आउट करना अब कहा जाता है “मांकड़िंग”। हालाँकि ऐसा क्रिकेट के नियमों का उल्लंघन नहीं है, कुछ लोगों के लिए इसे गैर-खेल और खेल की भावना के विरुद्ध माना जाता है। प्रसिद्ध क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन ने अपनी आत्मकथा में मांकड़ की इस हरकत का बचाव करते हुए कहा: “मैं अपने पूरे जीवन में यह नहीं समझ पाया हूं कि मीडिया ने उनकी खेल भावना पर सवाल क्यों उठाया? क्रिकेट के नियम यह बिल्कुल स्पष्ट कहते हैं कि नॉन-स्ट्राइकर को गेंद डिलीवर होने तक अपनी जमीन के भीतर ही रहना चाहिए। यदि नहीं, तो वहां ऐसा प्रावधान क्यों है जो गेंदबाज को उसे रन आउट करने की अनुमति देता है? बहुत दूर या बहुत जल्दी पीछे हटने से, नॉन-स्ट्राइकर स्पष्ट रूप से अनुचित लाभ प्राप्त करता है।”

मगर कुछ लोगों का तर्क है कि परंपरा के अनुसार, एक गेंदबाज को कम से कम उस बल्लेबाज को चेतावनी देनी चाहिए। बॉलर उसे इस तरह से आउट करने से पहले खुद काफी पीछे रहता है। यूं तो मांकड़ ने पहले गेम में ब्राउन को इस तरह आउट करने से पहले उन्हें चेतावनी दी भी थी। कर्टनी वॉल्श को भी सलीम जाफ़र को आउट करने के बजाय चेतावनी देने के लिए प्रशंसा मिली, जो 1987 विश्व कप के दौरान खेल रहे थे।

वीनू मांकड़ का कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में 1952-53 में खेला टेस्ट यादगार रहा। तब कुलदीप यादव जैसी ही गेंद फेक कर उन्होंने कॉमनवेल्थ क्रिकेट टीम को बांध लिया था। कप्तान थे जैक लिविंगस्टन। टीम में फ्रैंक वारेल (वेस्ट इंडीज) सरीखे मशहूर बैटर थे। मांकड़ और मुस्ताक अली (इंदौर) की सलामी बैटर की जोड़ी भी बड़ी लोकप्रिय थी। मांकड़ गेंद को नचाते, उछालते, फिर फेंकते थे। बैटर को हिट करने के लिए ललचाते थे। उसने मारा कि वह कैच हुआ। यही कुलदीप यादव ने कल कोलंबो में किया था। गेंद फेंकने का उनका स्टाइल, कलाई की कारीगरी, बाल की मंद रफ्तार आदि रहीं। बिल्कुल मांकड़ की याद दिलाई है। कुलदीप यादव भारत के भविष्य के अद्भुत खिलाड़ी बनते दिख रहे हैं।

इसी सिलसिले में भारत-श्रीलंका के मैच का भी उल्लेख हो। एक किस्सा कभी पढ़ा था। हाथी की सूंड में घुसकर उसे तंगकर, एक मच्छर मकड़ी के जाल में फंस गया था। कुछ ऐसा ही हुआ जब पाकिस्तान को हराने वाले भारतीय टीम के पांच बेशकीमती विकेट एक अनजाने श्रीलंकाई बॉलर ने गिरा दिए। नाम है डुनिथ वेललेज, आयु केवल सवा बीस साल। आर. प्रेमदासा स्टेडियम में एशिया कप 2023 में सुपर-फोर के दूसरे मैच में (12 सितम्बर) उसने सीमित दस ओवर फेंके और पांच मूल्यवान भारतीय बैटर्स को आउट किया। केवल चालीस रन दिये। वे हैं : इस नए नवेले गेंदबाज वेललेज ने भारत के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया। महज 20 साल के इस जांबाज लेफ्ट आर्म स्पिनर ने एक के बाद एक शुभमन गिल (19), विराट कोहली (3), रोहित शर्मा (53) और केएल राहुल (39) को और हार्दिक पाण्ड्या को पेवेलियन की राह दिखा दी। इन दिग्गजों ने पाकिस्तान के खिलाफ रन बरसाए थे, शतक लगाए थे, वो सारे वेलालागे के आगे डूब गए। केवल 154 रन पर भारत के चार विकेट गिरा दिए। वेलालागे ने पहले ओवर में शुभमन गिल, दूसरे ओवर में विराट कोहली और तीसरे ओवर में रोहित शर्मा का शिकार किया। राहुल मैच के 30वें ओवर में आउट हुए। बल्लेबाज रोहित शर्मा 53 रन बनाकर खेल रहे थे, लेकिन गुड लेंथ पर डाली गई बॉल को खड़े-खड़े डिफेंड करनने की चाहत में फंस गए। बॉल टप्पा खाकर काफी नीची रही और रोहित उसे परख नहीं सके। बल्ला तो लगाया, लेकिन गेंद सीधा बल्ले को बीट करती हुई तेजी से लेग स्टंप पर जा लगी। कोलंबो में 9 जनवरी 2003 को पैदा हुए वेलालागे का परिचय मिला। कम उम्र में श्रीलंकाई टीम में जगह बना ली थी। घरेलू क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड्स कमाल के हैं। उन्होंने 61 फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए मैच मिलाकर 126 विकेट चटकाए हैं। भारत के खिलाफ इस चमत्कारिक प्रदर्शन से पहले उन्होंने 12 मैच में 13 विकेट लिए थे। बड़ा उज्ज्वल भविष्य है। सचिन तेंदुलकर से भी बेहतर। वक्त बताएगा।

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