--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
●प्रदेश के दो बड़े नेताओं को मिला कमजोर जिलों का प्रभार
●मुख्यमंत्री का यह निर्णय जनता के हित और विकास में होगा बाधक
हाल ही में मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने अपने मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा है। प्रभार में लगभग सभी जिलों को कवर किया गया है। प्रभारी जिलों की सूची देखने पर लग रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने सहयोगियों की वरिष्ठता और अनुभव को दरकिनार किया है। प्रदेश के दो वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गज मंत्रियों को छोटे जिलों का प्रभार दिया है जबकि उनका अनुभव और काबिलियत को देखते हुए अन्य बड़े जिलों का प्रभार भी सौंपा जा सकता था। निश्चित ही यदि इन्हें बड़े जिलों का प्रभार मिलता तो विकास की जो रफ्तार चल रही है उसको और अधिक गति मिलती। लेकिन प्रदेश के मुखिया ने विकास को छोड़ खुद का प्रबंधन मजबूत किया। इस सूची को देखने के बाद राजनीतिक विशेषज्ञ मुख्यमंत्री के निर्णय पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। निश्चित ही मुख्यमंत्री का यह निर्णय विचारणीय है। आपको बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के दो दिन पूर्व ही मोहन यादव ने अपनी सुविधानुसार अपने लोगों को लाभ दिलवाने के उद्देश्य से जिलों का प्रभार सौंपा है। जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता व मंत्रियों को एक बार फिर हाशिये पर रखा गया है।
• दो बड़े मंत्रियों के साथ हुआ भेदभाव
मंत्रालय में प्रभार के जिलों की जारी हुई सूची के बाद चर्चा है कि प्रदेश के दो बड़े मंत्रियों के साथ मोहन सरकार ने एक बार फिर छलावा किया है। दरअसल यह चर्चा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल को लेकर है। दोनों ही प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार हैं और प्रहलाद पटेल तो केंद्रीय मंत्रीमंडल के सदस्य रहे हैं।
• 32 मंत्री और 55 जिले
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में 55 जिले हैं और मुख्यमंत्री सहित 32 मंत्री हैं। सीएम मोहन यादव चाहते थे कि सभी 55 जिलों में प्रभारी मंत्री रहें। जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रभारी मंत्रियों की सूची तैयार कर दिल्ली से उस पर मुहर लगवाई ताकि कोई सवाल न उठाए। मोहन यादव खुद हर एक जिले और हर एक मंत्री को लेकर विचार विमर्श करते रहे कि आखिर किस मंत्री को कौनसे जिले का प्रभार देना चाहिए।
• इंदौर का प्रभार स्वयं के पास रखने के पीछे क्या कोई खास मकसद?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का प्रभार आया है तो उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के पास जबलपुर और देवास का प्रभार दिया गया है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल को सागर और शहडोल का प्रभार मिला है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार का प्रभार दिया गया है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भिंड और रीवा का प्रभार दिया गया है। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि माना जा रहा था कि इनमें से किसी एक को छिंदवाड़ा का प्रभार दिया जाएगा। इसके बजाय पीडब्ल्यूडी मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम का प्रभार दिया गया।
• क्या विजयवर्गीय के साथ हुई नाइंसाफी
कैलाश विजयवर्गीय ने लोकसभा चुनाव के दौरान छिंदवाड़ा में भाजपा के अभियान का नेतृत्व किया था, जब विवेक बंटी साहू ने कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को हराया था। प्रहलाद पटेल 2004 में छिंदवाड़ा से भाजपा के उम्मीदवार थे और 2023 के चुनावों के दौरान सात विधानसभा सीटों के प्रभारी हैं। ऐसे में इतनी उपलब्धियां होने के बाद भी मोहन यादव ने जिस ढंग से विजयवर्गीय को कमजोर जिले का प्रभार दिया वह उनके साथ हुई नाइंसाफी की ओर इशारा करता है। हम जानते हैं कि विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल जैसै राज्य में भाजपा को खड़ा किया है। उनमें संगठन और शासन का काफी अनुभव है। बड़े जिलों की जिम्मेदारी देकर मुख्यमंत्री उनका सही उपयोग कर सकते थे। सीधी सी बात है मोहन बिलकुल नहीं चाहते कि उनके बराबर कोई राजनेता किसी बड़े जिले का प्रभार संभाले। इसीलिए उन्होंने प्रह्लाद पटेल और विजयवर्गीय को कमजोर जिले दिए हैं।
• इन्हें मिला केवल एक जिले का प्रभार
सीएम डॉ. मोहन यादव ने वरिष्ठ मंत्रियों को दो जिलों का प्रभार दिया है। बाकी 8 मंत्रियों को केवल एक जिले का प्रभारी बनाया गया है। इनमें धर्मेंद्र सिंह लोधी को खंडवा, दिलीप जायसवाल को सीधी, गौतम टेटवाल को उज्जैन, नारायण सिंह पंवार को रायसेन, नरेंद्र शिवाजी पटेल को बैतूल, प्रतिमा बागरी को डिंडौरी, दिलीप अहिरवार को अनूपपुर और राधा सिंह को मैहर जिले का प्रभारी बनाया गया है।