भारी विरोध और नोक-झोक के बीच संसद से वक्फ संशोधन बिल पास



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया है, जिसे आज तड़के राज्य सभा ने भी मंजूरी दे दी। उच्च सदन में विधेयक के पक्ष में 128 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि 95 सदस्यों ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया। राज्यसभा में विधेयक पर करीब 12 घंटे तक चर्चा हुई। लोकसभा पहले पहले ही विधेयक को मंजूरी दे चुकी है।

इस विधेयक के पारित होने के बाद कानून को ‘उम्मीद’ (यूनिफाइड वक्फ़ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफिशियंसी एंड डवलपमेंट) अधिनियम के नाम से जाना जायेगा। वक्फ संशोधन विधेयक को अब कानून बनने के लिए केवल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति (एक औपचारिकता) की आवश्यकता है।

वक्फ विधेयक पर दोनों पक्षों की ओर से तीखी नोकझोंक और कटु बयानबाजी के बीच कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने इसे संविधान पर "बेशर्म हमला" बताया और भाजपा पर समाज को "स्थायी ध्रुवीकरण" की स्थिति में रखने का आरोप लगाया। अपनी पार्टी के सांसदों की एक बैठक में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि विधेयक को राज्यसभा के माध्यम से "बुलडोजर" से पारित किया गया है।

राज्यसभा ने वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को गुरुवार (3 अप्रैल) को लंबी चर्चा के बाद 95 के मुकाबले 128 मतों से मंजूरी दे दी। इस विधेयक के बारे में सरकार ने दावा किया कि इसके कारण देश के गरीब और पसमांदा मुसलमानों के साथ इस समुदाय की महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में काफी मदद मिलेगी।

इसी के साथ संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा ने बुधवार (2 अप्रैल) की देर रात करीब दो बजे इसे पारित किया था। वहीं, उच्च सदन ने विपक्ष की ओर से लाए गए कई संशोधनों को खारिज कर दिया। संसद ने आधी रात के बाद भी काम किया, क्योंकि वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को राज्यसभा ने लगभग 2.35 बजे पारित कर दिया, जिसमें 128 वोट पक्ष में और 95 विपक्ष में पड़े। लोकसभा की तुलना में ऊपरी सदन में यह अंतर कम था, जिसमें 3 अप्रैल को लगभग 2 बजे विधेयक पारित हुआ था, जिसमें 288 वोट पक्ष में और 232 विपक्ष में पड़े थे।

गुरुवार (3 अप्रैल) को, कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के विरोध में संसद में काले कपड़े पहने। जबकि तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड) सहित भाजपा के सहयोगियों ने लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी विधेयक का समर्थन किया। विपक्ष में दरार तब उभरी जब बीजद ने विधेयक के खिलाफ बात की, लेकिन यह भी कहा कि उसने व्हिप जारी नहीं किया है और उसके 7 सांसद अपनी अंतरात्मा के अनुसार मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेडेडी की पार्टी वाईएसआरसीपी ने भी विधेयक के खिलाफ बात की, लेकिन अपने सदस्यों को व्हिप जारी नहीं किया। लोकसभा में चर्चा में कोई व्यवधान नहीं आया, लेकिन राज्यसभा में बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के साथ कई व्यवधान देखने को मिले। विपक्षी सदस्यों ने मुसलमानों को “द्वितीय श्रेणी के नागरिक” बनाने के लिए इस विधेयक की आलोचना की। विधेयक को “अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर अतिक्रमण” और भूमि हड़पने का साधन बताया, जबकि सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को ध्यान भटकाने के साधन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। सत्ता पक्ष ने कहा कि यह विधेयक वक्फ निकायों और संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता लाएगा। बहस के अंत में अपने जवाब में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह संपत्ति प्रशासन से संबंधित है।

राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर 13 घंटे से अधिक हुई चर्चा का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 2006 में 4.9 लाख वक्फ़ संपत्ति देश में थीं और इनसे कुल आय मात्र 163 करोड़ रुपये की हुई, वहीं 2013 में बदलाव करने के बाद भी आय महज तीन करोड़ रुपये बढ़ी। उन्होंने कहा कि आज देश में कुल 8.72 लाख वक्फ़ संपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में वक्फ संपत्ति को संभालने वाले मुतवल्ली, उसके प्रशासन और उस पर निगरानी का एक प्रावधान है। रिजिजू ने कहा, “किसी भी तरीके से सरकार वक्फ़ संपत्ति का प्रबंधन नहीं करती और उसमें हस्तक्षेप नहीं करती।”

रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक के जरिये वक्फ मामलों में मुसलमानों के अलावा किसी अन्य का हस्तक्षेप नहीं होगा और इस बारे में जो भी भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं, वे निराधार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जेपीसी की रिपोर्ट के अनुसार विधेयक में कई बदलाव किए हैं इनमें जिलाधिकारी से ऊपर के रैंक का कोई अधिकारी वक्फ घोषित की गयी सरकारी जमीन की जांच करने का सुझाव शामिल है। किरेन रिजिजू ने कहा कि कई विपक्षी सदस्यों ने कहा कि देश में बहुत सारे मुसलमान गरीब हैं। उन्होंने कहा कि देश में अधिकतर समय किसका शासन रहा, यह सभी को मालूम है और उन्होंने मुसलमानों की गरीबी दूर करने के लिए कुछ नहीं किया।

रीजीजू ने कहा कि विधेयक में जिस परमार्थ आयुक्त (चैरिटी कमिश्नर) की व्यवस्था की गई है, उसका काम केवल यह देखना है कि वक्फ़ बोर्ड और उसके तहत आने वाली जमीनों का प्रबंधन ठीक से हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से सरकार और वक्फ़ बोर्ड मस्जिद समेत किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि नए विधेयक में इस्लाम के सभी फिकरों के सदस्यों को वक्फ़ बोर्ड में स्थान दिया जाएगा। सरकार की मंशा इस विधेयक को समावेशी बनाना है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से वक्फ़ बोर्ड के तहत आने वाली संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के कारण देश के गरीब मुसलमानों का कल्याण हो सकेगा और उनके उत्थान में मदद मिलेगी।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन वक्फ़ करना चाहता है तो उसमें विधवा या तलाकशुदा महिला अथवा यतीम बच्चों के अधिकार वाली संपत्ति को वक्फ़ नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत आने वाले स्मारकों या जमीन को वक्फ़ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि आज वक्फ़ से संबंधित 31 हजार से अधिक मामले लंबित हैं इसलिए वक्फ़ न्यायाधिकरण को मजबूत बनाया गया है।

रिजिजू ने कहा कि यदि व्यक्ति को लगता है कि उसे वक्फ़ न्यायाधिकरण में न्याय नहीं मिला है तो वह दीवानी अदालतों में अपील कर सकता है।

22 सदस्यों के केंद्रीय वक्फ़ परिषद में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इसमें तीन संसद सदस्य (सांसद) होंगे, 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय के होंगे, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीश, राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एक अधिवक्ता, विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त चार व्यक्ति, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव भी होंगे। उन्होंने कहा कि इनमें मुस्लिम समुदाय के जो 10 सदस्य होंगे उनमें दो महिलाओं का होना जरूरी है।

रिजिजू के अनुसार राज्य वक्फ़़ बोर्ड में 11 सदस्य होंगे। इनमें तीन से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे जिनमें से एक पदेन सदस्य होगा। बोर्ड में एक अध्यक्ष होगा, एक सांसद, एक विधायक, 4 मुस्लिम समुदाय के सदस्य, पेशेवर अनुभव वाले दो सदस्य, बार काउंसिल का एक सदस्य तथा राज्य सरकार का संयुक्त सचिव शामिल होगा। मुस्लिम समुदाय के चार सदस्यों में से दो महिलाएं होंगी। इसके प्रावधानों के अनुसार वक्फ संस्थाओं की ओर से वक्फ बोर्ड को दिया जाने वाला अनिवार्य योगदान सात प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। एक लाख रुपये से अधिक आय वाले वक्फ संस्थानों को राज्य प्रायोजित आडिट करवाना होगा। यह भी प्रावधान किया गया है कि (कम से कम पांच वर्ष तक का) ‘प्रेक्टिसिंग मुस्लिम’ ही अपनी संपत्ति वक्फ कर पाएगा। विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि संपत्ति को वक्फ को घोषित करने से पहले महिलाओं को उनकी विरासत दी जाएगी और इसमें विधवा, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि जिलाधिकारी से ऊपर के रैंक का कोई अधिकारी वक्फ घोषित की गई सरकारी जमीन की जांच करेगा।

उधर, शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय द्वारा साप्ताहिक नमाज़ के बाद हज़ारों लोग कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद की सड़कों पर एकत्र हुए और इस सप्ताह संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि वह राज्य के मुसलमानों को उनकी ज़मीन नहीं खोने देंगी।

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