मोहाली, 11 दिसम्बर 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि जल जीवन का स्रोत है और मानव को प्रकृति का उपहार है। उन्होंने कहा कि पानी की बचत करने और उसे संरक्षित करने के प्रयास सामूहिक रूप से, सभी स्तरों पर, एकीकृत और स्थिर ढ़ंग से किये जाने चाहिए।
श्री देवव्रत मोहाली में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में ‘स्थायी जल प्रबंधन’ के बारे में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। इसका आयोजन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तत्वावधान में भाखड़ा ब्यास प्रंबधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि पानी की प्रत्येक बूंद से अधिक फसल उगाने के लिए उसका किफायती इस्तेमाल करने और प्राकृतिक खेती अपनाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि भूमिगत जल के पुनर्भरण के लिए मिट्टी के मित्र केंचुओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें 20 कंपनियों ने स्थायी जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी गतिविधियां दर्शाने के लिए अपने स्टाल लगाए हैं। इस अवसर पर बीबीएमबी के बारे में एक लघु फिल्म ‘भाखड़ा ब्यास नेशन्स प्राइड’ की सीडी भी जारी की गयी।
भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव यूपी सिंह ने कहा कि सम्मेलन का लक्ष्य सरकार, वैज्ञानिक और शैक्षिक समुदाय सहित विभिन्न प्रतिभागियों के बीच भागीदारी और सहयोग मजबूत करना है ताकि जल प्रबंधन के लिए स्थायी नीतियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष एस मसूद हुसैन ने ‘भारत के जल संसाधन प्रबंधन संबंधी उपायों’ के बारे में जानकारी प्रदर्शित की। बीबीएमबी के अध्यक्ष डीके शर्मा ने भाखड़ा बांध के बारे में आलेख प्रस्तुत किया, जबकि नीदरलैंड के डॉ• कीज बोन्स ने पूर्ण सत्र के दौरान जल संसाधन आयोजना और प्रबंधन के अंतर्राष्ट्रीय अनुभव विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत किया।
दो दिन के इस सम्मेलन में भारत और विदेशों के अनेक विशेषज्ञ और प्रतिष्ठित संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, स्पेन, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, कनाडा, जर्मनी, श्रीलंका आदि के प्रतिनिधि शामिल हैं।
इस सम्मेलन का ब्यौरा एनएचपी वेबसाइट - http://nhp.mowr.gov.in/Conference/home.aspx. पर उपलब्ध हैं।