भविष्य की राजनीति में क्या कांग्रेस कर पाएगी वापसी ?



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

●कमलनाथ की विरासत पर भाजपा सवार, 2028 में कांग्रेस की राह, अनुभव और युवा तालमेल पर निर्भर

● कमलनाथ की राजनीतिक समझ, निर्णय क्षमता और विकास का दृष्टिकोण कांग्रेस को मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है

मध्यप्रदेश की राजनीति में बदलाव की आहटें अभी से सुनाई दे रही हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों में भले ही सत्ता भाजपा के हाथ में हैं, लेकिन सूबे की राजनीतिक फिज़ा में अब भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की नीतियों और निर्णयों की गूंज बरकरार है। राजनीति संभावनाओं का खेल है। 2023 में कांग्रेस को भले ही झटका लगा हो, लेकिन प्रदेश की जनता के बीच कांग्रेस की नीति और कमलनाथ की कार्यशैली आज भी प्रभावशाली मानी जाती है। अगर कांग्रेस नेतृत्व अनुभव और युवाओं के बीच सही तालमेल बैठा पाए तो 2028 के चुनाव में वह एक बार फिर सत्ता के समीकरण बदल सकती है। कमलनाथ की राजनीतिक समझ, उनकी निर्णय क्षमता और विकास के प्रति उनका दृष्टिकोण आज भी कांग्रेस को एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है। अब यह कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वे इस विरासत को किस प्रकार आगे ले जाते हैं।

• कमलनाथ सरकार की योजनाओं को भुना रही बीजेपी सरकार

सियासी गलियारों में आज भी यह चर्चा आम है कि भले ही वर्तमान में डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री पद संभाल रहे हों, लेकिन उनके द्वारा लिए जा रहे कई फैसलों की जड़ें कमलनाथ की पिछली सरकार के नवाचारों और विकास नीति में ही छिपी हैं। कमलनाथ को भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जो संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व कौशल दोनों में सिद्धहस्त हैं। 2018 में जब उन्होंने प्रदेश की कमान संभाली थी, तो उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कई साहसिक फैसले लिए। चाहे वह किसानों की कर्जमाफी हो, उद्योगों को आकर्षित करने के लिए निवेश सम्मेलन हों या शहरी विकास के लिए नई योजनाएं, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, भोपाल एवं इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्‍ट- हर स्तर पर कमलनाथ ने प्रदेश को प्रगतिशील दिशा देने की कोशिश की। उनकी कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वे संगठन के सभी नेताओं को साथ लेकर चलते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस में गुटबाजी के बावजूद कमलनाथ को एक सर्वमान्य नेता माना जाता है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करते हुए युवाओं को भी आगे बढ़ने का अवसर दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद बनाए रखना और निर्णय प्रक्रिया में सामूहिकता लाना उनके नेतृत्व की पहचान रही है।

राजनीति में श्रेय की लड़ाई नई नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है। कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं जैसे ‘एक जिला-एक उत्पाद’, ‘इंडस्ट्रियल कॉरिडोर’ और ‘नवाचार आधारित कृषि मॉडल’– अब भाजपा सरकार के एजेंडे का हिस्सा बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन्हीं योजनाओं को नए नाम और ढांचे में आगे बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कमलनाथ के विकास मॉडल ने प्रदेश में एक नई सोच की नींव रखी थी, जिसे भाजपा अब विस्तार दे रही है। मसलन, कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘शहरी रोजगार गारंटी’ कार्यक्रम को अब ‘मुख्यमंत्री रोजगार योजना’ के नाम से पुनः प्रस्तुत किया गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और नगरीय प्रबंधन में लाए गए बदलावों की बुनियाद आज भी पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में ही रखी गई थी।

• 2028 के चुनाव की तैयारी में अनुभव और युवा का तालमेल ही रास्ता

कांग्रेस के सामने अब 2028 का विधानसभा चुनाव एक बड़ा लक्ष्य है। अगर पार्टी को सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे अनुभव और युवाओं के तालमेल को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाना होगा। कमलनाथ जैसे अनुभवी नेता के मार्गदर्शन में कांग्रेस यदि युवा नेतृत्व को सशक्त करती है और संगठनात्मक ढांचे को जिला और बूथ स्तर तक मजबूत करती है तो वह भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनता अब केवल नारों और वादों पर नहीं, बल्कि नेतृत्व की स्पष्टता और नीति के धरातल पर वोट करती है। कांग्रेस को चाहिए कि वह कमलनाथ के कार्यकाल की उपलब्धियों को सही तरीके से जनता के बीच ले जाए और यह बताने में सफल हो कि भाजपा जो आज कर रही है, उसकी योजना असल में कांग्रेस ने बनाई थी।

आज मध्‍यप्रदेश में संगठन स्‍तर पर कांग्रेस की दशा दिखाई दे रही है उसमें एकता और समरूपता नही है। सरकार के विरोध में खड़ा दिखाई नहीं देता। वर्तमान में ऐसे कई मुददे हैं जिन पर सरकार को दमदार तरीके से घेरा जा सकता है लेकिन प्रदेश अध्‍यक्ष जीतू पटवारी और उनकी टीम कोई ऐसा बड़ा आंदोलन ही नहीं कर पा रहे हैं जिससे सरकार सकते में आ सके।

• कमलनाथ की राजनीतिक शैली, दूरदर्शिता और नवाचार

कमलनाथ के नेतृत्व की एक और विशेषता रही है– दृष्टिकोण में स्थायित्व और कार्यों में नवीनता। उन्होंने केवल राजनीतिक निर्णय ही नहीं लिए, बल्कि प्रशासनिक सुधारों की भी नींव रखी। उदाहरण के लिए, उनकी सरकार ने 'राइट टू वॉटर' जैसी योजना पर काम शुरू किया था, जो हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना थी। इस विचार को भाजपा सरकार अब 'हर घर नल' योजना के माध्यम से आगे बढ़ा रही है। कमलनाथ ने अपने कार्यकाल में यह भी दिखाया कि वे केवल राजधानी केन्द्रित नहीं, बल्कि गांव और कस्बों की जरूरतों को समझने वाले नेता हैं। उनकी ग्राम पंचायत सशक्तिकरण योजना, कृषि यंत्रीकरण नीति और स्थानीय कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने वाली योजनाएं इसका प्रमाण हैं।

• कांग्रेस के लिए रणनीतिक दिशा क्या हो सकती है?

जनता के बीच सही संदेश पहुंचाना - कांग्रेस को कमलनाथ की नीतियों और उपलब्धियों को सही परिप्रेक्ष्य में जनता के बीच पहुंचाना होगा। सोशल मीडिया और जनसभाओं के माध्यम से यह बताना कि जिन योजनाओं पर आज भाजपा काम कर रही है, वे असल में कांग्रेस की सोच का परिणाम थीं।

नीतिगत स्पष्टता और संगठित कार्यशैली - संगठन को ज़मीनी स्तर तक मजबूती देने और नीति निर्माण में सभी नेताओं की सहभागिता जरूरी है। कमलनाथ की संगठनात्मक समझ इस दिशा में कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।

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