--- भगवान स्वरूप कटियार।
यात्राएं प्राचीन काल से ही हमारे जीवन का अटूट हिस्सा रहीं हैं | इतिहास गवाह है कि दुनियाँ की सभ्यताओं और संस्कृतियों के विकास में यात्राओं की भूमिका बेमिसाल रही है |ह्वेनसांग-फाह्यान से लेकर इब्नबतूता तक और मार्कोपोलो से लेकर कोलम्बस और वास्कोडिगामा तक हर युग में यात्रियों के दृढ़ संकल्प और साहस ने इतिहास में नये अध्याय जोड़े हैं | घुम्मकड़ों का मानना है यह दुनियाँ और पूरी श्रष्टि एक खुला विश्वविद्यालय है जिसकी खुली हसीन वादियाँ और अलग - अलग मिजाज और तहजीब के लोग खुली किताबों की तरह हैं | जरुरत है इन्हें पढ़ने के लिए एक बेहतर खोजी नजरिये की और एक अच्छे सोच की | वैज्ञानिक और दार्शनिक किताबों से ज्यादा कुदरत के व्यवहार से सीखते हैं और उस पर पैनी नज़र के जरिये अपने आविष्कार करते हैं और पैदा होते हैं गोर्की –प्रेमचन्द ,न्यूटन, आइन्स्टाइन और चार्ल्स डार्विन जैसे महान लेखक और वैज्ञानिक | पण्डित राहुल संस्क्रत्यायन के घुम्मकड़ शास्त्र ने हम जैसे हजरों लोगों को देश –दुनियाँ को जानने-समझने के वास्ते घुम्मकड़ी के लिए प्रेरित किया | किसी शायर का उनके द्वारा उद्ध्रत किया गया यह शेर –“सैर कर दुनियाँ की गाफिल जिन्दगानी फिर कहाँ / जिन्दगानी गर रही तो यह जवानी फिर कहाँ / घुम्मकड़ों और घुम्मकड़ी की दुनियाँ का एक लोकप्रिय मुहाबरा बन गया | प्रकृति जितनी खुबसूरत और आकर्षक है उतनी ही कठोर और निर्मम भी | पर फिर भी न यात्राएं कभी रुकी और न ही यात्राओं पर निकलने का जुनून कभी थमा | हमारे भीतर घुम्मकड़ी की प्यास हमें प्रेरित करती है कि अच्छी-भली घर की आरामदायक जिन्दगी को छोड़ कर असुविधाओं और खतरों में अपने आपको झोंक दें | चर्चित लेखक सतीश कुमार की मशहूर किताब “आदमीं दर आदमी” हम घुम्मकड़ों और यायावरों के लिए किसी बाइबिल से कम नहीं है | सतीश कुमार ने पूरी दुनियाँ का सफ़र बिना पैसे के पैदल ढाई साल में पूरा किया | उनकी यह किताब “आदमी दर आदमी” इसी वैश्विक पद यात्रा का मार्मिक एवं खुबसूरत व्रतांत है जो गाँधी की समाधि से शुरू हो कर कनेडी की समाधि पर खत्म होता है |
इन्ही दुर्गम और साहसी यात्राओं पर आधारित एक बड़ी खुबसूरत और मार्मिक हालीवुड फिल्म है “ इन टू दि वाइल्ड ” | यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है | इस फिल्म का हीरो एक नौजवान क्रिस्टोफ़र मैक्डलस है | वह अपने माँ –बाप की मानसिकता और सोच को पसन्द नहीं करता और वह सोचता है कि उसके माता –पिता सुख साधनों में डूबे रहने वाले घटिया सोच वाले स्वार्थी लोग हैं जो दूसरों का उपयोग करते हैं | क्रिस्टोफर उनकी राह पर नहीं चलना चाहता है और कहता है कि हमे नहीं चाहिए ऐसे माता-पिता और उनकी सम्पत्ति | वह समस्त क्रेडिट कार्ड और सम्पत्ति से सम्बंधित दस्तावेज नष्ट कर देता है और अपनी सारी सम्पत्ति जरूरतमंदों को दान कर देता है | सबसे नाता तोड़ कर वह निकल पड़ता है एक अन्तहीन यात्रा पर | इस अन्तहीन यात्रा में उसे अत्यंत जोखिम ,कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं और अन्त में इसी यात्रा में उसकी मृत्यु भी हो जाती है | क्रिस्टोफर की यह सारी यात्रा अलास्का के आसपास घटित होती है और वहीँ उसकी मृत्यु हो जाती है | यह फिल्म बयां करती है कि यात्राएं कितनी कीमत वसूल करती हैं | आखिर यह कैसा जुनून है कि सुदूर ध्रुवों और हिमानी पर्वत शिखरों की एवरेस्ट विजयों के अभियान में आदमी शहीद होता रहा |
