प्रदेश के इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री बने किसी जिले के प्रभारी, स्थानीय नेताओं में उत्पन्न हो रहा रोष



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■इंदौर जिले का प्रभारी मंत्री बनने के पीछे मुख्यमंत्री मोहन यादव की मंशा क्या है?

■व्यवसायिक राजधानी का प्रभार होने से प्रभारी मंत्री को होता है वित्तीय लाभ

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों चर्चा का केन्द्र बने हुये हैं। एक तरफ जहां मोहन सरकार के एक वर्ष पूरे होने को लेकर चर्चाएं हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ हल्ला इस बात को लेकर भी है कि इस एक वर्ष में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की संपत्ति में अकूत इजाफा हुआ है। संपत्ति में इजाफा होने की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लाभ वाले सभी विभागों को अपने हाथ में रखा है। फिर बात चाहे नर्मदा घाटी की हो, गृह विभाग की हो या फिर प्रभार के जिले की। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विगत एक वर्ष में करोड़ों रुपये का लाभ प्राप्त किया है। यह लाभ उन्हें इंदौर जिले के अंदर होने वाले विकास कार्य, पदोन्नति, पदस्थापना और ट्रांसफर-पोस्टिंग के माध्यम से प्राप्त हुआ है। इंदौर जिले के भाजपा नेताओं में इस बात को लेकर खासा रोष भी है। सभी अंदर ही अंदर इस बात से काफ़ी तकलीफ़ में है कि आखिर मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह मनमानी कब तक चलेगी? जाहिर है कि मुख्यमंत्री यादव ने कुछ माह पहले ही खुद के पास इंदौर जिले के प्रभार रखा था तभी से मुख्यमंत्री व मंत्रियों के बीच गहमा-गहमी का दौर चल रहा है।

• प्रदेश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने लिया जिले का प्रभार

राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद से लेकर अभी तक का इतिहास अगर देखा जाये तो यह पहला अवसर है जब मध्यप्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने जिले का प्रभार अपने पास रखा है। यही नहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह निर्णय किस उद्देश्य के साथ लिया गया है यह भी जगजाहिर हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का मुखिया होता है। ऐसे में किसी जिले का प्रभार लेना न तो नियमानुसार ठीक है और न ही संवैधानिक रूप से उचित है क्योंकि मुख्यमंत्री को पूरे समय प्रदेश के विकास और जनकल्याण की दिशा में कार्य़ करना होता है। ऐसे में जिले का प्रभार लेकर वे कैसे अन्य जिलों के साथ न्याय कर सकते हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री यादव ने यह जिम्मेदारी ली है तो उम्मीद है कि वह इसकी भूमिका का निर्वहन भी ठीक ढंग से करेंगे।

• आखिर इंदौर शहर का प्रभार लेने के पीछे मंशा क्या है?

मध्यप्रदेश के इतिहास में बने अब तक के मुख्यमंत्रियों में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव में संवेदनशीलता और गंभीरता कम दिखाई पड़ती है। यही कारण है कि उन्होंने कुर्सी हाथ में लगते ही सारी चीजों को अपने हिसाब से चलाना आरंभ कर दिया। फिर बात चाहे मंत्रालय वितरण की हो या फिर जिले के प्रभार की। आईएएस अफसरों की पोस्टिंग से लेकर कलेक्टर्स की पोस्टिंग भी सभी कार्य मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मर्जी और इच्छानुसार ही हो रहे हैं। शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पास मिनी मुंबई नाम से प्रसिद्ध इंदौर जिले को प्रभार के तौर पर अपने पास रखा है। क्योंकि इस जिले में प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में व्यवसायिक गतिविधियां कई गुना अधिक होती है। ऐसे में साफतौर पर पता चलता है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ज़िले का प्रभार लेने के पीछे क्या मंशा है।

• ऐसे ज़िले का लेते जो पिछड़े हैं

अभी तक जो भी घटनाक्रम सामने आया उसके अनुसार देखा जाये तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को अगर किसी ज़िले का प्रभार लेना ही था तो उन्हें किसी ऐसे ज़िले का प्रभारी मंत्री बनना चाहिए था जो विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से अछूता हो या पिछड़ा हो। अगर वे किसी जनजातीय या पिछड़े ज़िले के प्रभारी मंत्री बनते तो निश्चित ही स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिलता, ज़िले का विकास होता और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचता। लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐसा करना बिलकुल उचित नहीं समझा और उन्होंने मंशानुरूप प्रभार के जिलों को बहुत सटीक योजना के साथ मंत्रियों में बांटा।

• विकास कार्यों में करते हैं हस्तक्षेप

मोहन यादव के पास जब से इंदौर ज़िले का प्रभार गया है, उन्होंने ज़िले में पहले से चल रहे विकास कार्य़ों पर रोड़ा लगाना आरंभ कर दिया है। फिर बात चाहे मेट्रो की हो या फिर अन्य निर्माण कार्यों की। उनके इस हस्तक्षेप के कारण न तो ज़िले में विकास के कार्यों को गति मिल रही है और ना ही इंदौर ज़िले में उस ढंग से नये प्रोजेक्ट स्वीकृत हो पा रहे हैं। इन बातों से कहीं न कहीं जनता और स्थानीय नेताओं के बीच दूरियां बढ़ने से पार्टी को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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