ऑपरेशन सिंदूर: लोकसभा में चर्चा में भाग लेने वाले कांग्रेस सांसदों में थरुर शामिल नहीं



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में हुई विशेष चर्चा में भाग लेने वाले कांग्रेस सांसदों में शशि थरुर शामिल नहीं हैं। शशि थरूर, जिन्होंने भयावह पहलगाम आतंकी हमले के बाद सबसे महत्वपूर्ण आउटरीच प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, कांग्रेस पार्टी और अपने विचारों और तीखी आलोचना के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ सांसद के बीच बढ़ती आंतरिक दरार की खबरों के बीच, इतनी महत्वपूर्ण बहस से उनकी अनुपस्थिति ने लोगों को चौंका दिया है।

हालांकि, कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी ने उनसे बहस में भाग लेने के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि श्री थरूर ने कहा कि वह पार्टी लाइन, जो ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर हमला करना था, पर कायम नहीं रह सकते। उन्होंने पार्टी को बताया कि वह ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के अपने रुख का खंडन नहीं करेंगे। सूत्रों ने बताया कि श्री थरूर के इस दावे के बाद कि वह केवल ऑपरेशन सिंदूर के समर्थन में बोलेंगे, पार्टी ने उन्हें बहस में शामिल नहीं करने का फैसला किया।

इससे पहले, जब एक पत्रकार ने श्री थरूर से यह जानने की कोशिश की कि क्या वह आज संसद में बोलेंगे, तो उन्होंने सवाल टाल दिया और चले गए। उनकी पार्टी की सहयोगी रेणुका चौधरी, जो अभी-अभी वहाँ पहुँची थीं और उनसे बात की थीं, ने कहा कि श्री थरूर "संवैधानिक रूप से कहीं भी बोलने के लिए अधिकृत हैं। मैं कौन होती हूँ अनुमति देने वाली?"

इससे पहले पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी कमेटी की पिछले सप्ताह हुई बैठक में शशि थरुर शामिल होने से परहेज किया। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की थी। 21 जुलाई से शुरू होने वाला संसद के मॉनसून सत्र में पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में सोनिया गांधी के अलावा मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, के सी वेणुगोपाल और कमिटी के अन्य सदस्य शरीक हुए। हालांकि बैठक में कमिटी के तीन सदस्य शरीक नहीं हुए जिनमें लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई और व्हिप मणिकम टैगोर शामिल हैं। लेकिन पार्टी नेता शशि थरूर के भी बैठक में नहीं पहुंचने पर चर्चाएं शुरू हो गईं। थरूर भी पार्टी की संसदीय रणनीति समूह के सदस्य हैं।

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा विपक्ष की माँग के बाद शुरू हो रही है। यह चर्चा 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमला करने के महीनों बाद शुरू हुई है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सदन में उनके उपनेता गौरव गोगोई और कांग्रेस खेमे से प्रियंका गांधी वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, परिणीति शिंदे, शफी परमबिल, मणिकम टैगोर और राजा बराड़ जैसे सांसद 16 घंटे की इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। पूर्व राजनयिक श्री थरूर ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का आतंकवाद विरोधी संदेश लेकर गए सात सर्वदलीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व किया था। उनकी टीम ने कुल पाँच देशों सहित अमेरिका का दौरा किया था। 69 वर्षीय थरूर 2021 से ही कांग्रेस के साथ असहज स्थिति में थे, जब उन्होंने और असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। कई घटनाओं, खासकर वैश्विक आउटरीच पहल के बाद, उनके रिश्ते और बिगड़ गए।

केंद्र के आउटरीच अभियान में उनका शामिल होना उस दरार का एक प्रमुख बिंदु था जिसे दोनों पक्षों ने अब तक सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। हालाँकि, कांग्रेस ने श्री थरूर के केंद्रीय पहल का हिस्सा होने पर अपनी बेचैनी नहीं छिपाई, और उनकी कड़ी आलोचना हुई। लेकिन वह पीछे नहीं हटे और उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने जो किया वह देश के लिए सही था। श्री थरूर ने पार्टी के भीतर किसी भी तरह के मनमुटाव को भी कम करके आंका है और बताया है कि वह 16 वर्षों से कांग्रेस के प्रति वफादार हैं। उन्होंने भाजपा में शामिल होने की किसी भी योजना से इनकार किया है।

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