मध्य प्रदेश : अवैध खनन... और मंत्री उषा ठाकुर का मामला



--विजया पाठक (एडिटर - जगत विजन),
भोपाल-मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ मंत्री उषा ठाकुर का कारनामा: बैकफुट पर सरकार

■ मुख्‍यमंत्री की छवि खराब कर रहीं उषा ठाकुर

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तमाम प्रयास करने के बावजूद राज्य में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। उषा ठाकुर जैसी शिवराज की मंत्री सरकार की छवि खराब करने पर उतारू हैं। उन्‍हें न सीएम का डर है और न ही सरकार की मंशा का सम्‍मान है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रदेश में अवैध खनन को रोकने के लिए प्रशासनिक स्‍तर पर आदेश पर आदेश दे रहे हैं और प्रशासनिक अमला भी जी जान लगाकर इस अवैध खनन को रोकने का प्रयास कर रहा है। जिसमें उन्‍हें सफलता भी मिल रही है। लेकिन सरकार के मंत्री नही चाहते कि यह अवैध खनन रूके। जब ही तो प्रदेश की पर्यटन और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर अपने लोगों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा रही हैं।

दरअसल यह मामला मंत्री के क्षेत्र बड़गोंदा इंदौर का ही है। 10 जनवरी 2021 को वन विभाग के अमले ने वन क्षेत्र के एरिया में कुछ लोगों द्वारा अवैध खनन और सड़क मार्ग का अवैध निर्माण किया जा रहा था, मौके से जेसीबी और ट्रैक्टर ट्राली को वन विभाग की टीम ने जब्त कर उस पर प्रकरण दर्ज कर दिया था। जब्‍त वाहनों में अर्थ मूविंग मशीन व ट्रैक्टर ट्रॉली थी।

मंत्री उषा ठाकुर पर आरोप है कि वन विभाग के कब्जे से वह अवैध खनन में शामिल गाड़ियों को छुड़ा ले गई थी। वन विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर 11 जनवरी 2021 की शाम 6:30 बजे के आस-पास अपने करीब 20 कार्यकर्ताओं के साथ बड़गोंदा स्थित परिसर में आईं। मंत्री के साथ आए लोगों ने वन विभाग के कर्मचारियों को डराया-धमकाया और जब्त अर्थ मूविंग मशीन व ट्रैक्टर ट्रॉली जबरन छुड़ा कर ले गए।

बताया जाता है कि अवैध खनन करने वाले लोग मंत्री के ही सिपहसलाहकार थे। यह बात मंत्री को इतनी नागवार गुजरी कि वह स्‍वयं लाव लश्‍कर के साथ इन वाहनों को छुड़ाने वन विभाग पहुंच गई और वन अमले के अधिकारियों और कर्मचारियों को भला बुरा कहा।

वैसे भी मंत्री कभी कभार ही नजर आती हैं। लेकिन अपने लोगों के गैर कानूनी मामले सामने आते हैं तो प्रकट हो जाती हैं। इसलिए ही कहा जाता है कि वह मध्‍यप्रदेश की मंत्री नही हैं वह तो केवल अपने क्षेत्र इंदौर की मंत्री हैं। जबकि मंत्री जी को सरकार द्वारा चार इमली में एक आलीशान बंगला एलाट है लेकिन वह कभी कभार तो भोपाल आती है और बंगले में न रूक कर एमएलए रेस्‍ट हाउस में ही रूकती हैं। कह सकते हैं कि वह इंदौर से अप डाउन ही करती हैं। अपने पॉवर का इतना इस्‍तेमाल कर रही है कि उन्‍हें सरकार की छवि की भी चिंता नही है।

इस पूरे मामले पर डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे ने मंत्री के खिलाफ केस करने के लिए थाने में आवेदन दिया था लेकिन बाद में पुलिस ने मामले को मंत्री से जुड़ा देख आला अधिकारियों से चर्चा कर कार्रवाई करने की बात कहकर आरएस दुबे को लौटा दिया था। पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया है। मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए हाल ही में पुलिस को लिखित शिकायत करने वाले वन विभाग ने डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे का तबादला कर दिया गया है। इंदौर वन मंडलाधिकारी ने डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे का तबादला बड़गोंदा से मानपुर उप रेंज कर दिया है। दुबे ने हाल ही में पुलिस को लिखित शिकायत दी थी। उन्होंने मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ अवैध खुदाई के मामले में जब्त अर्थ मूविंग मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली वन विभाग के परिसर से जबरन छुड़ाकर ले जाने का आरोप लगाते हुए मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस से अनुरोध किया था।

हालांकि, दुबे ने कहा कि उनका स्थानांतरण उन्हें लोकसेवक के रूप में ड्यूटी करते समय गलत काम के खिलाफ लड़ने से नहीं रोकेगा। उन्होंने कहा चाहे मेरी नौकरी ही क्यों न चली जाए, मैं सच के लिए लड़ना जारी रखूंगा। मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटूंगा।

दुबे के तबादले के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के बजाय सरकार ने एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी का तबादला कर डाला। इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए था। लेकिन नहीं किया गया। प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने इस मामले में जांच दल बनाने की घोषणा की थी और जल्दबाजी में मंत्री को क्लीनचिट दे दी थी। इससे सरकार की अवैध उत्खनन को लेकर नीति व नीयत स्पष्ट हो गई है।

तमाम प्रयासों के बाद भी जब मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो नाराज आरएस दुबे ने शिकायत की एक कॉपी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वन विभाग के मंत्री विजय शाह के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ट्वीट कर कार्रवाई करने की मांग की थी। फिलहाल मामला कैबिनेट मंत्री और संघ से जुड़ी मंत्री उषा ठाकुर को देख भारतीय जनता पार्टी के नेता भी पूरे मामले में जवाब देने से बचते नजर आए। वहीं पुलिस विभाग के अधिकारी भी कार्रवाई करने के बजाए मामले को गोल-मोल घुमा कर रफूचक्कर करने में लगे हुए हैं। इस कार्यवाही द्वारा वन विभाग ने यह दर्शा दिया है कि विभाग की दृष्टि में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का कोई महत्व नहीं है। सीसीएफ का प्रथम कर्तव्य प्रदेश के वन क्षेत्र की रक्षा है न कि राजनीतिक आकाओं का गलत हुक्म बजाना।

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