छत्तीसगढ़ में घोषित आपातकाल



--विजया पाठक (संपादक - जगत विजन),
रायपुर - छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज।

● निष्‍पक्ष खबरें छापने पर पत्रकार सुनील नामदेव को सुबह किया गिरफ्तार

● एयरपोर्ट के माना थाना में बिठाकर किया जा रहा हैं टॉर्चर

कहते है कि सच पराजित नहीं हो सकता पर छत्तीसगढ़ में आजकल सच पराजित हो रहा है। आज सुबह पत्रकार सुनील नामदेव को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया। मामला फैब्रिक्रेट करके उनपर मामला दर्ज किया गया है। उन पर सरकार की छवि खराब करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। आईपीसी की धारा 504, 505 के अंतर्गत बिलासपुर में मामला दर्ज किया गया है। भारी पुलिस दल नामदेव के घर सुबह सुबह गिरफ्तार करने पहुंच गई, साथ में उनकी जेब में कोई पुड़िया रखने की कोशिश भी की गई जिससे उनको आगे और फंसाया जा सके। उनके घर से पत्रकार के अस्त्र जैसे कैमरा, कंप्यूटर, मोबाइल सब बोरे में बंद करके रख लिये। ना तो अभी तक सरकार ने कोई एफआईआर की कॉपी दी है और ना ही एफआईआर के कारण जानकारी दे रही है। बहरहाल छत्तीसगढ़ में सरकार की छवि के बारे में क्या ही बोल सकते है जहां मुख्यमंत्री बेल पर है, उनकी खास सौम्या, सूर्यकांत, अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी समेत आधा दर्जन भ्रष्टाचार के मामलों में अंदर गए है। स्वयं उनके और उनके कुनबे पर कभी भी कार्यवाही हो सकती है ऐसे में आज छत्तीसगढ़ सरकार की छवि सबके सामने है। आज जो दमन, भ्रष्ट्राचार की सरकार छत्तीसगढ़ में चल रही है उसके खिलाफ लिखने का खामियाजा पत्रकार को उठाना पड़ा है। कल ही सुप्रीम कोर्ट में बुरी तरह डांट खाए छत्तीसगढ़ के सचिव और सरकार पर जो टिप्पणी सर्वोच्च अदालत में की उससे सरकार के मुखिया और उनकी चौकड़ी पर गिरफ्तारी की आशंका और भी बढ़ गई। बस इसी संताप में पत्रकार पर कार्यवाही की गई है। सत्ताधारी अहंकार में जरूर मानते है कि वह सच का गला घोंट सकते है तो वो मुगालते में है। चुनाव में सिर्फ 5 महीने बचे है, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को सोचना चाहिए कि जिस मुद्दे पर वो मोदी सरकार का विरोध कर रही है, उसकी सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकतंत्र का गला प्रदेश में घोंट रखा है। छत्तीसगढ़ में घोषित आपातकाल लागू है। जैसे कि सरकार की कारगुजारियां सामने लाने का हश्र आज सुनील नामदेव को चुकाना पड़ा। कम से कम आज सत्य पराजित दिख रहा है पर जल्द ही छत्तीसगढ़ में इस भय-भ्रष्टाचार-दमन के काली रात पर एक नया सवेरा निश्चित होगा। खैर यह मामला निश्चित दिल्ली पहुंचेगा और भूपेश सरकार की कारगुजारियां सबके सामने आएगी। यह पूरी कार्यवाही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बदले की तरह भी देखा जा सकता क्योंकि सुनील जैसे कुछ चुनिंदा पत्रकार है जो निरंतर प्रदेश में भूपेश और उनकी चौकड़ी के बारे में सत्य प्रकाशित कर रहे थे और सरकार की कारगुजारियां सबके सामने ला रहा था। कैसे एक मुख्यमंत्री पत्रकारों के पीछे हाथ धो कर पीछे पड़ा है, छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को मोहब्बत की दुकान खोल देनी चाहिए।

सुनील नामदेव लगातार सरकार के खिलाफ लिखने के लिए जाने जाते है। इसके चलते पुलिसिया कार्यवाही करते मनमाने ढंग से नामदेव को गिरफ्तार किया गया और परिवार के सदस्‍यों को एफआईआर की कोई कॉपी नही दी गई जबकि सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि गिरफ्तार होने के साथ ही एफआईआर की कॉपी देनी होती है। भूपेश सरकार की पुलिस सुनील नामदेव को नॉर्कोटेक्‍स एक्‍ट में फसाना चाहती है। जब नामदेव को गिफ्तार करने पहुंची तब पुलिस वाले जबरजस्‍ती नामदेव की जेब में ड्रग्‍स का पैकेट डाल रहे थे। जब गिरफ्तारी के समय नामदेव चिल्‍ला-चिल्‍ला कर बता रहे थे कि पुलिस वाले मेरी जेब में कुछ डाल रहे है।

• संविधान में मौलिक अधिकार

यद्यपि संविधान के अनुच्छेद 22(1) में उपबंधित है कि गिरफ्तारी के अधीन प्रत्येक व्यक्ति को जितनी शीघ्र हो सके गिरफ्तारी के कारण की सूचना दी जाएगी तथा उन्हें अपने पंसद के वकील से परामर्श करने के अधिकार से वंछित नहीं किया जाएगा तथा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सी.आर.पी.सी.) की धारा 50 में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी से अपेक्षित है कि ‘‘अपराध का पूर्ण विवरण जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया है या ऐसे गिरफ्तारी की किसी अन्य वजह की सूचना तुरंत देगा’’। वास्तव में इन अपेक्षाओं का पालन नहीं किया जाता। इसी तरह, गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय में शीघ्र पेश करना संविधान (अनुच्देद 22(2) तथा सी.आर.पी.सी. (धारा 57) दोनों में अनिवार्य है, का भी सख्ती से पालन नहीं किया जाता।

दिनांक 23 मार्च, 2023 में बघेल ने पत्रकार संघ के सदस्‍यों से मिलकर पत्रकार सुरक्षा कानून पारित करने की बात कही थी और यह कहा था कि हम जो कानून बनायेगे बाकी दूसरे राज्‍य भी पत्रकार सुरक्षा कानून का अनुसरण करेगे। बघेल की यह बात पत्रकारों के बारे में बिलकुल झूठी साबित हो रही है। जिसका उदाहरण सुनील नामदेव की गिरफ्तारी है। भूपेश बघेल को अपनी सरकार जाने का डर सता रहा है इसलिए प्रेस की आजा़दी पर पाबंदी लगा रहे हैं यह अवैधानिक है।

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