उपराष्ट्रपति का इस्तीफ़ा: अकथनीय और रहस्य में लिपटी एक पहेली सी है...



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को जिस तरीके से बिदाई की गई...उस पर से परदा उठना बाकी है। टॉप सोर्सेज की माने तो... धनखड़ को इस्तीफा देने को कहा गया। वह सरकार की रणनीति के विपरीत फैसला लेने की का साहस कर रहे थे...। पिछले दिनों एक न्यायाधीश के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद उन्हें हटाने के लिए विपक्ष द्वारा लाये गए प्रस्ताव को राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा स्वीकार करने की घटना भाजपा सरकार पचा नहीं पाई। धनखड़ केंद्र की योजना के विरुद्ध चले गए। सभापति सचिवालय के सीनियर अधिकारियों की माने तो धनखड़ के इस फैसले से सरकार बुरी तरह झल्ला गई। धनखड़ भाजपा सरकार के निशाने पर गए। स्वीकार किए गए इस इस्तीफे ने सत्ता के गलियारों में खलबली मचा दी।

यह एक तरह से "अकथनीय" और "रहस्य में लिपटी एक पहेली" सी है..। 2019 में जिस आश्चर्यजनक तरीके से धन खड़ को पश्चिम बंगाल का गवर्नर बनाया गया था उसी आश्चर्जनक तरीके से उनकी विदाई कर दी गई..। 21 जुलाई की रात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर आनन फानन में इस्तीफा दे दिया। सुबह से शाम तक धनखड़ ने कई बैठकें की.. वह पूरे दिन स्वस्थ्य थे। शाम होते होते क्या हुआ कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा? क्या उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया...? या पहले से तैयार इस्तीफे पर दस्तखत करने को कहा गया।

हालांकि लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और है...। दरअसल, इस सब के केंद्र में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा समर्थित प्रस्ताव का नोटिस है, जो अपने आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद सुर्खियों में आए थे। सोमवार को जब राज्यसभा की मानसून सत्र के लिए बैठक हुई, तो विपक्षी सांसदों ने यह नोटिस पेश किया। उच्च सदन के सभापति श्री धनखड़ ने नोटिस स्वीकार कर लिया और सदन के महासचिव से आवश्यक कदम उठाने को कहा। यह कदम सरकार को रास नहीं आया। सरकार इसके लिए रणनीति तैयार करती इससे पहले धनखड़ ने विपक्ष के इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के साथ काथ कारर्वाई के आदेश भी दे दिया।

सोमवार रात 9:25 अपराह्न, उपराष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक त्यागपत्र साझा किया गया।

कार्य मन्त्रणा समिति जिसे हम बीएसी के नाम से भी जानते हैं...उसमें राज्य सभा में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय मामलों के मंत्री किरण रिजिजू नहीं गए। उपराष्ट्रपति इससे नाराज थे..। धनखड़ राज्यसभा में श्री नड्डा की टिप्पणी पर भी सवाल उठाया। सदन के नेता श्री नड्डा ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संबोधन के दौरान कहा, "मैं जो कहूँगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज होगा।" कुछ लोगों ने कहा कि इस टिप्पणी से आसन का अपमान हुआ, जिसके पास सदन की कार्यवाही चलाने का अधिकार है, और श्री धनखड़ इससे नाराज़ थे। नड्डा ने इस पर थोथी दलील पेश करते हुए सफाई दी है..।

74 वर्षीय जाट नेता ने 10 दिन पहले कहा था कि वह सही समय पर, अगस्त 2027 में, "ईश्वरीय कृपा" के अधीन, सेवानिवृत्त हो जाएँगे। विपक्ष के साथ धनखड़ का नियमित टकराव बना रहा..। पक्षपात पूर्ण रबैये के कारण विपक्ष नें उनके खिलाफ अविश्वास प्र्सताव भी लाया था लेकिन प्रर्याप्त संख्याबल न होने के कार वह विफल हो गया।

धनखड़ एक ऐसे उपराष्ट्रपति थे जो सरकार की नितियों कार्यक्रमों और सनातन की वकालत करते थे। तमिलनाडु में राज्यपाल एन रवि ने जब विधान सभा में पारित विधेयक को सालों रोके रखा तब सुफ्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी तो .. धनखड़ नें यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया था कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसा करने के कोई अधिकार नहीं है..। उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें सीनियर एडवोकेट से नवाजा गया था...। बहरहाल, नया उपराष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर कयास लगाये जा रहे हैं...।

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
इ-अखबार - जगत प्रवाह
  India Inside News