अब जनता तय करेगी भूपेश के भाग्‍य का फैसला



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
रायपुर - छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज।

● भूपेश बघेल के पांच साल के भय-भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार की सरकार को छत्तीसगढ़ की जनता माफ नहीं करेगी

● भ्रष्‍टाचार और अत्‍याचार के आखंड में डूबी थी भूपेश सरकार

दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ की जनता ने भूपेश बघेल की पांच साल की भय-भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार अंत कर दिया था। पांच साल छत्तीसगढ़ महतारी को लूटने वाले भूपेश और उनकी चंडाल चौकड़ी ने अंग्रेजों जैसा शासन छत्तीसगढ़ के ऊपर किया। हालत यह थी आम जनता तो दुखी थी और उनके ऊपर लिखने बोलने वालों को प्रताड़ित किया जाता था। नई सरकार बनने के बाद चौकड़ी के खास अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, रानू साहू, अनवर ढेबर, चंद्रभूषण वर्मा तो अपनी नियत जेल पहुंच गए है पर छत्तीसगढ़ की जनता की मुख्य मांग अब चौकड़ी के बचे लोग जैसे चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू, विनोद वर्मा, विजय भाटिया इनके खास सिपहसालार आईपीएस अफसर आनंद छाबरा, आरिफ शेख़, दीपांशु काबरा, भाटिया शराब समूह राजनांदगांव, अभिषेक माहेश्वरी और इन सबके किंगपिन भूपेश बघेल पर सरकार कब कार्यवाही करेगी। निश्चित तौर पर इन सब की नियति भी जेल ही है चाहे सरकार के द्वारा या मेरे जैसे कोई व्यक्ति अदालत में न्याय हेतु जाए पर अंत में यह सब जेल ही जायेंगे। इनके खास सिपहसालार अधिकारी जिनपर अभी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है सिर्फ उनको लूप लाइन में डाला गया है सूत्रों के अनुसार वो अभी भी भूपेश के खास संपर्क में है और भूपेश को वापस सत्ता में बिठाने के जुगत में है। खैर कांग्रेस ने भूपेश बघेल को राजनांदगांव से टिकट देकर अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली है। जहां वो 3-4 सीटों में आगे दिख रही थी, भूपेश बघेल को टिकट मिलते ही सब भाजपा के पक्ष में हो गया है। आखिर जनता भूपेश का रावणराज को कैसे भुल सकती है जिसका पूरा दहन होना अभी बाकी है।छत्‍तीसगढ़ की सबसे चर्चित राजनांदगांव लोकसभा सीट पर आगामी 26 तारीख को चुनाव होना है। इस सीट से राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस की ओर से प्रत्‍याशी हैं। यही कारण है कि यह सीट राज्‍य की सबसे हॉट सीट घोषित हो गई है। इसका एक प्रमुख कारण कुशासन वर्सेज सुशासन के बीच हो रहा है। एक तरफ जहां भूपेश के पांच साल के भ्रष्‍टाचार और अत्‍याचार का लेखा-जोखा है वहीं वर्तमान बीजेपी शासन के सुशासन के बीच है। छत्‍तीसगढ़ में भूपेश के नेतत्‍व वाली तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार राज्‍य की जनता के लिए काला अंग्रेज साबित हुई थी। भूपेश के राज में राज्‍य में करीब दो लाख करोड़ के घोटाले हुए हैं। भूपेश सरकार भ्रष्टाचार और अत्याचार में आखंड डूबी थी। चुनाव प्रचार के दौरान भी भूपेश के भ्रष्‍टाचार और अत्‍याचार का जिक्र काफी हो रहा है। आज राजनांदगांव में चुनावों की स्थिति यह बनी हैं कि भूपेश बघेल की हार निश्चित है। बस कितने वोटों से हारेंगे, इसी का जिक्र जनता कर रही है। ऐसे कुछ मामले हैं जिन पर जनता भूपेश से हिसाब मांग रही है-

• पीएससी घोटाला

भूपेश सरकार में पीएससी के माध्‍यम से फर्जी नियुक्तियों का मामला सामने आया था। इसमें 18 लोगों की नियुक्ति संदेह के घेरे में आयी थी। इन नियुक्तियों में रसूखदार लोगों के नाम थे। मामला उजागर होने के बाद हाईकोर्ट ने सभी नियुक्तियों पर रोक तक लगाई है। इस घोटाले में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी जुड़ा था। बताया जा रहा था कि इतना बड़ा घोटाला बगैर सीएम हाउस की मर्जी के नहीं हो सकता है।

