'इंडि' गठबंधन में दरकन! अब राहुल का होगा क्या?



--के• विक्रम राव
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

पिछली बार बाप-दादे की सीट अमेठी से राहुल गांधी हारे। पहुंच गए केरल तट के मुस्लिम-बहुल वायनाड (2019 में)। वहां कम्युनिस्ट नेता पीपी सुनीर को हराया। मगर आज बने नए गठबंधन में दरारें पैदा कर दी। नतीजा यह हुआ कि नाराज भाकपा ने अपने आप वरिष्ठतम पार्टी नायिका श्रीमती एनी राजा की उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया। क्या करें राहुल? इस बार भाकपा आराम से वायनाड जीतेगी। राहुल से बदला लेगी। अर्थात भारत जोड़ने निकले राहुल गांधी यूपी से भी नहीं जुड़ पाए। न केरल। कांग्रेस सरकार की वजह से तेलंगाना अथवा कर्नाटक शायद कोशिश करें। बहन को रायबरेली या अमेठी भेज देंगे। मगर खुद की प्रतिष्ठा संजोये रखने के प्रति राहुल बड़े आश्वस्त नहीं दिखते। कारण कि श्रीमती एनी राजा का जनाधार पार्टी और वायनाड में व्यापक है। उनके पति दोराइस्वामी राजा भाकपा सचिव हैं, राज्यसभा के सदस्य भी। वरिष्ठ हैं। अतः उनकी पत्नी का नाम वायनाड से काटना कठिन होगा। तो "इंडि गठबंधन" दरकेगी। भाकपा की पहली सूची में न केवल राहुल को वरन् वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर के खिलाफ भी तिरुवनंतपुरम में पन्नियन रविंद्रन को पार्टी प्रत्याशी नामित कर दिया गया है। अर्थात दो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के समक्ष जोखिम ला दिया है।

अपनी पत्नी के पक्ष में डी. राजा ने कहा था : "वायनाड उन चार सीटों में से एक है, जो सीपीआई को एलडीएफ के भीतर सीट-बंटवारे समझौते के हिस्से के रूप में मिली थी।" राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई उम्मीदवार पीपी सुनीर को हराकर वायनाड सीट छीनी थी।

यह ताजा घटनाक्रम केरल में सीट बंटवारे को लेकर जारी बातचीत के बीच आया है, जहां इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस पर इस बार दो के बजाय तीन सीटें देने का दबाव बना रही है। वह भी वायनाड से चुनाव लड़ना चाहती है, क्योंकि उसके अधिकांश मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं। फिर भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पार्टी के महासचिव डी. राजा की पत्नी एनी राजा को वायनाड से मैदान में उतारा है। ऐसे में यह विपक्षी "इंडि गठबंधन" के लिए अच्छा नहीं रहेगा कि एक प्रमुख नेता की पत्नी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ें?

"इंडि" गठबंधन में शामिल सीपीआई (एम) ने केरल की चार सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। खास बात है कि चार में राहुल गांधी की वायनाड और पार्टी नेता शशि थरूर की तिरुवनंतपुरम सीट भी शामिल है। एक रिपोर्ट के अनुसार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से मौजूदा दो के बजाय तीन सीटें आवंटित करने के दबाव के बीच राहुल वायनाड निर्वाचन क्षेत्र छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। क्षेत्र में अपने पर्याप्त मुस्लिम मतदाता आधार को देखते हुए, आईयूएमएल वायनाड से अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहता है।

जब 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी ने अमेठी से लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी को हराया था तब से राहुल गांधी पांच साल में केवल दो बार अमेठी आए। इन आंकड़ों में नज़र आ रही कांग्रेस पार्टी की कमज़ोरी से सवाल ये उठता है कि गाँधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले अमेठी और रायबरेली से क्या गाँधी परिवार का कोई सदस्य 2024 में सांसद चुना जाएगा या नहीं?

जब राहुल गाँधी 19 फरवरी को अपनी "भारत जोड़ो न्याय यात्रा" लेकर अमेठी पहुंचे तो उन्होंने कहा : "अमेठी आया हूँ, प्यार का रिश्ता है, मोहब्बत का रिश्ता है, इसके लिए आप सब को, दिल से धन्यवाद।" ऐसा ही रिश्ता 2008 में राहुल गांधी ने अमेठी से एक दलित महिला सुनीता कोरी के परिवार से भी बनाया था। तब उन्होंने उनके घर में खाना खाया था और रात उनके परिवार के साथ कच्चे घर में गुज़ारी थी। दुबारा नहीं आए।

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