मध्य प्रदेश : राणा के वंशजों ने बजाया भाजपा सरकार के खिलाफ बिगुल



--विजया पाठक (संपादक- जगत विजन),
भोपाल - मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ अरविंद भदौरिया की सलाह कहीं सीएम शिवराज और भाजपा को पड़ न जाए महंगी

■ क्षत्रीय छत्रपों ने फिर सरकार को याद दिलाया माई-का-लाल

■ पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना का चल रहा आंदोलन आने वाले समय में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और भाजपा के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है। सत्ता के नशे में चूर प्रदेश की भाजपा सरकार ने करणी सेना के एक बड़े खेमे को नजरअंदाज कर नई मुसीबत मोल ले ली है। करणी सेना के लाखों समर्थक बीते दिनों से राजधानी में डेरा डाले हुए हैं और अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। सूत्रों की माने तो करणी सेना का प्रदर्शन और प्रदेश के क्षत्रियों के गुस्से के पीछे प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया हैं। भदौरिया ने अपने नंबर बढ़ाने के लिए पिछले 05 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास में क्षत्रिय समागम का आयोजित किया। इस कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने रानी पद्मावती का स्मारक बनाने का ऐलान करते हुए महाराणा प्रताप जयंती पर छुट्‌टी करने सहित करीब डेढ़ दर्जन घोषणाएं कीं। दरअसल करणी सेना का काफी पहले से ही प्रदर्शन निश्चित था। इसके लिए काफी पहले से इसकी तैयारी चालू कर दी गई थी, पर मंत्री अरविंद भदौरिया और उनके समाज के समर्थकों ने करणी सेना में ही फूट पड़वाने की कोशिश कर डाली जिसकी कोई जरूरत ही नहीं थी। प्रदेश में ठाकुर वोटबैंक भाजपा के साथ ही जाता है, सरकार की तरफ से हुए इस धोखे से वो और भड़क गये। इस कार्यक्रम को जीवन सिंह शेरपुर जो कि करणी सेना के प्रमुख हैं ने बीजेपी नेताओं का प्रोग्राम करार दिया और 08 जनवरी का कार्यक्रम और ज्यादा भीड़ के साथ करने का ऐलान कर दिया। वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि भाजपा सरकार द्वारा कार्यक्रम की अनुमति को रद्द कराना, परिवहन व्यवस्था में बाधा डालना और फिर युवाओं के दबाब में पुनः अनुमति देना, पूरे आंदोलन को बाधित करने और लोकतांत्रिक प्रणाली में शिवराज सरकार के विश्वास न होने को दर्शाता है। लोकतांत्रिक आंदोलन, विरोध और प्रदर्शन को पुलिस, पैसा और प्रशासन से कुचलना भाजपा सरकार की नीति बनती जा रही है। लोकतांत्रिक तरीके से विचारों तथा मांगों को रखना और शांतिपूर्ण आंदोलन करना, देश के हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार युवाओं की मांगों को सुनना भी नही चाहती थी और आंदोलन को रद्द कराने में लगी रही।

● बड़ी चूक साबित हो सकती है यह नाराजगी

जानकारी के अनुसार करणी सेना के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से शिवराज सरकार की नाराजगी आगामी चुनाव में ठीक उसी तरह सरकार को नुकसान पहुंचा सकती हैं जैसे बीते चुनाव के पहले शिवराज सिंह चौहान ने एक रैली के दौरान माई के लाल को चुनौती दे दी थी और उनका यह बयान पूरी सरकार को ले डूबा और प्रदेश की जनता ने भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। ठीक उसी तरह अगर इस बार भी सरकार करणी सेना के कार्यकर्ताओं को मनाने में सफल नहीं हुई तो यह उनके लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

● भदौरिया के सलाह पड़ी सरकार की भारी

05 जनवरी को हुए कार्यक्रम से पहले शिवराज सरकार ने कभी यह नहीं सोच होगा कि अरविंद भदौरिया की सलाह उन्हें इतनी महंगी पढ़ जायेगी। सरकार ने बिना कोई अतिरिक्त जानकारी जुटाए कार्यक्रम में सहभागिता की और ज्यादातर क्षत्रिय इस धोखे के कारण सरकार के विरोध में खडे हो गए। पार्टी और संगठन को इस बात को लेकर भदौरिया से सवाल जवाब करना चाहिए और भदौरिया पर सख़्त कार्यवाही करना चाहिए। आखिर उनके कारण ही क्षत्रिय सेंटीमेंट्स अब पार्टी के खिलाफ हो गए है।

● नेता प्रतिपक्ष ने भी बोला सरकार पर हमला

नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार करणी सेना के साथ अन्याय कर रही है। करणी सेना की जो जायज मांगें हैं उन्हें मानना चाहिए। करणी सेना ने जो मांग पत्र भेजा है उसमें पिछडे़ वर्ग, एससी, एसटी वर्ग के साथ न्याय की बात की है। अगर उसमें कुछ गलत हो तो उसमें सुधार करने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए। लेकिन शिवराज सिंह की जो मानसिकता है वो सामान्य वर्ग के पक्ष में नहीं हैं।

● नरोत्तम के कागज़ी भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के कारण और उबल गया है क्षत्रियों का खून

मामले को शांत करने की जगह भोपाल पुलिस ने मानो आग में घी डालने का काम कर दिया। इतिहास गवाह रहा है कि क्षत्रियों को प्रेम से समझा कर मना सकते हैं ना कि बल दिखाने से। भोपाल कमिश्नर मकरंद देउस्कर भोपाल के बढ़ते क्राइम को रोकने में तो असफल रहे हैं, पर इस मौके पर उन्होंने पुलिसिया ताव दिखाने में कोई कमी नहीं की जैसे जानवरों की बाड़ा बंदी की जाती है, भोपाल पुलिस ने वैसे ही करणी सेना के इस आंदोलन को कुचलने के लिए किया, इससे क्षत्रियों का रोष और गुस्सा ज्यादा भड़क गया। सरकार के इस धोखे और पुलिसिया कार्यवाही से चिड़कर उन्होंने असंभव सी मांगों की सूची पकड़ा मंत्री भदौरिया को दे दी, जिसपर उन्होंने असहमति भी जता दी। मंत्री भदौरिया की गलती और भोपाल पुलिस के अकारण एक्शन के कारण 2023 में ठाकुरों का वोट बैंक कहीं भाजपा से ना खिसक जाए।

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