--डॉ• इंद्र बली मिश्रा,
काशी हिंदू विश्वविद्यालय,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
पौराणिक काल के सबसे बड़े सिविल इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, इस वर्ष 17 सितंबर को कन्या संक्रांति है। इसी दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी।
भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्यों और लोकपालों के साथ ऋग्वेद में है। इस तरह भगवान विश्वकर्मा की मान्यता पौराणिक काल से भी पहले मानी जाती है। सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण व सृजन का देवता माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।
मान्यताओं के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि विश्वकर्मा की पूजा से जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तु की संतान थे। वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, रावण की लंका, इंद्र के लिए वज्र समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है।