मैं ने खुद ही अपनी पैंसठ साल की छोटी सी जिन्दगी में देश -दुनियाँ की अनेक यात्राएं की हैं | मैंने कभी सोचा नहीं था कि इतना घूम पाऊंगा | दुनियाँ को जानने-समझने की लालसा तो बचपन से ही मेरे भीतर जन्म ले चुकी थी | पर इसे एक खर्चीला व्यसन समझ कर कभी पूरा न होने वाला सपना मान लिया था | पर यात्रा करते हुए जाना कि यायावरी के लिए पैसे से ज्यादा जरुरी है जिन्दगी जीने का एक फकीराना अन्दाज और बेलौस जिन्दगी जीने की गहरी प्यास | फिर साधन तो जुट ही जाते हैं | जोखिम और कठिनाइयाँ तो संगी साथी बन साथ -साथ चलने लगती हैं | मैंने अब तक देश का लगभग हर कोना कश्मीर से कन्याकुमारी तक छान मारा है और यूरोप ,अफ्रीका और एशिया के चालीस से अधिक देशों की यात्रा कर चुका हूँ | वैसे तो अपना देश ही यूरोप के लगभग बराबर है | मैं अपनी यात्राओं को लिपिबध्द भी करता रहता हूँ | मेरे पास यात्रा संस्मरणों और उससे सम्बन्धित फोटो- वीडियो का एक बड़ा जखीरा है जिसे मैं धीरे –धीरे पुस्तकों और डाक्युमेंटरीज में तब्दील करा रहा हूँ |
यायावरी की पहली और जरुरी शर्त है स्वस्थ शरीर यानी अच्छी सेहत जिसके लिए मैं खुद भी बहुत मशक्क्त करता हूँ | साइकिलिंग ,जौगिंग, व्यायाम ,योगाभ्यास और अंकुरित अनाज, एवं मौसमी फलों आदि का नियमित सेवन मेरी दिनचर्या का हिस्सा है | यात्राओं में पैदल चलने और चढ़ाई और उतराई का गहन अभ्यास जरुरी है | मैंने साइकिल रेस और मैराथन में चैम्पियनशिप हासिल की है | वैसे तो मैंने व्हील चेयर पर घूमते यायावरों को भी देखा है | कमाल की उनकी इच्छा शक्ति और उनके जुनून को मैं सेल्यूट करता हूँ | इन तमाम यात्राओं में सबसे स्मरणीय हैं मेरी पद यात्राएं जो मुझे आज भी रोमांचित करती हैं | ये यात्राएं है २००६ में की गयी कैलाश मानसरोवर की अठ्ठाइस दिन की पैदल यात्रा जो पिथौरगढ़ के एक गांव से शुरू होकर बाईस हजार फूट ऊंचाई पर कैलाश पर्वत तक जाती है जहाँ ऑक्सीजन बेहद कम होती है और तापमान शून्य या उससे भी कम होता है | यह यात्रा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है जिसमें चीन सरकार का वीजा भी चाहिए होता है | क्योंकि कैलाश पर्वत चीन की सीमा में है और इस यात्रा का आधे से ज्यादा का सफर चीन में ही तय करना होता है | इसमें चयनित होना भी किसी सिविल परीक्षा को पास करने से कम कठिन नहीं है | और दूसरी यात्रा है २००८ में पोलैंड के दो मित्रों के साथ एक हफ्ते की पिंडारी ग्लेसियर यात्रा | इन यात्राओं में जितना जोखिम था उतना ही रोमांच | कैलाश यात्रा में मेरा पांच किलो वजन कम हो गया था और तेज बर्फीली हवाओं से होंठ फट गये थे और चेहरा काला पड़ गया था | पिंडारी ग्लेसियर यात्रा के दौरान तो तेज वर्षात के कारण लकड़ी का वह पुल ही बह गया था जिस पर होकर हमें पिंडारी नदी पार कर पिण्डारी ग्लेसियर पहुंचना था | मुश्किल तब हुई जब पुल बह जाने की खबर मीडिया के जरिये मेरे परिवार वालों को पता