दादा, अब पोता भी! पुत्र तो हो ही चुका : तमिलनाडु का किस्सा!!



--के. विक्रम राव,
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

अपनी समाधि (मरीना सागरतट, चेन्नई) में दफन एमके करुणानिधि प्रमुदित हो रहे होंगे कि उनका पोता उदयनिधि कल (14 दिसंबर 2022) अपने पिता स्टालिन की काबिना में मंत्री की शपथ लेगा। अर्थात तीसरी पीढ़ी के यह 45-वर्षीय युवा अब वली-अहद (युवराज) बन गए हैं। अगले मुख्यमंत्री भी। हालांकि स्वयं उदयनिधि पद नहीं चाहते थे। उनकी कई अधूरी फिल्मे पड़ी हैं। उन्हें पूरा करना है। मगर मां दुर्गावती की जिद है। इस साठ-वर्षीया साहित्यकार गृहणी की राय है कि यदि सोनिया गांधी 2009 में ही सरदार मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल गांधी को मंत्री बनवा देती तो उनके पुत्र के प्रधानमंत्री बनने की राह में इतने व्यवधान न आते। दुर्गा का अपने ससुर स्व. करुणानिधि से भी ऐसी शिकायत है। उनके 70-वर्षीय पति एमके स्तालिन को 20 वर्ष पूर्व ही काबीना में शामिल कर लेते तो अधिक सुविधा होती। अनुभव भी मिल जाता। काफी प्रतीक्षा के बाद उदयनिधि इस बार तमिलनाडु विधानसभा में चेन्नई से द्रमुक विधायक चुने गए हैं। दुर्गा का मानना है कि उनके पति को ससुर ने लम्बी प्रतीक्षा कराई। मगर अपने पुत्र उदयनिधि को वे ऐसी यातनाभरी प्रतीक्षा से बचाना चाहती थी। सफल हुई।

उनके इस संघर्ष में उनके दामाद सब्रीशन भी बड़े कारगर साबित हुए। वे अपने साले को अपने ससुर की भांति सियासी ऊहापोह की स्थिति में नहीं पड़े रहने देना चाहते थे। अतः उदयनिधि की माताश्री और जीजाश्री मकसद में सफल रहे। शपथ ग्रहण की तिथि भी तमिल का अत्यधिक पवित्र मुहूर्त है। (बुधवार, 14 दिसंबर)। इसी दिन अन्नामलाई पर्वत श्रृंखला पर भोलेनाथ शिव कार्तिगल दीपम प्रज्वलित करते हैं। समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यूं तो उदयनिधि का कुटुंब संपूर्ण फिल्म उद्योग में है। पर बहु दुर्गावती का आग्रह है कि राजनीति मे भी हो। वे धर्मप्रिय हैं। पति और ससुर द्वारा ईश्वर को मृत करार देने से वे हमेशा असहमत रहीं हैं।

करुणानिधि के राजकाल में ही समस्त मंदिरों मे दलितों को पुजारी नामित किया गया था। उनका नियंत्रण राज्य द्वारा किया गया। चोटी और यज्ञोपवति काटने का उनकी पार्टी ने अभियान चलाया था। ब्राह्मणवाद को नष्ट करने का लक्ष्य था। बड़ा विरोधाभास है इस दुर्गावती और उनके ससुराल वालों में। वे हर मंदिर में जाकर उपासना करती हैं। प्रत्येक पर्व मनाती हैं। एक बार तो त्यागराज मंदिर में उनकी पूजा-उपासना से विवाद उठा था। उन्हें इसके लिए खेद व्यक्त करना पड़ा था। अवसर था कि दुर्गावती के दर्शन पर जाने के वक्त वाला। उनकी पूजा पूरी हो गई थी। बारिश हो रही थी। एक मंदिर अधिकारी ने ईश्वर की प्रतिमा पर लगी छतरी को उतार कर मुख्यमंत्री की पत्नी को देकर उनकी कार तक पहुंचाया। इसका वीडियो खूब प्रचलित हुआ। आम श्रद्धालु आक्रोशित हो गए। इतना वीआपी सत्कार? पद के दुरुपयोग का आरोप भी लगा। विपक्ष ने मसले को जोरशोर से उठाया। आरोप लगा कि मुख्यमंत्री की पत्नी ईश्वर की मूर्ति से अधिक पूज्य नहीं हो सकती। इससे आम आस्थावान के हृदय को दुख पहुंचा है। यूं माता दुर्गावती का तर्क रहा कि यदि आलोचना होती है कि उनके द्वारा वंशवाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है तो यह इल्जाम दस वर्ष बाद भी लग सकता है। जब उतराधिकार की परिपाटी का पालन करते हैं तो अभी क्यों नहीं? प्रतीक्षा क्यों? बड़ा सटीक निर्णय था।

