डीबीएल के पूर्व छात्र डॉ बोधिसत्ता घोष छात्र-छात्राओं के दाँतों की कर रहे सुरक्षा



हावड़ा-पश्चिम बंगाल
इंडिया इनसाइड न्यूज।

डॉन बॉस्को स्कूल, लिलुआ, हावड़ा के पूर्व छात्र रहे प्रसिद्ध दन्त चिकित्सक डॉ बोधिसत्ता घोष छात्र-छात्राओं के दाँतों को सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। डॉन बाॅस्को के सांध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं को इसका लाभ प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाले दन्त चिकित्सा जाँच शिविर से होता चला आ रहा है। डॉन बॉस्को एल्यूम्नी के सदस्यों की विशेष उपस्थिति, सक्रियता व निष्ठापूर्वक सेवा के कारण छात्र-छात्राओं को उच्च कोटि की दन्त चिकित्सा जाँच सहित औषधीय सामग्री भी उपलब्ध करायी जाती है।

इसी क्रम में गुरुवार 26 जुलाई, 2024 को भी दन्त चिकित्सा जाँच शिविर का आयोजन हुआ। डॉ बोधिसत्ता घोष व डाॅ सोमक साहा ने लगभग दो घण्टों तक अनेक छात्र-छात्राओं के दाँतों की जाँच की। इस दौरान एक मनोहर दृश्य देखने को मिला। एक छोटे से विद्यार्थी ने अपने दाँत में होने वाले दर्द से डाॅ घोष को अवगत कराया। उस दौरान ऐसा लग रहा था कि वह नन्हा बालक अपने दाँत के लिए चिन्ता में है। डॉ घोष ने उसके दाँतों की जाँच की, उसका पर्चा भी लिखे और उसको समझा भी रहे थे। डॉ घोष ने उसे ठीक से मंजन करने की सलाह दी और उसे 2 डब्बे मंजन के भी दिए। नन्हा बालक मंजे पाते ही चिन्तामुक्त दिखा, साथ ही उसके चेहरे पर मीठी मुस्कान भी देखी गयी। ऐसा महसूस हुआ कि मानो उसके दाँत करीबन ठीक होने के कगार पर पहुंच गए थे।

ज्ञात हो कि बेलूर के प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. बोधिसत्ता घोष, जो जीएनआईडीएसआर, कोलकाता के पूर्व व्याख्याता भी हैं, फादर डेविस वेलियान (रेक्टर, डॉन बॉस्को स्कूल लिलुआ), फादर संजय मनोहर कुजूर (प्रधानाचार्य, डॉन बॉस्को स्कूल, लिलुआ) की उपस्थिति में डीबीएल एल्यूम्नी अध्यक्ष विश्वनाथ त्रिवेदी, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, पूर्व छात्र प्रांतीय कमल अग्रवाल और डीबीएल टीम के पूर्व छात्र सेवाभाव से तत्पर दिखे।

● दांतों के बारे में

दांत हमारे पाचन तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वो भोजन को निगलने से पहले उसे काटने, फाड़ने और पीसने में मदद करते हैं। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए, नियमित रूप से दंत चिकित्सक से मिलें और घर पर अच्छी मौखिक स्वच्छता का अभ्यास करें।

औसतन 3 साल की उम्र तक बच्चे के 20 पर्णपाती दांत होते हैं। लगभग 6 से 7 साल की उम्र के बीच, पर्णपाती दांत निकलने लगते हैं और स्थायी दांत निकलने लगते हैं। लगभग 21 साल की उम्र तक, औसत व्यक्ति के पास तीसरे दाढ़ (ज्ञान) दांत सहित 32 स्थायी दांत होते हैं। हमारे सभी दांत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और सामान्य तरीके से चबाने, काटने और फाड़ने के लिए उनकी उचित देखभाल करना महत्वपूर्ण है। चार अलग-अलग प्रकार के दांत होते हैं: कृंतक, रदनक, प्रीमोलर और मोलर।

कैल्शियम स्वस्थ दांतों के लिए सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है क्योंकि यह आपके इनेमल को मजबूत करने में मदद करता है। आप जानते होंगे कि डेयरी उत्पाद कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत हैं, लेकिन पत्तेदार साग, बीन्स और बादाम भी कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत हैं।

प्लाक रात और दिन, दांत पर लगातार जमा होता जाता है। दांत साफ करने के बाद, लगभग 24 घंटों के भीतर दांत की सतह पर प्लाक बनने लगता है। लगभग 72 घंटों के बाद, प्लाक सख्त होने लगता है और टार्टर बन जाता है। चूंकि प्लाक दांतों को सड़ाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है, इसलिए हर दिन ब्रश और फ्लॉस करके इसे हटाया जाना चाहिए।

समुद्र शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों के 32 दांत होते हैं वे बहुत भाग्यशाली होते हैं। ऐसे लोग सत्य को मानते हैं और असत्य से दूरी बनाए रखते हैं।

एक कथानूसार जब भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए, लेकिन गणेश जी ने भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया, परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया। तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए। गणपति बप्पा को ही एक दंत भगवान के नाम से जाना जाता है।

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
इ-अखबार - जगत प्रवाह
  India Inside News