चल गयी | फिर क्या था पत्रकार मेरी बेटी प्रतिभा ने हंगामा मचा कर रख दिया | सारा मीडिया और प्रशासन हमारी खोज में लग गया | फोन वहाँ काम नहीं करते थे | घर आया तो सबने बात करना बन्द कर दिया | शिवी ने मेरे कान में चुपके से कहा नानू सब लोग आप से बहुत गुस्सा हैं | वह बोली नानू आप ऐसी कठिन यात्राएं क्यों करते हैं जहाँ इतना खतरा होता है ? मेरा बेटा शानू बोला पापा आप सिर्फ खुद के नहीं हैं हम सबके भी हैं कुछ | मैंने कहा कि किसे पता होता है कि यात्रा में कब क्या हो जाय ? गुडिया बोली बन्द करिये पापा यह सब खतरों से खेलना | हम लोगों पर क्या गुजरती है आप सोच भी सकते हैं ? मम्मी कितना परेशान थीं आपको पता भी है ? मैं एक अपराधी की तरह सबके आरोप सुन रहा था उन्हें कुबूल भी कर रहा था | तो यात्राएं कभी –कभी अपराध भी बन जाती हैं भले ही नेक इरादों से क्यों न की जायें |
यात्राओं ने हमेशा जुड़ने –जुड़ाने का सन्देश दिया है | यात्राएं प्रेम की सच्ची संवाहक होती हैं और वह भी निस्वार्थ और निश्छल प्रेम की क्योंकि उन्हें हम खुद चुनते हैं | वास्तविक प्रेम हम खुद चुनते हैं या फिर चुन लिये जाते हैं किसी के द्वारा जो हमारी दुनियाँ ही बदल कर रख देता है | विरासत में या समाज से मिला प्रेम, पारम्परिक प्रेम होता है जो हमें जीने ऊर्जा तो देता है पर वह हलचल नहीं मचाता जो चुना हुआ प्रेम मचाता है | यह निश्छल प्रेम हमने पिंडारी ग्लेसियर यात्रा के दौरान पहाड़ के बुजुर्गों और बच्चों से मिल कर महसूस किया | यात्राओं की स्मृतियाँ एक यायावर के लिए मधुर यादों की एक ऐसी धरोहर होती है जो उसे तमाम गहन दुखों में भी खुशियों की ठंडी हवा की तरह सहलाती है | मैं खुद भी जब कभी अपनी कैलाश यात्रा ,पिंडारी ग्लेसियर यात्रा ,रोहतांग पास यात्रा,अंडमान यात्रा या फिर चीन,जापान,रूस, सिंगापुर,मलेशिया,थाईलैंड ,श्रीलंका,नेपाल,भूटान,स्वीडन,फिनलैंड ,नार्वे ,स्विट्जरलैंड ,रोम,वेटकन सिटी ,फ्लोरेंस ,वेनिस,पिसा लीनिंग टावर ,लन्दन,स्कॉटलैंड, पेरिस ,बर्लिन , या फिर दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन ,जोनहस बर्ग ,सन सिटी के वीडियो या फोटोग्राफ देखता हूँ तो गुजरा हुआ समय सजीव हो उठता है | यात्रा के साथी,वहां के मनोरम द्रश्य,वहां के स्थानीय साथियों से क्षणिक दोस्ती की यादें यहाँ तक कि वहां के परिन्दों,वन्य जीवों और प्यारे –प्यारे नन्हें बच्चों के साथ गुजारे कुछ पल आवाज देकर बुलाने लगते हैं | कैलाश मानसरोवर यात्रा में मुझे अपनी गाइड डोलमा की याद कभी नहीं भूलती जो महज मेरी गाइड ही नहीं बल्कि मेरी अच्छी दोस्त और सांस्कृतिक विमर्श की सक्रिय हिस्सेदार थी | उसके पास घोड़ा था पर पूरा सफ़र उसने हम लोगों के साथ पैदल ही तय किया | उसकी माँ नेपाली और पिता तिब्बती थे | वह चीनी ,तिब्बती ,नेपाली ,अंग्रेजी और हिंदी अच्छी तरह बोल सकती थी | उसे भारतीय फ़िल्मों के गाने बहुत पसंद थे और वह भारतीय फ़िल्में के गाने गाती भी अच्छा थी | इसी तरह पिंडारी ग्लेसियर यात्रा में पोलैंड के साथियों एनिया और लुकाज की याद कभी नहीं भूलती जिनके साथ मैंने एक हफ्ते के दुर्गम पर्वतीय सफर में सीना छलनी करने वाली बर्फीली हवाओं को सहा | बीस –बाईस साल के बहुत प्यारे और खुशमिजाज युवा थे दोनों | हम आपस में इतना घुलमिल गये थे कि भाषा का बैरियर जैसे कभी था ही नहीं | साथ –साथ खाना –पीना और एक ही बिस्तर पर सोना और सर्दी से बचने के लिए लकड़ियाँ जला कर रात गुजारना बेहद मार्मिक क्षण लगते हैं वे गुजरे हुए पल | भारतीय भोजन दाल-चावल बड़े चाव से खाते थे वे दोनों हमारे साथ | उनका कहा एक वाक्य अभी भी दिलोदिमाग को गहरे रोमांच से भर देता है – आप भारतीय लोग बहुत भाग्यशाली हैं क्योंकि आपके पास हिमालय है | पर हम भारतीयों ने इसे कब समझा है और कार्पोरेट पूंजी ने बजरिये राजनीति हिमालय की जो दुर्गति की है उसके परिणाम हमें और हमारी पीढ़ी को भोगने ही होंगे |
गत वर्षों २०११ में एशियाई देशों की यात्रा में मलेशिया से सिंगापुर की ६०० -७०० कि मी की सड़क यात्रा बेहद रोमांचकारी लगी | मीलों के क्षेत्रफल में फैले सिंगापुर का जुरांग बर्ड पार्क परिंदों का अद्भुत संसार है | यहाँ दुनियाँ के हर प्रजाति के परिन्दे देखने को मिलते है | यहाँ ओपन एयर थियेटर में परिंदों के शो भी होते हैं | यहाँ समुद्र के किनारे रेत में बने ओपन एयर थियेटर में “सॉंग ऑफ़ दि सी “ की रोमांचक प्रस्तुति मन को मोह लेती है | सिंगापुर के संटोसा आइलैंड में दो वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल में फैला युनिवर्सल स्टूडियो सिंगापुर की शान और पहचान है | यह पेरिस के डिज्नीलैंड से टक्कर लेता दिखता है | जापान यात्रा के दौरान जापानियों के हौसले और अनुशासित जीवन की जो झलक देखने को मिली उससे कोई भी विस्मय में डूब सकता है| राष्ट्रीय निष्ठा की मिसाल है जापान | देशभक्ति और राष्ट्रनिष्ठा वह होती है जो प्रत्यक्ष दिखे न कि भारत की तरह जुमलों और निर्दोषों की हत्याओं में दिखें | जापान के हिरोशिमा शहर में जब शान्ति स्मारक देखा तो दिल दहल गया और एक अमेरिकन तो वहाँ के परिद्रश्य में खोकर फूट –फूट कर रोने लगा | सबने मिल कर उसे सम्भाला | यह शहर ०६ अगस्त १९४५ को अमेरिकी एटोमिक हमले का शिकार हुआ जिसमें एक लाख तीस हजार लोग मारे गये थे और लाखों लोग झुलस कर घायल हो गये थे | हिरोशिमा शहर का नब्बे फीसदी हिस्सा ध्वस्त हो गया था जिसका नया निर्माण किया गया है | सिटी ऑफ़ पीस उसका नामकरण किया गया है | द्वितीय विश्व युध्द की इस एटोमिक त्रासदी की गहरी खरोचों को एक पीस मेमोरियल संग्रहालय और पार्क बना कर खुबसूरत और व्यवस्थिति ढंग से संरक्षित किया गया है जिसे देख कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आँखें डबडबा जाती हैं|
इसी तरह चीन की दीवार (ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना) को देख कर मैं स्तब्ध रह गया | दुनियाँ के आठ महान आश्चर्यों में यह ग्रेट वाल नम्बर वन है | चीन की दीवार चीन के नागरिकों के राष्ट्रीय चरित्र और राष्ट्रीय व्यक्तित्व का प्रतीक है और वहाँ का राष्ट्रीय चिन्ह भी है | शानदार स्थापत्य के साथ चार हजार कि मी लम्बी चीन की पहचान यह महान दीवार मनुष्य के सामुदायिक साहस और श्रम का अद्भुत नमूना है | इसके बीच –बीच में वाच टावर बने हैं | इसे पश्चिमी ओर से होने वाले बाहरी हमलों को रोकने के लिए सैकड़ो साल में बनवाया गया था | इस महान दीवार की तीन किलो मीटर की ऊंचाई तक मैं भी चढ़ा और उस ऊंचाई से चीन के नागरिकों की कर्मठता के इतिहास की ऊंचाई देखता रहा | चीन के बारे में कहा जाता है चीन का सौ साल का इतिहास देखना है तो शंघाई को देखिये और हजार वर्ष का इतिहास देखना है तो बीजिंग को देखिये और चार सौ साल का इतिहास देखना है तो शियान शहर को देखिये |