• आत्‍महत्‍या करने वाले अश्विनी मिश्रा के सुसाइट नोट और आडियो क्लिप ने खोली थी भूपेश बघेल सरकार की पोल

स्व. अश्विनी मिश्रा के बघेल परिवार की पिछले 23 वर्षों से सेवा कर रहे थे साथ में कांग्रेस से भी जुड़े थे। उन्होंने भर्ती को लेकर किसी से पैसे दिए जिसे तब भूपेश के ओएसडी मरकाम और सौम्या चौरसिया को दे दिए। काम नहीं होने के बाद अभ्यर्थी ने अपना पैसा मांगा जिसे भूपेश के चौकड़ी ने देने से मना कर दिया, मिश्रा ने यह पैसे अपने आप से वापस कर आत्महत्या कर ली और एक सुसाइड नोट और ऑडियो क्लिप में पूरे घोटाले को उजागर कर दिया। मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा था तो उसे दबा दिया गया था और आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रदेश में हजारों अश्विनी मिश्रा भूपेश और उसकी चौकड़ी के कारण अपनी जान दे चुके है ऐसे में इन सब को इंसाफ कैसे मिलेगा।

• पत्रकारों पर अत्‍याचार

छत्तीसगढ़ में भूपेश और उसकी चंडाल चौकड़ी के जनता पर आतंक को छापने वाले पत्रकारों को खूब प्रताड़ित किया गया।छत्‍तीसगढ़ के गठन के बाद सर्वाधिक मामले भूपेश सरकार में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज किये गये। यह वह पत्रकार थे जो भूपेश बघेल सरकार के काले कारनामों को उजागर कर रहे थे लेकिन भूपेश सरकार खबरों की जांच पड़ताल करने की बजाए पत्रकारों के खिलाफ दंडात्‍मक रूख अपनाने लगे थे। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के खिलाफ मोर्चा खोला गया। उनके आवास को बुल्‍डोजर चलाया गया। नामदेव के खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज कर जेल में रखने का षड़यंत्र रचा। यहां तक उन्‍हें सैनेटाईजर तक पिलाने का प्रयास किया गया था। इस मामले में भूपेश की टोली में शामिल चुनिंदा आईपीएस अफसरों की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही। मेरे खिलाफ भी भारी षड़यंत्र रचा गया। मैने जब अनिल टुटेजा, सौम्या के खिलाफ कोल और शराब घोटाला उजागर किया तो मेरे खिलाफ अवैध केस रजिस्टर किए गए, छत्तीसगढ़ में मेरा आना बैन कर दिया गया, इसके बाद जैसे ही मैंने महादेव सट्टा घोटाला ब्रेक किया तो मेरे भोपाल स्थित आवास पर चार बार छत्तीसगढ़ पुलिस आयी और मेरी अवैध गिरफ्तारी की साजिश रची गई, सरकार से तो यह इंस्ट्रक्शन थे मुझे बाल पकड़कर घसीटकर छत्तीसगढ़ लाया जाए या रास्ते में मेरा एनकाउंटर ही करवा दिया जाए। इसके अलावा राज्‍य के कई पत्रकार जो ग्रामीण अंचलों में रिपोटिंग कर रहे थे। उनको भी नहीं बख्‍शा गया। कमल शुक्‍ला को टार्चर किया। नीलेश शर्मा, भूपेश परमार, मनोज सिंह ठाकुर के साथ भी ऐसा किया गया। जीतेन्‍द्र जायसवाल को एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज कर जिलाबदर तक किया गया। पत्रकारों का जिला बदर आजतक नहीं सुना। पत्रकारों के साथ स्‍वतंत्रता आंदोलन की तर्ज पर जैसे अंग्रेज करते थे वैसा काम किया गया।

• महादेव सट्टेबाजी घोटाला

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल हैं। इस कथित घोटाले के मास्टरमाइंड और ऐप के मालिक ने अपना एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए नकद पहुँचाए हैं। ये पैसे चुनाव में इस्तेमाल किए गए हैं। उसने बताया कि एक-एक पैसों का हिसाब उसके पास है। जानकारी के अनुसार महादेव सट्टेबाजी ऐप मामला 15 हजार करोड़ का है और इसमें अभी जाँच जारी है। इतने पैसों की तो मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिस पर ईडी ने केस दर्ज किया है। इस मामले में भूपेश बघेल के करीबी लोग जेल में बंद हैं।

