प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने की मन की बात में छिंदवाड़ा मॉडल की तारीफ



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

● कमलनाथ की दूरदर्शिता: छिंदवाड़ा से स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर

● कमलनाथ जैसा विजन और मिशन सब नेताओं में हो तो बदल जायेगी देश की तस्‍वीर

● छिंदवाड़ा मॉडल अपनाकर मध्‍यप्रदेश हो सकता है विकसित

छिंदवाड़ा से 24 किमी दूर स्थित ग्राम राजाखोह आज चर्चा में है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इस गांव की महिलाओं के कार्य की सराहना की है। महिलाओं द्वारा महुआ का प्रयोग कुछ ऐसा किया गया कि अब वह इस गांव की पहचान बन गया है। छिंदवाड़ा की चार बहनों ने महुआ के फूलों से कुकीज बनाने की अनूठी पहल शुरू की, जो अब पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है। इस गांव की महिलाओं ने अपने पारंपरिक कार्य को अपनी पहचान ना बनाते हुए कुछ अलग करने की ठानी। पीएम ने राजाखोह गांव की महिलाओं के स्टार्टअप की सराहना की। इन बहिनों को स्‍टार्टअप की प्रेरणा कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल से मिली। क्‍योंकि‍ कमलनाथ के मॉडल में ऐसे ही स्‍टार्टअप की प्रेरणा मिलती है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कुछ फूल मंदिरों की शोभा बढ़ाते हैं, कुछ खुशबू बनकर बिखरते हैं, लेकिन राजाखोह की इन बहनों ने महुआ के फूलों को स्वादिष्ट कुकीज का रूप दिया है। यह पहल पूरे देश में सराही जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल को महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण बताते हुए कहा, अगर कुछ नया करने की जिद हो तो पारंपरिक संसाधनों से भी बड़ा उद्यम खड़ा किया जा सकता है। यह स्टार्टअप इस बात का प्रमाण है कि सही सोच और मेहनत से स्थानीय संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया जा सकता है।

• छिंदवाड़ा में प्रशिक्षण और गांव से शुरूआत

राजाखोह गांव की देवकी चोरे, लता मस्कोले, नीतू अहिरवार और मंजू चौरे सहित कुछ महिलाओं ने महुआ उत्पादक समूह का गठन किया और आदिवासी जीवन शैली से जुड़े व्यंजनों के व्यापार के लिए 5-5 हजार एकत्रित किए। इसी के तहत उन्होंने महुआ के फूल से कुकीज बनाने का फैसला लिया और इस आइडिया से उनका जीवन बदल गया। महिलाओं ने बताया कि इसकी शुरुआत 2023 में हुई। गांव के पटवारी मनोज सिंह ने उन्हें महुआ के फूल से कुकीज बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद बताए गए तरीके से काम करने के लिए सभी ने सीटीसी तामिया में जाकर इसका प्रशिक्षण प्राप्त किया। 07 दिन तक चले इस प्रशिक्षण के बाद उन्होंने कुकीज बनाने का तरीका सीखा। वहीं पर सभी की कला में निखार आया और इस कार्य में दक्षता हासिल की। गायत्री सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर इन महिलाओं ने नया बिजनेस शुरू किया। इन महिलाओं ने देश में पहली बार महुआ के फूल से कुकीज बनाना शुरू किया। ऑनलाइन मार्केटिंग की, दूरदराज के छिंदलाड़ा से महुआ की कुकीज का जायका दिल्ली तक पहुंच गया और मन की बात में महुआ की कुकीज की बात आ गई। गायत्री समूह से जुड़ी देवकी चौरे ने बताया कि पहले ट्रेनिंग ली। इसमें महुआ के ड्रायफूट लड्डू और नान खटाई बनती है। पूरे भारत में ऑनलाइन बेचा जाता है। आदिवासी इलाकों में महुआ अब तक देसी शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होता रहा है। ऐसा पहली बार है कि महुआ के फूलों से कुकीज बनाई जा रही है। महिलाओं ने महुआ के बिजनेस की परिभाषा बदल दी। जिला प्रशासन एनआईसी के जरिए सोशल मीडिया के माध्यम से इनके उत्पादों को प्लेटफॉर्म दिया है। ये महिलाएं प्रदेश की अन्य महिलाओं के लिए मोटिवेशन बन रही है। पीएम मोदी ने महिलाओं की पहल को महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण बताया।