हिन्द महासागर का एक छोटा सा द्वीप श्रीलंका जो कभी सिलौन हुआ करता था अपने खुबसूरत समुद्र तटों के लिए पूरी दुनियाँ के पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है | सुबह छ: बजे गोल्डी चार्ली बीच की सुनहरी रेत में घूमते हुए नीले हिन्द महासागर की ऊंची –ऊँची लहरों पर मछुवारों की सवारी रोमांचित तो करती है और यह भी एहसास दिलाती है कि रोटी –रोजी के कितने जोखिम हैं | सुबह की ठंडी हवा और चिघ्घाड मारता समुद्र का शोर कुदरत की खूबसूरती और उसके स्वाभाविक रौद्ररूप का एहसास कराता है | श्रीलंका के समुद्र तट ,चायबागान और सांस्कृतिक मेले सैलानियों को बार –बार आने का न्योता देते हैं | नेपाल हमारा पडोसी देश है | कई बार नेपाल मुझे भारत से भी अधिक भारतीय लगता है | नेपाल अपनी प्राचीन संस्कृति को अभी भी संजोये हुए है जबकि हम भारतीय इतना आधुनिक हो गये हैं कि गौरवशाली परम्पराओं को भी भुला बैठे हैं | नेपाल यात्रा मैंने अपनी पत्नी तारा के साथ की थी | वाया गोरखपुर –सुनौली हम बहरवा पहुंचे वहां से पोखरा जाना था फिर वहां से काठमांडू | बुटवल से पोखरा के बीच एक सत्रह –अठारह साल का नेपाली युवक हमारे वैन में सवार हुआ | हल्की –फुल्की काया वाले इस नवयुवक के हाँथ में सारंगी की शक्ल का एक लोक वाद्य था जिसे वह धनुष को फेर कर उँगलियों से बजा रहा था | किसी लोकधुन पर वह नेपाली लोकगीत बजा और गा रहा था |उसके गायन और सारंगी वादन में मर्मस्पर्शी माधुर्य था | उसकी मासूमियत और डूब कर गाने की शैली में जो साम्य था उसने वैन के सभी यात्रियों मुग्ध कर दिया था | नेपाल यात्रा का यह लोकपक्षीय द्रष्टान्त पूरी यात्रा को यादगार बना गया |
यूरोप के बड़े और मशहूर देशों जैसे इंग्लैण्ड ,फ़्रांस ,जर्मनी ,इटली ,स्विटजरलैंड के अलावा भी यूरोप में और भी देश हैं जो नैसर्गिक सौन्दर्य और अपनी अन्य खूबियों के कारण सैलानियों को आकर्षित करते हैं जिनके नाम हैं फिनलैंड ,स्वीडन ,डेनमार्क ,हंगरी ,चेक रिपब्लिक आस्ट्रिया आदि | इन स्कैन्डविआई और पूर्वी यूरोप के देशों की यात्रा का अपना सुख है | स्कैन्डनेविया का अर्थ है पानी से घिरा द्वीप | छोटी आबादी और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले ये देश अपनी सम्रध्द आर्थिक स्थिति, जनता की खुशहाली और समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए पूरी दुनियाँ में अपनी पहचान बना चुके हैं |बाल्टिक सागर से घिरा फिनलैंड यूरोप की सबसे कम मात्र पचास लाख की आबादी वाला और क्षेत्रफल के हिसाब से यूरोप का सातवां बड़ा देश है | यह बहुत कठिन भौगोलिक परिस्थियों वाला देश है जहाँ औसत तापमान -१५ डिग्री रहता है | नवम्बर से फरबरी तक यह तापमान घट कर -४५ से -५० तक पहुँच जाता है | यहाँ पांच सौ साल पुराने गाँव और बाजार उसी रूप में देख्नने को मिलते हैं | यहाँ चर्च भी इनकम टैक्स देती हैं | फिनलैंड में लगभग दो लाख झीलें हैं और घने जंगलों वाला देश है | यही वह देश है जिसके कुछ इलाकों में दस महीने रात और दो महीने दिन रहता है | वैसे भी फिनलैंड की राजधानी हेल्सेंकी में रात में ११ बजे के बाद ही सूरज डूबता है |
