नाराज ममता बनर्जी बोलीं- मेरा माइक बंद कर दिया गया..



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

नीति आयोग की जिस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे उसमें ममता बनर्जी को अपनी बात कहने से रोका गया। उनकी बात पूरी भी नहीं हुई और माइक बंद कर दिया गया। इसके बाद वे बीच बैठक से ही बाहर आ गईं। राहुल गांधी ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार यह बताया है कि संसद में विपक्ष के सांसदों का माइक बंद कर दिया जाता है। क्या अब प्रधानमंत्री के साथ आधिकारिक बैठक में मुख्यमंत्री का भी माइक बंद कर दिया जाने लगेगा?

ऐसा क्या हुआ कि दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में पहुंचीं ममता बनर्जी खफा हो गई और बैठक को बीच में छोड़कर ही बाहर निकल आईं। जब कि इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों से अलग रुख अपनाकर ममता नीति आयोग की बैठक में शामिल होने दिल्ली आई थीं। आयोग की रुख से ममता इतनी बुरी तरह खफा थीं। उन्होंने कहा आगे फिर कभी वह इस बैठक में शामिल नहीं होंगी। पूरा मामला उनका माइक बंद करने से जुड़ा है। राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में हो रही बैठक से निकलने के बाद ममता बनर्जी ने कहा, "मैंने बैठक का बहिष्कार किया है।" ममता बनर्जी का आरोप है कि उनको 5 मिनट से ज्यादा बोलने ही नहीं दिया गया। जबकि उनसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक अपनी बात रखी। लेकिन जब उनकी बारी आई तो उनको बोलने से ही रोक दिया गया। सीएम ममता बनर्जी ने कहा, "मैं बोल रही थी, मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं। विपक्ष से केवल मैं ही वहां हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं...यह न केवल बंगाल का बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है।"

पत्रकारों से बात करते हुए बनर्जी ने कहा कि उन्होंने देखा कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम और गोवा के मुख्यमंत्रियों को 10-12 मिनट बोलने दिया गया, लेकिन उन्हें पांच मिनट में ही रोक दिया गया। मैंने कहा कि आपने हमें बजट में वंचित रखा है और बंगाल के लिए सभी विकास योजनाओं को रोक दिया है। पिछले तीन सालों से बंगाल में 100 दिन का काम बंद है, प्रधानमंत्री आवास योजना बंद है...खाद्य सब्सिडी सहित सब कुछ बंद है। हमें पिछले साल तक केंद्र सरकार के फंड में 1.71 लाख करोड़ रुपये मिलने थे। इस बजट में भी हमें कुछ नहीं मिला, सिर्फ शून्य। मैंने बस इतना ही कहा और उन्होंने मेरा माइक बंद कर दिया।

मैंने कहा 'आप भेदभाव क्यों करते हैं? आप मुझे क्यों रोकते हैं? मैं सिर्फ भाग ले रहा हूं, आपको इससे खुश होना चाहिए। इसके बजाय आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को और अधिक अवसर दे रहे हैं। विपक्ष से केवल मैं ही वहां हूं और आप मेरा माइक बंद कर रहे हैं। मैं इस वंचना में विश्वास नहीं करती। इसलिए मैं जा रही हूं।''

ममता बनर्जी ने एक बार फिर से राज्यों के साथ भेदभाव का आरोप केंद्र पर लगाया है। उनका कहना था कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट ही बोलने की अनुमति दी गई। मुझसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट बात की। ममता बनर्जी का कहना था कि जब से नीति आयोग की योजना बनी, मैंने एक भी काम होते नहीं देखा, क्योंकि उसके पास कोई शक्ति नहीं है। पहले योजना आयोग था एक मुख्यमंत्री के तौर पर...उस समय मैंने देखा कि एक व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा बनाए गए नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को बहाल किया जाना चाहिए।

नीति आयोग की इस बैठक का कई विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए बहिष्कार का ऐलान किया है। बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली पंजाब और दिल्ली सरकार शामिल हैं। इसके अलावा कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया।

नीति आयोग की इस बैठक में साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग की शीर्ष निकाय है। इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।

ममता के आरोपों पर सरकार की तरफ से जारी प्रतिक्रिया में उनके दावों को गलत ठहराया है। आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक बंद कर दिया गया। उनके बोलेन का समय खत्म हो चुका था। उनकी बोलने की बारी लंच के बाद आती। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें स्पीकर के रूप में शामिल किया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी वापस लौटना था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी में नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। मोदी जिस काउंसिल के अध्यक्ष हैं, उसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर के साथ-साथ कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।

इसी बीच बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद सस्मित पात्रा ने विपक्षी दलों के नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के निर्णय का समर्थन किया है और केंद्र पर राज्यों को बजट में उनका हिस्सा देने से इनकार करने का आरोप लगाया है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस बैठक में विकसित भारत से जुड़े दृष्टिकोण पत्र पर चर्चा होगी। बयान के मुताबिक, इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन और सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी गौर करने का भरोसा दिया गया था। बैठक में पांच प्रमुख विषयों पेयजल पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण और उत्परिवर्तन पर सिफारिशें की गई थी।

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