--विजया पाठक (संपादक, जगत विजन),
भोपाल - मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
● आखिर कौन है प्रदेश के 2000 करोड़ के नर्सिंग घोटाले और मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में व्याप्त घोटालों का असली मास्टरमाइंड?
● सारंग से नाराजगी के बाद हड़ताल पर पहुंचे थे डॉक्टर्स, मांगे नहीं मानी तो सामूहिक इस्तीाफे की धमकी दी
● चिकित्सात शिक्षा मंत्री विश्वाेस सारंग के घमंड के कारण प्रदेश की लाडली बहना मुन्नीष देवी एवं अन्य की गई जान
मध्यवप्रदेश में चुनाव करीब छ: माह बाद हैं पर इस सरकार में कम से कम 15 मंत्री ऐसे हैं जिनके भ्रष्टा्चार और नकारापन के कारण मध्यवप्रदेश काफी पिछड़ गया है। कल अगर चुनाव हो जाये तो निश्चित ही ऐसे 15 से 20 मंत्री और 50 के ऊपर विधायक 10 हजार वोटो से हार जायेंगे। ऐसे में मैं मध्ययप्रदेश में मंत्रियों का भ्रष्टाीचार सीरिज़ लेकर ऐसे कथित नेताओं का भ्रष्टाेचारी नकाब उजागर करुंगी।
मुख्यरमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास मंत्रियों में गिने जाने वाले चिकित्साच शिक्षा मंत्री विश्वािस सारंग का जैसे-जैसे राजनीतिक कद बढ़ता गया वैसे-वैसे ही इनके अनिमियतताओं के कारनामें भी बढ़ते गये। मंत्री सारंग ने मुख्यशमंत्री का खास होने के पूरे फायदे लिए हैं और अभी भी ले रहे हैं। मनपसंद विभाग लेने के साथ-साथ प्रदेश की राजनीतिक फैसलों में अपनी दखलअंदाजी बढ़ा रहे हैं। जिसे हम भोपाल महापौर मालती राय की टिकट के मामले से समझ सकते हैं। विरासत में मिली राजनीति और बिना जमीनी संघर्ष के इस मुकाम तक पहुंचे सारंग के कारनामों का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। 2020 में कांग्रेस सरकार के पलटते ही विश्वास सारंग को प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ मंत्री का पद मिला। इनके इसी कार्यकाल में प्रदेश का सबसे चर्चित 2000 करोड़ का नर्सिंग घोटाला और मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में व्याप्त घोटालों का मामला सामने आया। मंत्री विश्वास सारंग की चापलूसी और अडि़यल रवैये के कारण ही 50 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। नर्सिंग मामले से जुड़ी पूर्व की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से आवेदन पेश कर कोर्ट को बताया गया था कि मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार सुनीता सिजु के विरुद्ध कार्यवाही नही की गई है एवं विभाग द्वारा लगातार संरक्षण दिया जा रहा है। सत्र 2021-22 में रजिस्ट्रार द्वारा जिन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई थी वह अपात्र थे, याचिकाकर्ता की आपत्ति के बाद हुई निरीक्षण पर उनकी मान्यता भी निरस्त हुई थी पर रजिस्ट्रार पर आज तक कार्यवाही नहीं हुई है।
इसके अलावा कोरोना के समय जिस तरह निजी मेडिकल कॉलेजों को सरकार ने पैसों की बंदरबांट की उसका आज तक कोई ऑडिट सरकार द्वारा नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि मंत्री सारंग ने कोरोना संकट के दौरान रेमडिसीवर इंजेक्शन, अस्पतालों में बेड उपलब्ध कराने संबंधी कई प्रमुख मामलों पर भ्रष्टाचार किया था। कोरोना काल में मंत्री सारंग ने भारी आर्थिक अनिमितताएं की हैं।
• सुनीता शिजु के नाम पर फाड़ दिया बिल, किसके संरक्षण में हुआ है प्रदेश का 2 हजार करोड़ का नर्सिंग एवं मेडिकल घोटाला
मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के घोटाले में अब मंत्री विश्वास सारंग के इशारे पर इस पूरे मामले का बिल नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता शिजु पर फाड़ दिया गया है। सुनीता ने फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के आरोप लगाये। मंत्री सारंग के इशारे पर ही सुनीता को रजिस्ट्रार पद पर योग्य नहीं होने के बाद भी बैठाया गया। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वलविदयालय ने प्रदेश में 2019 में हुए फिजियोथेरेपी की परीक्षा का रिजल्ट 2023 में घोषित हुआ, जिसमें मनमाने तरीके से परीक्षा में छात्रों को फेल किया गया। वहीं कुछ आरटीआई से सच सामने आया कि कॉपियां बगैर चेक करे ही चारों को फेल किया गया। दरअसल बंगलौर स्थित माइंड लॉजिक नाम की कंपनी को परीक्षा कॉपी जांचने एवं रिजल्ट का ठेका मिला। इस कंपनी ने कॉपी बगैर चेक ही अंक दे दिए। इसके साथ बहुत सारी कॉपियां गायब भी मिली थी। सूत्रों द्वारा यह पूरा घोटाला लगभग 2000 करोड़ का है। बड़े पैमाने में हुए चिकित्सा विभाग में घोटालों के कारण प्रदेश के हजारों होनहारों का भविष्य दांव पर लग गया है। इन सबको देखते हुए विभाग के जिम्मेदार मंत्री विश्वास सारंग तो तुरंत इस पद से हटा देना चाहिए।
• मंत्री विश्वास सारंग की अहंकार के कारण प्रदेश में रूठे डॉक्टर
