आखिर कब खुलेंगी कांग्रेस आलाकमान की आंखें, कमलनाथ की अनदेखी पड़ेगी भारी



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास है मध्यप्रदेश में कांग्रेस की पुनर्बहाली की चाबी

■कमलनाथ की नेतृत्व क्षमता और छिंदवाड़ा मॉडल बना भाजपा के विकास का आधार

मध्यप्रदेश की राजनीति में अगर कोई नाम आज भी सबसे अधिक प्रभावशाली और जनप्रिय माना जाता है तो वह है पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ का। चाहे कोई भी कांग्रेस का आयोजन हो, सबसे अधिक तालियाँ और जनसमर्थन कमलनाथ को ही प्राप्त होता है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच उनके प्रति विश्वास को भी प्रमाणित करता है। आज जब कांग्रेस मध्यप्रदेश में पुनः सत्ता पाने की दिशा में कार्य कर रही है, तब पार्टी आलाकमान के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि वह किसके नेतृत्व में इस लक्ष्य को प्राप्त करे। ऐसे में कमलनाथ के नेतृत्व को नजरअंदाज करना न केवल राजनीतिक भूल होगी, बल्कि यह कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी नकारात्मक असर डालेगा। आखिर कब कांग्रेस आलाकमान की आंखें खुलेंगी, कमलनाथ की अनदेखी कांग्रेस को भारी पड़ेगी।

• तन, मन और धन से कांग्रेस के साथ

कमलनाथ ने जिस समर्पण भाव से मध्यप्रदेश कांग्रेस को खड़ा किया है, वह किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने न केवल राजनीतिक रणनीतियों के स्तर पर पार्टी को मज़बूत किया, बल्कि अपनी निजी संसाधनों से भी संगठन को सहारा दिया। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में कमलनाथ की दूरदर्शिता और सांगठनिक कुशलता का बड़ा हाथ रहा। उन्होंने ना केवल अनुभवी नेताओं को एक मंच पर लाया, बल्कि युवाओं को भी महत्व देकर पार्टी के भीतर नई ऊर्जा का संचार किया। कमलनाथ ने अपनी योग्यता, आकर्षण और स्थानीय विकास योजनाओं से प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाया कि कांग्रेस ही वह विकल्प है जो मध्यप्रदेश को आगे बढ़ा सकता है। उनके शासनकाल में शुरू हुई योजनाओं और विशेष रूप से छिंदवाड़ा मॉडल ने पूरे प्रदेश में विकास की नई परिभाषा गढ़ी।

• छिंदवाड़ा मॉडल भाजपा के लिए भी प्रेरणा

छिंदवाड़ा, जो कि कमलनाथ का संसदीय क्षेत्र रहा है, आज एक आदर्श विकास मॉडल के रूप में पूरे प्रदेश के सामने प्रस्तुत है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई, कृषि और रोजगार के क्षेत्र में किए गए सुधार कार्यों ने छिंदवाड़ा को विकास के मामले में एक अग्रणी जिले में तब्दील कर दिया है। यह मॉडल सिर्फ बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जनभागीदारी, स्थानीय रोजगार सृजन और युवाओं को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी शामिल हैं। यही कारण है कि आज भारतीय जनता पार्टी भी इस मॉडल की सराहना करते हुए प्रदेश के अन्य जिलों के लिए इसी तरह की योजनाएं बना रही है। अगर भाजपा को भी यह स्वीकार करना पड़ रहा है कि छिंदवाड़ा मॉडल अनुकरणीय है, तो कांग्रेस को यह समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि कमलनाथ ही वह नेता हैं जो इस सोच को राज्य व्यापी बना सकते हैं।

• कमलनाथ की गैर मौजूदगी में कम दिखता है जन आंदोलनों का असर

कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि वह कमलनाथ की सक्रिय भागीदारी के बिना आज तक कोई भी प्रभावी जन आंदोलन खड़ा नहीं कर पाई। चाहे वह किसानों की समस्याएं हों, बेरोजगारी का मुद्दा हो या महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन- हर बार यह देखा गया है कि अगर कमलनाथ नेतृत्व में नहीं होते, तो आंदोलन केवल दिखावटी बनकर रह जाते हैं। कमलनाथ की उपस्थिति ना केवल आंदोलन को जनसमर्थन देती है, बल्कि प्रशासन और सरकार पर भी दबाव बनाती है। उनके पास ऐसा राजनीतिक अनुभव और जनता से जुड़ाव है जो किसी भी आंदोलन को आंदोलन मात्र नहीं, बल्कि जनचेतना में बदलने की शक्ति देता है।

• जीतू पटवारी को कमलनाथ का साथ है जरूरी

मध्यप्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष जीतू पटवारी एक युवा, ऊर्जावान और जनसंपर्क में दक्ष नेता हैं। लेकिन यह भी सच है कि उन्हें प्रदेश की गहराई से समझ और अनुभव की आवश्यकता है, जो उन्हें कमलनाथ के साथ मिलकर प्राप्त हो सकता है। अगर कांग्रेस को मध्यप्रदेश में भविष्य की राजनीति में मजबूती से खड़ा करना है, तो यह आवश्यक है कि युवा नेतृत्व और अनुभवी मार्गदर्शन का मेल हो। कमलनाथ को दरकिनार करके कांग्रेस प्रदेश में कोई मजबूत रणनीति नहीं बना सकती। जीतू पटवारी को चाहिए कि वे कमलनाथ के साथ मिलकर कार्य करें, उनके अनुभव का लाभ लें और उन्हें संगठन के निर्णयों में सम्मिलित करें।

• कांग्रेस आलाकमान को स्पष्ट निर्णय लेने की आवश्यकता

आलाकमान को यह निर्णय लेना होगा कि अगर उन्हें 2028 या उससे पहले के चुनावों में सफलता प्राप्त करनी है, तो उन्हें कमलनाथ को दोबारा कमान सौंपनी होगी- भले ही संगठनात्मक रूप में या चुनावी रणनीति के स्तर पर। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक दिशा मिलती है। उनके पास जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं का मजबूत नेटवर्क है, जो चुनाव के समय बूथ स्तर तक काम करता है। साथ ही उनके पास कॉर्पोरेट और निवेशकों से संबंधों का वह अनुभव है जो किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था को संबल दे सकता है।

• कमलनाथ ही हैं कांग्रेस की सबसे बड़ी उम्मीद

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पुनरुत्थान की बात हो तो उसमें सबसे पहला नाम कमलनाथ का ही आता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में यह सिद्ध किया है कि वे न केवल कुशल प्रशासक हैं, बल्कि जनता के बीच विश्वसनीय नेता भी हैं। उनकी राजनीतिक समझ, सांगठनिक क्षमताएं, विकास के लिए दृष्टिकोण और जनसमर्थन को देखकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अगर कांग्रेस को मध्यप्रदेश में सरकार बनानी है तो कमलनाथ को ही नेतृत्व देना होगा।

कमलनाथ कांग्रेस के लिए केवल एक चेहरा नहीं, बल्कि एक सोच हैं। एक ऐसी सोच जो विकास, समन्वय और जनकल्याण पर आधारित है। यदि कांग्रेस इस सोच को पहचान ले और उसे प्रदेशव्यापी आंदोलन में तब्दील कर दे तो वह दिन दूर नहीं जब मध्यप्रदेश में पुनः कांग्रेस की सरकार बनेगी, और वह सरकार एक स्थायित्व और दूरदृष्टि के साथ शासन करेगी।

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