--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
●चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली बीजेपी के नेताओं को क्या हो गया है?
●विजय शाह, जगदीश देवड़ा, रामचंद्र जांगड़ा के बाद प्रवक्ता प्रेम शुक्ला के भी बिगड़े बोल
●बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने तो भाषा की मर्यादा को कर दिया तार-तार
●सत्ता के नशे में चूर नेताओं के बोल हो गये बेलगाम
●पार्टी की विचारधारा और सिद्धांतों को चकनाचूर करने पर तुले गली छाप नेता
चाल, चरित्र और चेहरे का बखान करने वाली बीजेपी के नेताओं को क्या हो गया है कि प्रतिदिन किसी न किसी विषय पर ऐसी टिप्पणी कर देते हैं कि पूरी मर्यादाएं तार-तार हो जाती हैं। मप्र के मंत्री विजय शाह और जगदीश देवड़ा का एपिसोड अभी खत्म भी नहीं हुआ कि बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने भाषा की मर्यादा की सारी हदें पार कर दी। प्रेम शुक्ला ने ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया कि हम यहां इस मीडिया के प्लेटफार्म पर इसका उल्लेख भी नहीं कर सकते। दुखद है परन्तु यही सत्य है। भाजपा नेता अब अपने असली चाल, चरित्र और चेहरा दिखाने लगे हैं। कल्पना करिये एक नेशनल चैनल की लाइव डिबेट में एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला के प्रति इनकी भाषा ऐसी है अन्य जगहों पर इनका रूप क्या होता होगा। विचारणीय है। एक गलीछाप गुंडे की भाषा का प्रयोग करके प्रेम शुक्ला ने दर्शा दिया कि वह किस स्तर के नेता हैं। सत्ता के नशे में चूर नेताओं के बोल बेलगाम हो गये हैं। इन्हें न तो पार्टी की छवि से मतलब है और न ही पार्टी की विचारधारा से। अपने आप को तानाशाह समझने वाले इन नेताओं को पार्टी के पुरोधाओं से जरूर सीख लेनी होगी जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी खुद को अमर्यादित नहीं होने दिया।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, कुशाभाउ ठाकरे, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नरेन्द्र मोदी जैसे समर्पित नेताओं की विचारधारा और सिद्धांतों से पार्टी आज इस मुकाम तक पहुंची है। जिन्होंने राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति को कभी को अपमानित नहीं होने दिया। लेकिन आज के ये गलीछाप नेता पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा को चकनाचूर करने पर तुले हुए हैं। इन नेताओं को नहीं भूलना चाहिए सिद्धांतवादी नेताओं की बदौलत ही ये आज मंच पर बैठने लायक हैं।
• संगठन की सीख का बीजेपी के नेताओं पर नहीं हो रहा असर
देश में आरएसएस का बहुत बड़ा नेटवर्क है। और इसमें कई बुद्धिमान और सहनशील लोग विराजमान हैं। जो समय-समय पर बीजेपी के नेताओं को और सत्तासीनों को मार्गदर्शन देते रहते हैं। लेकिन लगता है पार्टी के नेताओं को इनकी सीख का कोई असर नहीं हो रहा है। आज भी बीजेपी संगठन के पदाधिकारी अमर्यादित भाषा का उपयोग नही करते हैं। जो भी अशोभनीय बयान आते हैं वह केवल बीजेपी के नेताओं के ही आते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या संगठन और पार्टी दो अलग-अलग धुरी पर चल रही है। जहां एक तरफ मर्यादा है, सहनशीलता है तो दूसरी तरफ अमर्यादित व्यवहार है, बेलगाम बयानबाजी है।
• गली छाप नेताओं को प्रशिक्षण देने की क्या जरूरत?
कुछ दिन बाद मध्यप्रदेश के बीजेपी नेताओं को अपने व्यवहार और बयानबाजी सुधारने के लिए प्रशिक्षण आयोजित होने वाला है। इस प्रशिक्षण में गृहमंत्री अमित शाह समझायेंगे कि नेताओं को कैसा व्यवहार करना है, कैसी बयानबाजी करना है। वगैरह-वगैरह। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या बीजेपी सत्ता की इतनी लालची हो गई है कि वह इन गलीछाप गुंडों की भाषा का प्रयोग करने वालों को सुधारने में लग गई है? क्या पार्टी में आज अच्छे नेताओं की कमी हो गई है कि इन्हें ढोना पड़ रहा है? क्या पद पर बिठाने के पहले इनके चाल, चरित्र और चेहरे को नही देखा गया? ऐसे तमाम सवाल हैं जो पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं।
• प्रेम शुक्ला द्वारा की गई किसी की मां पर टिप्पणी माफी लायक नहीं
एक डिबेट में प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने मां पर जो टिप्पणी की है वह कतई ही माफी लायक नहीं है। ऐसी टिप्पणी पर तो मर्डर तक हो जाते हैं। मां किसी की भी हो वह मां होती है। देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता ने जो टिप्पणी है वह गलीछाप गुंडा ही कर सकता है। लेकिन अभी तक पार्टी की ओर से प्रेम शुक्ला के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही हुई है। शुक्ला को तुरंत पार्टी से बाहर कर देना चाहिए। जो अन्य नेताओं के लिए भी एक सबक हो।
• मोदी और शाह ने क्यों साधी चुप्पी?
आश्चर्य करने वाली बात यह है कि देश की सेना पर जगदीश देवड़ा, विजय शाह द्वारा दिये गये बयान पर अब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कोई बयान नहीं आया है। तीनों की चुप्पी इस बात की ओर इशारा तो नहीं करती कि इससे आने वाले समय में पार्टी पर कोई बड़ा संकट आ जाये। क्योंकि मंत्रियों के बड़बोलेपन से जुड़े बयान देने पर यह कहीं न कहीं सरकार का अपने मंत्रियों के ऊपर अनियंत्रण के संकेत देता है।
• सवाल बीजेपी के चाल, चरित्र और चेहरे पर उठ रहे
खुद को सशक्त देशभक्ति पार्टी के रूप में देश में झंडे बुलंद करने वाली भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार नेताओं के बेतुके बयानों से न सिर्फ प्रदेश भाजपा बल्कि राष्ट्रीय स्तर के नेता और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी स्वयं भी परेशान हैं।
• विजय शाह पर अभी तक कोई कार्रवाई होती दिखाई नहीं दी
विजय शाह के बयान से न सिर्फ पूरे देश में गुस्सा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर मप्र हाईकोर्ट के न्यायाधीश तक खुद नाराज हैं। यही कारण है कि शाह पर एफआईआर दर्ज करने से लेकर उन्हें बर्खास्त करने तक की कार्यवाही के निर्देश कोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और संगठन को दिये। कुल मिलाकर विजय शाह का खौफ भाजपा नेताओं में ऐसा है कि कोई नेता उनसे इस विषय पर बात नहीं कर रहा है।