• बघेल सरकार का शराब घोटाला

भूपेश बघेल ने वादा किया था कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करेगी। उल्टा भूपेश बघेल और उनके बेटे पर आरोप हैं कि उन्होंने कमीशनखोरी करके 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया जबकि अभी इसकी पूरी डिटेल भी सामने नहीं आई है। सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ है। इस मामले में ईडी चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है और बताया है कि एजाज़ ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।

• कोयला अवैध लेवी टैक्स घोटाला

भूपेश बघेल सरकार ने खदानों से निकलने वाले कोयला पर भी घोटाला किया है। माल ढुलाई से जुड़ा 2000 करोड़ से अधिक के घोटाले का आरोप भी उस पर हैं। बताया जा रहा है कि 25 रुपए प्रति टन की वसूली की गई है। कई लोग इस मामले में भी गिरफ्तार हुए हैं। छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़ा एक समूह ढुलाई किये जाने वाले प्रति टन कोयले पर अवैध रूप से 25 रुपये का कर वसूल रहा था। अनुमान है कि इससे प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये अर्जित किए जाते हैं।

• नान घोटाले में चढ़ाई जीपी सिंह की बलि

छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला था नान घोटाला। जब भूपेश बघेल विपक्ष में थे तब उन्‍होंने कहा था कि सत्‍ता में आते ही नान घोटाले आरोपियों को जेल में डाला जायेगा। लेकिन जैसे ही वह सत्‍ता में आये उन्‍होंने इस घोटाले के मास्‍टर माईंड अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला को अपना खास बना लिया। पूरे पांच साल तक यह दोनों अधिकारी भूपेश बघेल के खास बने रहे।

नान की नवगठित एसआईटी द्वारा बरती गई अनियमि‍त कार्यवाही से मुख्‍य न्‍यायाधीश से नाराजगी को दूर करने के लिए जीपी सिंह की पदस्‍थापना एसीबी/ईओडब्‍ल्‍यू तथा एसआईटी के प्रमुख के रूप में की गई। भूपेश बघेल ने पूर्व निर्धारित उद्देश्य अनुसार जीपी सिंह पर प्रदेश के शीर्ष भाजपा नेताओं के विरूद्ध कार्यवाही करने का लगातार दवाब बनाया गया। जैसे पूर्व मुख्‍यमंत्री रमन सिंह और उनकी पत्नी वीणा सिंह को नान घोटाले में जप्‍त डायरी में उल्‍लेखित सीएम सर और सीएम मेडम के आधार पर तथा विधायक देवजी भाई पटेल को फर्जी मामले में फंसाने के लिए निर्देशित किया गया था। जबकि जांच में यह स्‍पष्‍ट हो चुका था कि नान पदस्‍थ चिंतामणि चंद्राकर को सीएम सर के नाम से भी पुकारा जाता था। जीपी सिंह के मना करने पर भूपेश बघेल ने कई फर्जी मुकदमें दायर करवाये, फर्जी गवाह बनवाये और जेल में डाला। अपने ईमानदार बेटे की यह हालत देखकर जीपी सिंह के माता पिता को काफी सदमा लगा। और कभी बिस्‍तर से नहीं उठ पाये। और अपने प्राण छोड़ दिये। भूपेश सरकार में भ्रष्‍टाचार करने से मना करने से ऐसी दुर्दशा होती थी।

• गोठान घोटाला

भूपेश राज में बिहार चारा घोटाला से भी बड़ा गोठान घोटाला सामने आया था। यह घोटाला गौमाता के नाम पर किया गया था। गोठान के नाम पर विभिन्‍न मदों से 1300 करोड़ रूपये से अधिक की राशि खर्च की गई थी।

इसके अलावा भी डीएमएफटी घोटाला, रोजगार घोटाला, जमीन आवंटन घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला, बारदाना खरीदी घोटाला, पीडीएस घोटाला, साड़ी खरीदी घोटाला, पीएम आवास घोटाला आदि घोटाले हैं जिनका जिक्र हो रहा है।

"बड़ा सवाल यह है की आखिर क्यों छत्तीसगढ़ में भूपेश राज की भय-भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार की सरकार में बचे हुए मुख्य साजिशकर्ता, अधिकारी एवं चौकड़ी के खास पर कार्यवाही नहीं हो रही, जबकि जनता ने तब विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव में मूलत: इन्हीं कारणों से इनको रिजेक्ट किया है, आशा है की आम छत्तीसगढ़िया के भाव अनुसार बचे लोग भी जेल जाए।"

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