मध्यप्रदेश सरकार और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री के अड़ियल रवैये से नाराज आंदोलन पर उतरे प्रदेश के 15 हजार से अधिक डॉक्टर चार दिन की कामबंदी के बाद वापस काम पर लौट आये हैं। मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले की आंच अभी कम भी नहीं हुई थी कि प्रदेश में एक बार फिर डॉक्टर्स ने आंदोलन सामने आ गया। इस आंदोलन को लेकर प्रदेश के डॉक्टर्स की मांग थी कि केंद्र की तर्ज पर डीएसीपी लागू किया जाये। यही नहीं शासकीय, स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स पिछले कुछ समय से अपनी मांगों को लेकर निरंतर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और प्रदेश सरकार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन जब दोनों ही जगहों से उन्हें निराशा हाथ लगी तो उन्होंने कामबंदी पर उतरने का फैसला किया। हड़ताल पर जाने से अपनी कुर्सी गंवाने का डर विश्वास सारंग को सताने लगा। ऐसे में उन्होंने आनन-फानन में चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों को अपने बंगले पर बुलाया और लगातार बैठककर उन्हें मनाने का प्रयास किया। सूत्रों की मानें तो इस तरह से डॉक्टर्स के अचानक हड़ताल पर जाने की बात से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद नाराज थे। उन्होंने मंत्री सारंग को सीधे तौर पर चेताते हुए शब्दों में कहा कि अगर डॉक्टर्स की हड़ताल जल्दी बंद नहीं हुई तो उनके लिये ठीक नहीं होगा। मुख्यमंत्री की नाराजगी से घबराये सारंग ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को बुलाकर डॉक्टर्स महासंघ के पदाधिकारियों से बात की। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद लौटे वापस। प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग की नाकामी और प्रदेश में बिगड़ते स्वास्थ्य हालात को देखते हुए हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। हाईकोर्ट ने इस पूरे मसले पर हस्तक्षेप करते हुए डॉक्टर्स को जल्द ही काम पर वापस लौटने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर्स काम पर वापस तो लौट आये लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर उनकी मांग नहीं मांगी गई तो वे सभी सामूहिक इस्तीफा सरकार के सामने पेश करेंगे। जैसे-तैसे प्रदेश के इन डॉक्टकरों की हड़ताल खत्म हुई।
• इसलिये खफा है प्रदेश के डॉक्टर्स
मध्यप्रदेश में डॉक्टर तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। उनकी मांगों में निश्चित वेतन ग्रेड देना, पुरानी पेंशन योजना लागू करना, स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग में प्रशासनिक नियुक्ति, आईएएस अधिकारियों की दखलअंदाजी जैसे मुद्दे शामिल थे। अब डॉक्टरों ने हड़ताल तो खत्म कर दी है, लेकिन उनका आंदोलन जारी रहेगा।
• प्रदेशभर में चरमरा गई स्वास्थ्य व्यवस्था, मुन्नी देवी और लाडली बहनों की गई मंत्री के कारण जान
डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में इलाज की तमाम व्यवस्थाएं चरमरा गई। ग्वालियर में समय पर इलाज नहीं मिलने पर एक मरीज की मौत हो गई। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भी दो मरीजों की मौत इलाज के अभाव में हो गई। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने अगर समय रहते हुए डॉक्टर्स की इन मांगों को मान लिया होता या उस पर विचार कर लेते तो आज प्रदेश को यह दिन नहीं देखना पड़ता।
• कैसे बढ़ा सारंग का राजनीति में कद
बात वर्ष 2005 की है, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए शिवराज सिंह चौहान की घोषणा हुई और वो ट्रेन से भोपाल आए तब उनके स्वागत में भाजयुमो में पदाधिकारी सबसे आगे नजर आए। उस समय सारंग भाजयुमो में थे। तब से अब तक जमीनी संघर्ष के बिना विश्वास सारंग को प्रदेश की राजनीति में तरक्की पर तरक्की मिलती गई। विश्वास सारंग दिवंगत भाजपा सांसद और कोषाध्यक्ष रहे कैलाश सारंग के पुत्र हैं। इनके परिवार पर भाजपा से आर्थिक अनियमिताओं के आरोप लगे थे। आज मंत्री सारंग के खिलाफ जो भी लिखता या सामने आता था वो उसे अपने रास्ते से हटाते जाते हैं। एक बार भोपाल के एक प्रतिष्ठित अखबार में विश्वास सारंग के खिलाफ पन्ने भर की खबर प्रकाशित की। पर मालिक की नजदीकी के कारण अगले ही दिन खिलाफ छापने वाले पत्रकार को अखबार में लिखित क्षमा मांगनी पड़ी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन को देखना चाहिए कि कैसे चिकित्सा शिक्षा से भ्रष्टाचार किया गया, कैसे मंत्री के भाई विवेक सारंग प्रदेश के बड़े उद्यमी बन गए। प्रदेश का कैसे लाडली बहना के पैसों को भ्रष्टाचार के माध्यम से लूटा जा रहा है। इसका संज्ञान लेते हुए टिकट देने पर विचार जरूर करना चाहिए।