राहुल गांधी को 2 साल की सजा, मानहानि केस में सूरत कोर्ट ने सुनाया फैसला



--राजीव रंजन नाग,
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को चार साल पुराने एक बयान पर गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत तो दे दी है, लेकिन दो साल की सजा होने की वजह से उनकी लोकसभा सदस्यता पर संकट गहरा गया है। राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती है तो उन्हें अपनी सदस्यता गवांनी पड़ सकती है? राहुल केरल में वायनाड से लोक सभा सदस्य हैं। पार्टी ने कहा कि श्री गांधी को "चुप" करने का प्रयास मदद नहीं करेगा, "हम मामले लड़ेंगे।

पीएम मोदी पर उनके अंतिम नाम को लेकर निशाना साधते हुए-जिसे वह भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के साथ साझा करते हैं - राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा था, "सभी चोरों का एक ही उपनाम “मोदी” कैसे होता है?" यह मामला भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने दायर किया था।

राहुल को मिली सजा के बाद कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर हमलावर है। सजा मिलने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन'। सूरत की कोर्ट से सजा सुनाये जाने के बाद उनका पहला ट्वीट सामने आया है।

कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि आप क्या कहना चाहते हैं तो राहुल गांधी ने कहा, 'मैंने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। मेरा इरादा कभी गलत या किसी को ठेस पहुंचाने का नही...। राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 के तहत - शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान का दोषी करार दिया गया है। कोर्ट ने कहा- हालांकि आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने सतर्क रहने की सलाह दी थी, लेकिन उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है। आरोपी खुद सांसद (संसद सदस्य) हैं और जनता को संबोधित करने का तरीका गंभीर है। इसका बहुत व्यापक प्रभाव है और अपराध में बहुत गंभीरता है। यदि अभियुक्त को कम दण्ड दिया जाता है तो इससे जनता में गलत संदेश भी जाता है और मानहानि का उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा, इसलिए सभी तथ्यों पर विचार करते हुए दोषी को दो साल की सजा सुनाई जाती है।

गुजरात की सूरत कोर्ट ने चार साल पुराने इस मामले में गुरुवार को राहुल को दोषी ठहराया। कार्यवाही के दौरान राहुल गांधी कोर्ट में मौजूद थे। इस दौरान गुजरात कांग्रेस के तमाम बड़े नेता उनके साथ मौजूद देखे गए। राहुल आज ही दिल्ली से सूरत पहुंचे थे।

दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो सकती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं। राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सूरत से दिल्ली वापस आ गए हैं। आक्रोशित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट पर ही जोरदार नारेबाजी की। इस बीच सोनिया गांधी राहुल के निवास पर पहुंच गई हैं। राहुल गांधी ने कोर्ट में जज से कहा, मेरा इरादा गलत नहीं था। राहुल ने कोर्ट में कहा, ''मैंने जो बोला, वो राजनेता के तौर पर बोला। मैं हमेशा देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाता रहा हूं।''

राहुल गांधी के वकील ने बताया उन्हें 30 दिन की जमानत मिल गई है। वे इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जा सकते हैं। सजा सुनाए जाने से पहले राहुल के वकील ने जज से अपील की कि उनके बयान से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। ऐसे में इस मामले में कम से कम सजा सुनाई जाए। जबकि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने इस मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सजा और जुर्माना देने की मांग की।

पूर्णेश मोदी के वकील केतन रेशमवाला ने बताया कि राहुल को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का दोषी पाया गया है। उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई। राहुल की ओर से अपील की गई कि ऊपरी अदालत में जाने तक उन्हें जमानत दी जाए। कोर्ट ने उन्हे ऊपरी कोर्ट में जाने के लिए जमानत दे दी है। कोर्ट ने 30 दिन के लिए सजा सस्पेंड कर दी। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने इस बात को स्वीकार किया है और कहा है कि श्री गांधी तब तक संसद में उपस्थित नहीं होंगे जब तक उनकी अपील नहीं सुनी जाती। फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में उन्होंने महात्मा गांधी को उद्धृत किया। उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया, "मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा ईश्वर है, अहिंसा इसे पाने का साधन है।" कांग्रेस ने सवाल किया है कि अदालत 20 मिनट की सुनवाई के बाद इतनी कड़ी सजा कैसे दे सकती है।

