हमारे कान की सुनने की क्षमता 80 डेसिबल होती है



जयपुर-राजस्थान,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ बदलती जीवनशैली से प्रभावित हो रही सुनने की क्षमता, ईएनटी चिकित्सकों ने जताई चिंता

■ विश्व श्रवण दिवस पर विशेष

बदलते दौर में कोरोना, लॉकडाउन और बदलती जीवनशैली में सामान्य से अधिक लोगों को बहरेपन का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर युवाओं और बजुर्ग वर्ग में यह समस्या अधिक है और जो विद्यार्थी हैड फोन या इयर-बड्स लगाकार आनॅलाइन कक्षाएं लेते है, वे भी इससे प्रभावित है। जोकि हम सभी के लिए बेहद चिंताजनक है। विश्व श्रवण दिवस की पूर्व संध्या पर राज्य के ईएनटी चिकित्सकों, सुखम फांउडेशन व एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने इस समस्या पर गहरी चिंता जताई है।

सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि विश्व श्रवण दिवस पर देश दुनियां में इसको लेकर कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम होत है, लेकिन इस जागरुकता के साथ आमजन को भी स्वतः ही जागरुक होना होगा, तभी इस तरह की समस्या से निपटा जा सकेगा।

डा. सिंघल ने बताया कि सुनने की समस्या पहले या तो जन्मजात होती थी या फिर जो लोग तेज धमाकों या तेज आवाज के साथ काम करते थे उन्हे इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद शिक्षण संस्थाओं की आनॅलाइन कक्षाओं में जो विद्यार्थी ईयर फोन या इयर-बड्स का उपभोग करते है, उन्हे भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हमारे कान की सुनने की क्षमता 80 डेसिबल होती है, लेकिन आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोग अपनी सुनने की क्षमता को ही खो बैठते हैं। जीवन के सभी चरणों में अच्छी श्रवण शक्ति और संचार महत्वपूर्ण है।

उन्होने बताया कि इसके साथ ही बदलती जीवनशैली में लोग अपने वजन पर काबू नहीं रख पाते और मोटापे से ग्रसित लोगों में भी बहरेपन का खतरा अधिक होता है।

डा. सिंघल ने बताया कि देशभर में प्रति एक हजार बच्चों में से 4 से अधिक बच्चों को बहरेपन का सामना करना पड़ रहा है। इन बच्चों को समय पर सुनने की जांच न मिल पाने के कारण ये आवाज से वंचित रह जाते है। इसके लिए नवजात शिशु की जांच अनिवार्य हो और इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया जाए जिसमें सुनने की जांच हो सके।

■ वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान

इसलिए विश्व श्रवण दिवस पर सुखम फांउडेशन व एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्तत्वाधान में वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान का आगाज वर्ष 2020 में किया गया था। यह अभियान देशभर में चलाया जा रहा है। इस अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन को एक लाख पेस्टकार्ड देश के विभिन्न हिस्सों से बच्चों के द्वारा भेजे जा रहे हैं।

■ सरकार से अपील

सुखम फांउडेशन व एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्तत्वाधान में वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान की ब्रांड अंबेसडर लिपि ने कहा कि सभी को सुनने का अधिकार है, तभी वे जीवन में विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सकते है। इसलिए नवजात शिशु की सुनने की जाँच से बच्चों का सम्पूर्ण जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से निरंतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्वन से श्नीओनेटल हीयरिंग स्क्रीनिंगश् को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाने की मांग की जा रही है।

■ सोशल मीडिया से होगी जागरुकता

प्रदेश के ईएनटी चिकित्सकों व संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा देशभर से 3 मार्च 2021 को ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान चलाया जाएगा।

■ ये रखे सावधानियां

सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि सभी को अपनी जीवनशैली मे सुधार करना चाहिए। जिसमें खासतौर पर खानपान और अपनी दैनिक जीवन की आदतों में बदलाव करें। इसके साथ हमेशा तेज पटाखों के शोर, तेज आवाज, ईयर फोन, ईयर बट्स से दूरी बनाए रखे।

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
राष्ट्रीय विशेष
  India Inside News