नवरात्रि: 15 अक्टूबर 2023 को प्रारंभ होगी



--अभिजीत पाण्डेय,
पटना - बिहार, इंडिया इनसाइड न्यूज।

उत्तर भारत से लेकर उत्तर पूर्व तक पूरे देश में नवरात्रि का पवित्र त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इसलिए इस त्योहार को दुर्गोसत्व या दुर्गा पूजा भी कहा जाता है। इस वर्ष नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 को प्रारंभ होगी!

दुर्गा पूजा शुरू होने से कई महीने पहले ही मूर्ति का निर्माण शुरू हो जाता है। देशभर में कई पूजा पंडाल बनाए जाते हैं और यहां मां दुर्गा की भव्य मूर्ति स्थापित की जाती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है।

● मां दुर्गा की मूर्ति के लिए ये 4 चीजें हैं बेहद जरूरी

इतना ही नहीं, अगर मां दुर्गा की मूर्ति बनाते समय वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग नहीं किया गया तो मूर्ति पूर्ण नहीं मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा की संपूर्ण प्रतिमा बनाने के लिए कई सामग्रियों की आवश्यकता होती है। लेकिन ये चार चीजें बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो इस प्रकार हैं- गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी। मूर्तियाँ बनाने में इन सामग्रियों का उपयोग करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन वेश्याओं के आँगन की मिट्टी का उपयोग मूर्तियाँ बनाने में क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके बारे में...

• माँ दुर्गा की मूर्ति

वेश्यालय की मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाने से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के लिए जा रही थीं। तभी उसे घाट पर एक कोढ़ी बैठा हुआ दिखाई दिया। वह बीमार लोगों से गंगा स्नान करने के लिए कह रहे थे। लेकिन आये हुए लोगों में किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी। इसके बाद वेश्याओं ने रोगी को गंगा में स्नान कराया। वह कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव ही कोढ़ी थे। शिवजी वेश्याओं से प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब वेश्याओं ने कहा, हमारे आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा नहीं बन सकती। शिवाजी ने वेश्याओं को यह वरदान दिया था और तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

वेश्यालय के आंगन से मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के बारे में एक और मान्यता है कि सबसे पहले मंदिर का पुजारी वेश्यालय के बाहर जाता था और वेश्याओं को अपने आंगन से मिट्टी लाने के लिए कहता था और उसके बाद मंदिर के लिए मूर्ति बनाई जाती थी। धीरे-धीरे यह परंपरा बढ़ती गई और दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की मूर्तियां इसी मिट्टी से बनाई जाने लगीं।

दूसरी मान्यता यह है कि जब कोई व्यक्ति वेश्यालय जाता है तो अपने पुण्य कर्म और पवित्रता दरवाजे पर ही छोड़ जाता है। इसलिए उनके आंगन की मिट्टी पवित्र मानी जाती है। यही कारण है कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

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