--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■आखिर बंशीलाल राठौर एवं उनकी पत्नी कृष्णा राठौर को मुख्यमंत्री मोहन यादव के अत्याचार से कौन बचाएगा?
■क्या उज्जैन में हर काम में है मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके परिवार का इन्वॉलमेंट?
■महाकाल की धरती पर मुख्यमंत्री यादव बने भू-माफिया, निर्बल पर सत्ता का बल प्रयोग
आज जब देश में लोकसभा और राज्यसभा में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संविधान दिवस को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मना रही है और उसके गौरव को लेकर ''संविधान पर चर्चा की जा रही है'' उसके ठीक उलट नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाये गये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव प्रदेश में असंवैधानिक कार्य में लगे हुए हैं। प्रदेश में किसी भी मजलूम पर हुए अत्याचार पर न्याय दिलाने की जिम्मेदारी प्रदेश के मुखिया अर्थात मुख्यमंत्री पर होती है पर उसके ठीक उलट मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद गरीबों की जमीन हड़प कर उनको जेल भिजवाने का काम कर रहे हैं। प्रदेश की बिडंबना है कि आज सरकार के एक साल पूरे होने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री और उनके परिवार उज्जैन क्षेत्र में भू-माफिया जैसा व्यवहार कर रहे हैं। इसके एक उदाहरण बंशीलाल राठौर है। दरअसल बंशीलाल के पूर्वजों की जमीन जो कि तीन बत्ती चौराहे के पास करीब पांच बीघा थी उसकी फर्जी रजिस्ट्री, नामांतरण और मूल दस्तावेज गायब करवाकर करोड़ों-अरबों रूपयों का एसएन कृष्णा अस्पताल खोला गया। इसके साथ ही प्रशासन का दुरूपयोग कर मूल जमीन के मालिक को जेल करवा दी एवं उसके परिवार का हुक्का पानी तक बंद करवा दिया।
जिसकी कहानी स्वयं बंशीलाल राठौर की पत्नी कृष्णा राठौर ने व्यक्त की है जो कि इस प्रकार है-
"आज से चार पांच साल पहले कोरोनाकाल के समय जब मुख्यमंत्री मोहन यादव शिवराज सरकार में शिक्षामंत्री थे। उन्होंने उज्जैन में मेरी जमीन हड़प ली। वह लोगों के कार्नर की जमीनों को भी हड़पते हैं। मेरे पति को बार-बार झूठे केस में जेल में डाल देते हैं। मैं बोलती हू कि मेरा सबकुछ ले लो लेकिन मुझे छोड़ दो। मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव के अत्याचार से पीड़ित हूं। चक्की चलाकर गुजारा करती हूं। एवं बार-बार तंग करने के लिए जल्दी-जल्दी आठ-आठ दिन में पेशी कराई जाती है। जिससे मेरी रोजी रोटी बंद हो जाये। पूर्व टीआई तरून कुरील (थाना नीलगंगा उज्जैन) जो कि मोहन यादव का स्कूल मित्र है। वह मुझे डराता, धमकाता है। टीआई भी इनसे मिला है। बिना पढ़े कागजों पर दस्तखत करवाता है। एक लाख रूपये मांगता है। एसआई बड़ोनिया के साथ मिलकर आये दिन मुझे तंग करते हैं। पैसों की मांग करते हैं। मैं हर रोज के कोर्ट कचहरी से परेशान हो गई हूं। यह जमीन मेरी पुश्तैनी है। मेरे पति इस संपत्ति के इकलौते वारिस हैं। अभी भी मेरे पति को झूठे 420 के केस में जेल में बंद कर दिया है। आज जब मैं आपसे (विजया पाठक) मिलने आ रही थी तब किसी अज्ञात मोटर साईकिल वाले ने मुझे धक्का मारा जिससे मेरे सिर में चोट आई है और मैं बाल-बाल बच गई। मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं परिवार सहित आत्महत्या कर लूंगी।
• मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन में जमीनें हड़पकर बनाया साम्राज्य
ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव पर कृष्णा राठौर ने जमीन घोटाले का आरोप लगाया है। इससे पहले भी सिंहस्थ जमीन घोटाला हुआ था जिसमें मोहन यादव का नाम सामने आया था। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद मामला रफा-दफा हुआ था। इनकी पार्टी के पूर्व मंत्री पारस जैन ने खुद मोहन यादव पर आरोप लगाये थे। महाकाल की नगरी के जमीन घोटाले में मोहन यादव का नाम अक्सर आता है। कृष्णा राठौर के मामले में न्याय मिलना चाहिए, इस मामले में भाजपा आलाकमान भी हस्तक्षेप करें ताकि उज्जैन में हो रहे जमीन घोटालों पर कुछ हद तक लगाम लग सके। सूत्रों का कहना है कि उज्जैन में कोई भी बिल्डर काम नहीं करना चाहता है क्योंकि बिल्डर्स को डर लगा रहता है कि कहीं यह विवादित जमीन तो नहीं है। वहीं प्रशासन भी निरंकुश बना हुआ है। कोई भी प्रशासनिक अधिकारी ऐसे मामलों में हाथ नहीं डालना चाहता है और लोगों की सुनवाई तक नहीं करते हैं। पुलिस का खौफ भी इतना है कि कई मामलों को वह खुद ही निपटा देते हैं।
• कैसे आलाकमान के आशीर्वाद से बने मुख्यमंत्री बने मोहन यादव
कोई सवा साल पहले किसी को बिल्कुल भनक भी नहीं थी कि मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। सुरेश सोनी ने संघ की तरफ से और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोहन यादव का नाम नरेंद्र मोदी के सामने रखा और उनका मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बड़ा सवाल यह है क्या नरेंद्र मोदी और आलाकमान के सामने ऐसे मामलों को सामने रखा गया था कि नहीं और अगर मोहन यादव और उनके परिवार, समर्थकों की 700-800 बीघा और ना जाने कितनी संपति 2003 के बाद कैसे बनी, क्या इसकी जांच पड़ताल की गई थी। अगर आलाकमान इस मामले को संज्ञान में नहीं लाएगी तो निश्चित तौर पर आलाकमान को यदुरप्पा जैसी शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी। निश्चित तौर पर एक मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले देश में नरेंद्र मोदी की साख में बट्टा ज़रूर लगाएगी।