42 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचारी संजीव दुबे पर सरकार की मेहरबानी, कार्यवाही के बजाय इनाम के तौर पर दी मलाईदार पोस्टिंग



--विजया पाठक (एडिटर - जगत विजन),
भोपाल-मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

प्रदेश को नशा मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रही शिवराज सरकार को कितनी सफलता हासिल हुई यह कहना बहुत मुश्किल है। क्योंकि न तो शराब माफियों पर कोई अंकुश लगा है और ना ही इन माफियों को बढ़ावा देने वाले अफसरों पर। जी हां हम बात कर रहे सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे की। संजीब दुबे एक ऐसा शख्स है जो करोड़ों रुपए अकेले ही डकार लेने में सक्षम है। आपको बता दे कि जिस संजीव दुबे के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की मांग विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता करते आए है। उसी संजीव दुबे को चुनाव के बाद कमलनाथ सरकार ने संरक्षण देते हुए उसे भोपाल में सहायक आबकारी आयुक्त की मलाईदार पोस्टिंग दी थी।

दरअसल संजीव दुबे ने ग्वालियर, इंदौर में कार्य करते हुए सरकार के खजाने में करोड़ों रुपए की सेंध लगाई है। खास बात यह है कि संजीव दुबे का यह कारनामा किसी से छुपा नहीं लेकिन अपने रसूख के लिए खास पहचान रखने वाले संजीव दुबे के खिलाफ सरकार ने जवाबी कार्यवाही के तौर पर सिर्फ या तो इनके तबादले किए है या फिर नोटिस देकर जबाव मांगा। न तो कभी उनसे रिकवरी की गई और ना ही इनको सेवा से मुक्त करने जैसा आदेश निकाला।

जाहिर है इस तरह के भ्रष्टाचारी व्यक्तियों का हौंसला तब और बढ़ जाता है जब सरकार महज मूक दर्शक बनीं इनके द्वारा रचे गए तमाशे को देखती है। दरअसल तीन साल पहले संजीव दुबे द्वारा किया गया आबकारी राजस्व घोटाला काफी चर्चा में रहा। संजीब दुबे ने ट्रेजरी के चालानों में हेराफेरी कर आबकारी राजस्व में 40 करोड़ से ज्यादा का घोटाले की साजिश रची। इस मामले में तत्कालीन वित्तमंत्री जयंत मलैया ने इंदौर के सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे सहित सात अधिकारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे। जबकि जिले के आबकारी मुखिया होने के नाते आबकारी राजस्व की जिम्मेदारी संजीव दुबे की थी। चालानों की जांच नहीं करने और घोटाले में मिलीभगत के आरोप में सरकार ने तीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी, दो निरीक्षक और दो लिपिक को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए। संजीव दुबे इस आदेश के खिलाफ कोर्ट चले गए। कुछ समय बाद ही विवादित संजीव दुबे को ईनाम के तौर पर धार जिले में सहायक आबकारी आयुक्त की पोस्टिंग दी गई।

जाहिर है करोड़ों रुपए इधर से उधर करने में माहिर संजीव दुबे के इस कारनामे में राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप रहा है। तभी संजीव जैसे भ्रष्टाचारी व्यक्ति खुलेआम इस तरह की कार्यशैली को अपनाते हुए प्रदेश को खोखला करते जाते है।

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