नया प्रदेशाध्‍यक्ष न बनाने से पार्टी में पनप रही अंतर्कलह



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

●टूटने लगे विरोधियों के सब्र के बांध

●पोस्‍टर-होर्डिंग में छोटी फोटो लगाने पर भी वीडी शर्मा को आपत्ति

●वीडी शर्मा को नहीं हटाया तो पार्टी को होगी मुश्किलें

बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा के कारण मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल पा रहा है। सत्‍ता और संगठन में वीडी शर्मा खटकने लगे हैं। नया प्रदेशाध्‍यक्ष न बनाने से पार्टी में अंतर्कलह पनपने लगी है। वहीं विरोधियों के सब्र का बांध भी अब टूटने लगा है। खासकर वह नेता जो बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष पद के दावेदार हैं और काफी दिनों से इसकी लालसा रखे हुए हैं। यह नेता भले ही सार्वजनिक रूप से वीडी शर्मा का विरोध न कर पा रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर वीडी शर्मा की कार्यशैली और अहंकार से परेशान हैं। पिछले कई महीनों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रदेश का नया प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया जायेगा। लेकिन यह केवल अटकलें मात्र बनकर रह जाती हैं।

15 फरवरी 2020 को वीडी शर्मा को प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया था। जिनका कार्यकाल बहुत पहले ही खत्‍म हो चुका है। बावजूद इसके उनका कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा है। जिस कारण इस पद की रेस में आस लगाए बैठे नेता अंदर ही अंदर विरोध में हैं। निश्‍चित ही पार्टी हाईकमान की इस अनदेखी का खामियाजा पार्टी को 2028 के आम चुनावों में उठाना पड़ेगा।

• क्‍या खुद को सबसे बड़ा मानने लगे हैं वीडी शर्मा?

संगठन हो या सत्‍ता, वीडी शर्मा खुद को सबसे बड़ा नेता मानने लगे हैं। जब ही तो पिछले दिनों भाजपा संगठन की एक बैठक में पोस्‍टर-होर्डिंग में छोटी फोटो लगाये जाने पर ऐतराज जता रहे थे। यहां उनका अहम जाग रहा था। उन्‍होंने साफ तो नहीं लेकिन इशारों ही इशारों में अन्‍य पदाधिकारियों और नेताओं को जता दिया कि वही प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं और पोस्‍टर-होर्डिंग में उनका ही फोटो बड़ा लगना चाहिए। यहां पर एक बात का जिक्र करना जरूरी है। भले ही इनके कार्यकाल में प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया हो, लेकिन वीडी शर्मा को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए की पार्टी का बेहतर प्रदर्शन उनके कारण हुआ है। बल्कि बीजेपी की लहर और नरेन्‍द्र मोदी-शिवराज सिंह चौहान-कैलाश विजयवर्गीय के चेहरे पर प्रदेश में बीजेपी को जीत हासिल हुई है। वह तो केवल पार्टी के अध्‍यक्ष थे। सत्‍ता हासिल करने में उनका कोई रोल नही था। इस गलत फहमी से उनको जितनी जल्दी हो बाहर निकल आना चाहिए।

• संगठन को खड़ा करने में नाकाम वीडी शर्मा

वीडी शर्मा की नाकामियों में एक इज़ाफ़ा यह भी है की उन्‍होंने प्रदेश में संगठन को खड़ा करने में काफी कोताही बरती है। अपने कार्यकाल में करीब 11 माह बाद तो उन्होंने जिला स्‍तर पर संगठन खड़ा किया था, जिससे जिला स्‍तर पर कई गुट तैयार हो गये। कह सकते हैं कि उन्‍होंने संगठन के कार्य में कोई दिलचस्‍पी नही दिखाई बल्कि अपनी नेतागीरी जमाने में लगे रहें। आज भी वह खुद के अलावा किसी को तवज्‍जो ही नही देते हैं। हाल ही में प्रदेश स्‍तर पर संगठन के पद भरे गये हैं उसमें भी काफी विरोधाभास देखने में मिला है। वीडी शर्मा ने अपने चहेतों को ही इन पदों पर बिठाया है। यहां तक सत्‍ता के लोगों की पसंद को भी तवज्‍जो नही दी गई। इसके अलावा इनके चरित्र को लेकर भी समय-समय पर प्रश्‍नचिंह लगते रहे हैं।

• भूपेंद्र सिंह की तीखी प्रतिक्रिया से समझें अंतर्कलह

बीजेपी में समय-समय पर कलह की खबरें सामने आती रही हैं और अब एक बार फिर ऐसा ही कुछ होता दिख रहा है। पार्टी के अंदरुनी विवादों में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का नाम सामने आ रहा है। यह मामला दिसम्‍बर 2024 का है। जब पूर्व मंत्री भूपेन्‍द्र सिंह ने एक मंत्री और प्रदेशाध्‍यक्ष को कठघरे में खड़ा कर दिया था। उस समय भूपेन्‍द्र सिंह ने कहा था कि एक मंत्री जानबूझकर पार्टी कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह ने कहा, 'वीडी शर्मा को पार्टी में आए हुए 5 से 7 साल हुए हैं। वे इससे पहले एबीवीपी में काम करते थे।' वीडी शर्मा ने अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं रखा।

• क्‍या वीडी शर्मा को मिल रहा सामान्य वर्ग का फायदा?

वीडी शर्मा सामान्‍य वर्ग से आते हैं। वहीं मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। शायद पार्टी जातियों के समीकरण को बिठाने के कारण ही वीडी शर्मा को अभी तक ढो रही हो। ऐसा इसलिए माना जा सकता है क्‍योंकि प्रदेश में सामान्‍य वर्ग का बहुत बड़ा तबका है, जो सत्‍ता और संगठन में भी अपना प्रभाव रखता है। जाति के संतुलन को बनाये रखने के कारण भी अभी तक नये प्रदेश अध्‍यक्ष पर फैसला नहीं हो पा रहा है।

• 05 साल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की संपत्ति में आया उछाल

वीडी शर्मा की बीते 05 साल में संपत्ति 04 गुना से ज्यादा बढ़ी है। 05 साल पहले वीडी शर्मा की संपत्ति करीब 68 लाख और पत्नी की कुल चल-अचल संपत्ति को मिलकर करीबन 01 करोड़ रुपए थी, जिसमें अब 04 गुना से ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। वीडी शर्मा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने नामांकन के साथ संपत्ति का ब्यौरा पेश किया था। उस समय वीडी शर्मा की नगदी, बैंक बैलेंस सहित कुल चल संपत्ति 21 लाख 37 हजार 581 रुपए और पत्नी स्तुति शर्मा की 17 लाख 49 हजार 240 रुपए बताई थी। निश्चित ही अब समय आ गया है कि पार्टी हाईकमान जल्‍द से जल्‍द प्रदेश में अध्‍यक्ष का चेहरा बदले। नहीं तो बहुत देर हो जायेगी। क्‍योंकि पार्टी के अंदर और संगठन के अंदर वीडी शर्मा का काफी विरोध होने लगा है। अंदर ही अंदर कई नेताओं ने गुट पनपने लगे हैं जो आने वाले समय में नुकसान दायक साबित होंगे।

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