इतना ही नहीं कहीं मंत्री के रूप में विफल न हो जाए अतः इसके लिए समय रहते हर सावधानी बरती। शपथ के पूर्व अनुभव हेतु उदयनिधि की सहायता तथा परामर्श हेतु एक नामित कर दिया गया है। वे है कर्नाटक काडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक वर्धन शेट्टी जिन्होंने समय से पूर्व ही उन्होने अवकाश ले लिया था। शिक्षा से कानून तथा मकैनिकल इंजीनियर शेट्टी ने ब्रिटेन (बर्मिंघम) से प्रथम श्रेणी में एमबीए किया। हालांकि आईएएस से अवकाश की उनकी प्रार्थना को तमिलनाडु शासन ने खारिज कर दिया था। तब करुणानिधि की घोर शत्रु जयललिता मुख्यमंत्री थी। उनकी सरकार सर्वोच्च न्यायालय तक गई। शेट्टी को अवकाश नहीं दिया जाएगा। मगर केंद्र प्रशासनिक ट्रिब्युलन (सीएटी) से शेट्टी अपना दावा जीत चुके थे। अंततः प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर तथा न्यायमूर्ति विक्रमजीत सिंह की खंडपीठ ने जयललिता शासन की अपील खारिज कर दी थी। तो शेट्टी कल ही से उदयनिधि के विशेष सलाहकार तथा सहायक होंगे।

भले ही वंशवाद की परंपरा को थोपने की आलोचना होती हो पर अपने दादा तथा पिता से उदयनिधि भिन्न साबित हो सकते हैं। वे अत्यंत सफल अभिनेता, निदेशक और संवाद लेखक रहे हैं। यह सभी एक राजनेता के माफिक है। पिता की पार्टी द्रमुक की युवा मोर्चा के मुखिया के नाते वे चमके थे। बात गत नवंबर की है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। दरअसल वे कोरोना काल के दौरान जनसंपर्क अभियान चला रहे थे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि उन्हें कुछ घंटों बाद रिहा भी कर दिया गया था। उदयनिधि की गिरफ्तारी पर डीएमके ने नाराजगी जताई थी। निर्वाचन के लिए उदयनिधि ने अपने दादा के विधानसभा चुनाव क्षेत्र चेन्नई के चेपाॅक (क्रिकेट स्टेडियम के लिए ख्यात) को क्षेत्र चुना। वहीं से पहली बार ही जीते। चेपॉक विशेष रूप से डीएमके का गढ़ माना जाता है। एआईडीएमके गठबंधन से इस विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी (अभिनेत्री) खुशबू सुंदर को मैदान में उतारा था।

तमिलनाडु के राज्यपाल रवीन्द्र नारायण रवि ने राजभवन से निर्देश भी जारी कर दिया है। उदयनिधि की नियुक्ति का। बिहार के एक राजनेता के पुत्र, फिर भारतीय केरल काडर के पुलिस सेवा गुप्तचर विभाग के अवकाशप्राप्त अधिकारी रवि जी पटना में पत्रकार भी रहे। हाल ही में द्रमुक शासन ने राज्यपाल रवि की वापसी की मांग भी केंद्र से उठाई थी। अब आम तमिल राजनेताओं का मानना है कि जयललिता के निधन से अन्नाद्रमुक तो क्षीण हो गई। शशिकला को शीर्षक तक पहुंचने में कठिनाई होगी। अतः कालांतर मे उदयनिधि का मुख्यमंत्री बनना भी संभव है। उनकी पत्नी कृतिका भी फिल्म निर्मात्री हैं मगर राजनीति मे रुचि है। किन्नरों पर बनी उनकी कृति से उन्हें ख्याति मिली थी। परिवार की परम्परा के अनुसार वे भी महत्वाकांक्षी क्यों न हो?

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