बक्सर - बिहार
इंडिया इनसाइड न्यूज।
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार, पटना एवं जिला प्रशासन बक्सर के संयुक्त तत्वावधान में बक्सर जिला अंतर्गत किला मैदान में पंचकोशी परिक्रमा के अवसर पर रविवार 24 नवंबर, 2024 को सुबह 10 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रभारी जिलाधिकारी-सह-उप विकास आयुक्त डॉ. महेंद्र पाल एवं उपस्थित कलाकारों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
प्रभारी जिलाधिकारी ने कहा कि बिहार के कई जिलों एवं अन्य राज्यों से श्रद्धालु पंचकोशी परिक्रमा के दौरान भाग लेने आते हैं। बक्सर की पावन धरती पर परिक्रमा कर भगवान के प्रति भक्ति को प्राप्त करते हैं। प्रत्येक वर्ष पूरी भक्ति भावना से लोग एकत्रित होते हैं एवं सभी पड़ावों पर समस्त विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
●किला मैदान में संस्कृति कार्यक्रम के दौरान कई कलाकारों के द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई, जो निम्नवत है:-
• अंतरा घोष एवं टीम के द्वारा राम जी से पूछे जनकपुर की नारी, पायो जी मैने राम रतन धन पायो आदि भजनों की प्रस्तुति दी गई।
• अभिषेक कुमार ने अपनी बांसुरी के मधुर धुन से पायो जी मैंने राम रतन धन पायो की प्रस्तुति दी।
• सृष्टि लक्ष्मी एवं उनके संगत कलाकारों ने मारुति नंदन, तेरी मंद मंद मुस्कानिया, जरा देर ठहरो राम, शिव धनुष राम ने तोड़ा है, सजा दो घर को गुलशन से मेरे घर राम आए हैं आदि भजन की प्रस्तुति दिया।
• कलाकार गुड्डू पाठक, विश्वास कुमार एवं श्रेयांश कुमार द्वारा एक-एक कर प्रस्तुति दी गई।
पंचकोसी परिक्रमा के दौरान यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था कराने हेतु जिला पदाधिकारी के द्वारा लगातार अनुश्रवण किया गया। गत 11 नवंबर, 2024 को जिला पदाधिकारी के द्वारा पंचकोशी समिति, सभी संबंधित सदस्यों एवं पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई। वहीं 12 नवंबर, 2024 को जिला पदाधिकारी द्वारा पंचकोशी परिक्रमा के मार्ग में आने वाले पंचायत/नगर पंचायत में अवस्थित तालाबों/पोखरों के जीर्णोद्धार एवं सौन्दर्यीकरण हेतु संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया। 17 नवंबर, 2024 को पंचकोशी परिक्रमा के स्थलों का जिला पदाधिकारी के द्वारा स्थलीय निरीक्षण करते हुए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया। दिनांक 19 नवंबर, 2024 को पंचकोशी मेला के दौरान ट्रैफिक एवं विधि व्यवस्था बनाए रखने हेतु सभी पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया।
पंचकोशी परिक्रमा का पौराणिक महत्व यह है कि यह भारत के समस्त तीर्थ में श्रेष्ठतम माना गया है। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम बक्सर में रहने वाली राक्षसी ताड़का का वध करने के बाद लक्ष्मण एवं महर्षि विश्वामित्र सहित 84 हजार ऋषियों के साथ पंचकोशी यानी सिद्धाश्रम की परिक्रमा की थी।
पंचकोशी परिक्रमा का पहला पड़ाव अहिरौली बक्सर है। यह परिक्रमा पांच प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाकर पूरी होती है। पंचकोशी यात्रा की शुरुआत अहिरौली में पूजा-अर्चना और दीप प्रज्वलन के साथ होती है। अहिरौली में देवी अहिल्या का मंदिर है। मान्यता है कि भगवान राम ने यहां अहिल्या को पत्थर रूप से मुक्त कराया था। पंचकोशी यात्रा के दौरान, हज़ारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। पंचकोशी यात्रा की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। मान्यता है कि विधि-विधान से परिक्रमा करने से आध्यात्मिक शक्ति और भगवान के प्रति भक्ति की प्राप्ति होती है।
भक्ति एवं आस्था का प्रतीक पंचकोशी मेला बक्सर में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अर्थ, धर्म, काम की प्राप्ति के बाद मोक्ष के लिए श्रद्धालु बक्सर की पवित्र एवं सिद्ध भूमि पर पहुंचकर पांच दिनों में पांच गांव की यात्रा करते हैं। पंचकोशी मेल भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सबसे बड़े फूड फेस्टिवलस् में से एक है। पंचकोशी मेले के हर पड़ाव पर अलग-अलग प्रसाद पाने का विधान है।
पंचकोशी यात्रा के दौरान, श्रद्धालु अलग-अलग पड़ावों पर अलग-अलग व्यंजन का भोग लगाते हैं। जैसे, पहले दिन अहिरौली में पुआ, दूसरे दिन नदांव में सत्तू-मूली, तीसरे दिन भभुअर में चूड़ा-दही, चौथे दिन नुआंव में खिचड़ी एवं पांचवें दिन चरित्रवन में लिट्टी-चोखा खाकर मनाया जाता है।
उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिमा कुमारी, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, अमित कुमार वरीय उप समाहर्ता बक्सर, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी बक्सर एवं अन्य उपस्थित थे।