इस बीच ,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हमको मालूम था पहले से ही यह लोग जज को बदलते गए। यह सारी चीजें करते गए हमको तो अंदाजा लग रहा था, लेकिन हम कानून में विश्वास रखने वाले हैं। कानून के तहत लड़ेंगे. अब आगे देखेंगे कानूनी कार्रवाई क्या कर सकते हैं। प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी जी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। सच्चाई की ताकत व करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है।'

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने कहा, कोर्ट ने अपना काम किया है लेकिन कोर्ट के इस काम से हम संतुष्ट नहीं है। राहुल गांधी जी के पास अधिकार है अपील फाइल करने का। राजनीतिक टिप्प्णियां दिन भर होती हैं, मोदी जी करते थे, सब लीडर्स करते हैं। मुझे नहीं लगता की इस तरह सज़ा होनी चाहिए. अगर इस प्रकार से सज़ा होगी तो फिर शायद आधी संसद जेल में रहेगी। सांसदी जानी नहीं चाहिए क्योंकि इस में कोई एथिकल इम्मॉरलिटी नहीं है। सामान्य तौर पर सांसदी उन मामलों में जाती है जब आपका कनविक्शन मॉरल टर्पीट्यूड पर होता है। यह उस तरह का मामला नहीं है।'

अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'ग़ैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुक़दमे करके उन्हें ख़त्म करने की साज़िश हो रही है। हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं मगर गांधी जी को इस तरह मानहानि मुक़दमे में फसाना ठीक नहीं। जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना। हम अदालत का सम्मान करते हैं पर इस निर्णय से असहमत हैं।'

दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं। हालांकि, राहुल गांधी को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।

याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने कोर्ट के बाहर आकर बताया कि हमने राहुल के बयान पर याचिका दाखिल की थी। आज फैसला आया है। इसका हम स्वागत करते हैं। ये सामाजिक आंदोलन था। किसी सामाज के खिलाफ ऐसा बयान नहीं दिया जाना चाहिए।

पूर्णेश मोदी सूरत के अदजान इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह पहली बार गुजरात की तेरहवीं विधान सभा (2013-17) के उपचुनाव में जीत कर सदन में पहुंचे। असल में साल 2013 में वहां के तत्कालीन विधायक किशोर भाई की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इसके बाद जब उपचुनाव हुए तो बीजेपी ने पूर्णेश मोदी को चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की थी।

जन्म तिथि : 22 अक्टूबर 1965
जन्म स्थान : सूरत
वैवाहिक स्थिति: विवाहित
पत्नी का नाम : श्रीमती बीनाबहन
राज्य का नाम : गुजरात

फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया: "गैर-बीजेपी नेताओं को खत्म करने की साजिश रची जा रही है ... हमारे कांग्रेस के साथ मतभेद हैं, लेकिन राहुल गांधी को मानहानि में फंसाना सही नहीं है।" इस तरह का मामला... हम अदालत का सम्मान करते हैं लेकिन फैसले से असहमत हैं।" "विपक्षी नेताओं पर ईडी, आईटी, सीबीआई के छापे लगवाएं, फिर भी बात न बने तो एक जघन्य साजिश के तहत अलग-अलग शहरों में निराधार मुकदमे करवाएं ताकि हेडलाइन मैनेजमेंट में कोई कोर कसर बाकी न रहे। यह गंभीर मामला है।" संविधान, लोकतंत्र, राजनीति और देश के लिए चिंता, “श्री गांधी का नाम लिए बिना राजद के तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया। कांग्रेस के अन्य सहयोगियों - शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने समर्थन व्यक्त करने के लिए राहुल गांधी से बात की है। भाजपा लंबे समय से मांग कर रही थी कि श्री गांधी को संसद से निष्कासित किया जाए। शुरु में यह हिंडनबर्ग-अडानी मुद्दे पर उनकी टिप्पणियों पर था। बाद में उन्होंने मांग की कि उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी टिप्पणियों के लिए बाहर कर दिया जाए, जो कि पार्टी का तर्क था कि यह राष्ट्र-विरोधी है। पिछले हफ्ते, दिल्ली पुलिस ने श्री गांधी से उनके घर पर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनकी टिप्पणी पर पूछताछ की थी कि “महिलाओं का अभी भी यौन उत्पीड़न किया जा रहा है”।

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