फिनलैंड की राजधानी हेल्सेंकी से स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम तक का क्रूज यानी समुद्री जहाज से अठारह घंटे का एक हजार कि मी का सफर बेहद यादगार और दिलकश था | सात मंजिला यह जहाज पानी पर तैरता एक आलीशान शहर था जिसमें शौपिंग मॉल , कैसिनों ,बार ,रेस्त्रां ,जिम और बच्चों के लिए खेलने के गेम उपलब्ध थे | यात्रियों के लिए कमरे थे जिसमें टायलट और स्नानगृह भी थे | रात में ११ -१२ बजे जहाज के सबसे ऊपरी तल पर खुले आकाश के नीचे सैकड़ों यात्रियों का वहां बजते संगीत की मस्ती में झूमना इस बात का एहसास दिला रहा था लोग कितने वैश्विक और खुले दिलोदिमाग के हैं जहाँ सभी सरहदें ढह जाती हैं | वहां की आसपास की बस्तियां समुद्र पर तैरती सी दिखती बड़ी दिलकश लगती थीं | हनीमून पर आये जोड़े इस दुर्लभ नैसर्गिक सौन्दर्य में डूबे पारस्परिक प्यार का जाम भी पी रहे थे | स्वीडन यानी डायनामाईट के जनक एल्फ्रेड नोबेल का देश जहाँ प्रति वर्ष शान्ति ,साहित्य ,विज्ञान ,समाजसेवा के क्षेत्र में दुनियाँ का सबसे बड़ा नोबेल सम्मान दिया जाता है | स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम शहर बाल्टिक सागर के तट पर बसा स्थापत्य सौन्दर्य का अद्भुत नमूना है | इस देश में एक लाख झीलें और तीन सौ चर्च हैं | और यहाँ की फिल्म इंडस्ट्री का सौ साल का इतिहास भी बेमिसाल है |
फिनलैंड की तरह नार्वे भी सबसे कम मात्र पचास लाख की आबादी वाला देश है | इसकी राजधानी ओस्लो और बर्गन शहर बेहद खुबसूरत हैं| यहाँ अपराध दर सबसे कम है | सिर्फ चार पुलिस कर्मी पूरे बर्गन शहर की कानून व्यवस्था सम्भालते हैं | नार्वे बहुत शान्ति प्रिय देश है और इसीलिए नोबेल शान्ति सम्मान नार्वे की राजधानी ओस्लो में प्रदान किया जाता है | डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों के शहर रूप में मशहूर है| डेनमार्क घनी आबादी पन्द्रह लाख की जनसंख्या वाला शहर है | डेनमार्क अपने शहरी और ग्रामीण ,आधुनिक और प्राचीन सौन्दर्य और परम्पराओं का देश है जो अपनापन बांटता रिश्तों के साथ जीना सिखाता है | यहाँ संयुक्त परिवार आज भी हैं | यहाँ के समाज में पारम्परिक समाज और आधुनिक समाज का एक अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है |मेरी यूरोप यात्रा में वेनिस और फ्लोरेंस की स्मृतियाँ सबसे अधिक स्मरणीय हैं | जिसमें वेनिस तो बेमिशाल है | कोलंबस ने नयी दुनियाँ की खोज की यात्रा यहीं से शुरू की थी |वेनिस में लोग पैदल या छोटी –छोटी नावों से घर ,दफ्तर और बाजार जाते है | वहां सड़के और कैनाल्स हैं | यह अजूबा और बेहद खुबसूरत नहरों और पानी की गलियों का शहर हैं जहाँ कोई पैट्रोल वाहन नहीं चलता है | वेनिस पेंटिंग,नाटक और फिल्मों के वैश्विक प्रदर्शन का शहर है | वैश्विक कला का केंद्र वेनिस पानी में तैरता एक स्वप्नलोक सा दिखता है और रात में तो यह सजी –धजी दुल्हन सा लगता है | फ्लोरेंस और वेटिकन सिटी तो महान मूर्तिकार माइकिल एंजेलो की मूर्ति कला के खुले संग्रहालय हैं जहाँ आज भी उनकी चहल कदमी की गूंज सुनाई देती है | दुनियाँ की सबसे कम आबादी वाला मात्र आठ- नौ सौ नागरिकों का देश वेटिकन सिटी स्वयं में एक खुबसूरत और अजूबा है जो दुनियाँ की इसाइयत का वैश्विक हेड क्वार्टर है और महान मूर्तिकार माइकल एंजेलो की मूर्तिकला का अद्भुत कोलाज है | फ्लोरेंस की गलियां इतनी सकरी हैं कि वहां वाहन ले जाना प्रतिबंधित है | वैसे तो पूरे यूरोप में ही सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी तरह के वाहन प्रतिबंधित होते हैं पर साइकिल एलाऊ है | यहाँ भी माइकल एंजेलो अपनी कलात्मक भव्यता के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं | कहते हैं यह पूरा शहर बाढ़ में डूब गया था जिसे फ्लोरेंस वासियों पुन: उसी तरह खड़ा कर दिया | यह वही फ्लोरेंस है जहाँ फ्लोरेंस नाइटेंगिल पैदा हुईं थीं जिन्होंने दुनियाँ में सबसे पहले मरीजों की तीमारदारी नर्सिंग सेवा की बुनियाद रखी | द्वितीय विश्वयुद्ध में फ्लोरेंस नाइटेंगिल घायल सैनिकों को लैंप लेकर देखने और उनकी तीमारदारी करने जाती थीं इसलिए उन्हें लेडी विद दि लैंप भी कहते हैं |
हुसैनीवाला शहीद समाधि यात्रा जो मैंने २०१२ में लखनऊ के मित्रों के साथ की थी बेहद यादगार और रोमांचक यात्रा थी | यह वही जगह है जहाँ २३ मार्च १९३० को राजगुरु,सुखदेव और भगत सिंह को फांसी देने के बाद उनका अन्तिम संस्कार किया गया था | इन महान बलिदानियों की फांसी के बाद उनके शव देश की जनता को नहीं सौंपे गये थे ताकि देश में गुस्से और आक्रोश की आग न भड़के | उनके शवों के टुकड़े कर इधर –उधर फेंक दिया गया था जिन्हें उनके साथियों ने देशवासियों की मदद से बीन –बटोर कर अंग्रेजी हुकुमत से छिपते-छिपाते इसी हुसैनीवाला गांव में सतलज के किनारे अन्तिम संस्कार किया और उनकी हड्डियों को इसी सतलज में प्रवाहित किया था | आजादी के बाद इसी हुसैनीवाला गांव में उन तीनों क्रांतिकारियों की समाधि बनायीं गयी | वर्ष १९७१ की लड़ाई में पाकिस्तानी फ़ौज फिरोजपुर तक घुस आयी थी और उसने शहीदों की समाधियों को भी निस्तनाबूत कर दिया था | बाद में हमारी सेना ने पाकिस्तानी फौजों को पीछे खदेड़ दिया और इछ्गुल नहर का वह पुल भी उड़ा दिया जिस पर होकर पाकिस्तानी फौजें आयीं थीं | इस यात्रा का हर लम्हा इतिहास और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत था | फिरोजपुर के युवा किसान दोस्त सरदार कृपाल सिंह की मेहमान नवाजी ने इस यात्रा को और भी यादगार बना दिया | भारत का स्कॉट्लैंड मेघालय और अरुणाचल की यात्रा तो आल इण्डिया रेडियो के एक्जीक्युटिव साथी प्रतुल जोशी के कारण ही सम्पन्न हो सकी जो बिहू उत्सव देखने के लिए अक्सर बुलाते रहते थे | नॉर्थ ईस्ट मुझे शुरू से आकर्षित करता रहा है | गंगटोक ,कलिम्पोंग और दार्जिलिंग मैं इसके पहले ही घूम चुका था | यही कुछ यादें और सन्दर्भ हैं मेरी यात्राओं के जो मेरी खुद की कमाई हुई एक मात्र पूंजी है | इसमें बराबर इजाफा होता रहे मैं इस कोशिश में लगा रहता हूँ |