• सीएसआर मद से मिली मदद, फिर काम किया शुरू

समूह की सदस्य देवकी चौरे ने बताया किसी कार्य को अंजाम देने के लिए सबसे आवश्यक होती है पूंजी। लेकिन, महिलाएं घरेलू तौर पर आर्थिक रूप से मजबूत नहीं थी। परंतु एक कंपनी ने सीएसआर के माध्‍यम से सब पर विश्वास जताते हुए समूह के आधार पर मशीन उपलब्ध कराई। इसके बाद हमारी कार्य करने की दक्षता देखते हुए आसपास के गांव की महिलाएं भी इस मुहीम से जुड़ी, जिन्हें इससे रोजगार मिला। इसकी शुरुआत में जब महुआ की आवश्यकता हुई तो आसपास के गांव से महुआ को एकत्रित किया गया। महिलाओं की लगन और उत्पादन को देखते हुए स्थानीय स्तर से जिला स्तर पर बहुत जल्द ही कुकीज की मांग बढ़ गई। सीएसआर से छिंदवाड़ा में कई सेंटर्स चल रहे हैं और युवा, महिलाएं प्रशिक्षित होकर रोजगार से जुड़ रही हैं। कमलनाथ के कारण ही छिंदवाड़ा को सीएसआर का सबसे ज्‍यादा लाभ मिल रहा है।

• कमलनाथ जैसी सोच हो तो हर एक जिले का जिक्र होगा मन की बात में

1980 के दशक में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की राजनीति में प्रवेश किया और एक ऐसा सपना देखा, जो आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने आदिवासियों और आमजन के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस गरीब क्षेत्र को महानगरों की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लिया। आज छिंदवाड़ा में ट्रेनिंग सेंटर, ड्राइविंग स्कूल और युवाओं को प्रेरित करने वाले संस्थान मौजूद हैं, जो क्षेत्र के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का काम कर रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भी छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश के 52 ज़िलों में समृद्धि और विकास में 5वें नंबर पर आता है। जिले की अनुमानित जीडीपी विगत वर्षों में 22,532 करोड़ रुपये रही है। यहीं नहीं साक्षरता और शिक्षा के क्षेत्र में भी ज़िले का प्रदेश में 19वां स्थान है। इन दो बातों ने इस बात पर ध्यान खींचा कि शिक्षा और संपन्नता में अग्रणी इस ज़िले ने ऐसा क्या कमाल किया है, जो आज हम इसके बारे में चर्चा कर रहे हैं। अगर हम छिंदवाड़ा को स्किल कैपिटल ऑफ़ मध्यप्रदेश कहे तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। जिस कमज़ोर नब्ज़ को अभी तक हम टटोल रहे थे छिन्दवाड़ा में वो नब्ज़ ना केवल पकड़ी गई बल्कि बीमारी का इलाज भी शुरू कर दिया गया। वो बीमारी थी युवाओं में बेरोज़गारी, जिसे तुरंत, स्थिर और मज़बूत इलाज की ज़रूरत थी और वो मिला कौशल उन्नयन के माध्यम से। छिन्दवाड़ा में उन्नत किस्म के स्किल सेंटर्स ने आसपास के आदिवासी अंचल के युवाओं के हुनर को समझा और उसे संवारा और उन्हें रोज़गारमूलक प्रशिक्षण देकर उनके जीवन को एक बेहतर दिशा दी। अब हमारे प्रदेश में जिस शिक्षा की जरूरत है वह पारंपरिक शिक्षा नही है। स्किल डेवलपमेंट युवाओं का होना चाहिए। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा के स्किल डेवलपमेंट स्टेचिनिंग मॉडल को अपनाने की जरुरत है। जब आप अपने शहर में उन युवाओं को मौका देंगे जिनका एक्सपोजर उच्चवर्गीय, मध्यमवर्गीय लोगों से कम होता है तो वह युवा भटकाव की तरफ कम जायेंगे। इन युवाओं को कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) से जोड़कर हुनरमंद करके अपने ही माहौल में बसाने की जरुरत है। प्रदेश में मशरूम जैसे कॉलेज एवं विश्वविद्यालय खोल दिए गये हैं, जिनकी शिक्षा युवाओं में रोजगार देने के लायक नहीं है, उस शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है। जब युवकों को शिक्षा और रोज़गार अपने ही शहर में प्रदान की जाएगी, तब ही युवाओं का पलायन एवं भटकाव रूकेगा। उनकी जीवन शैली में परिवर्तन आयेगा। छिन्दवाड़ा का कौशल विकास उन्नयन मॉडल हमारे देश के युवाओं में बढ़ते हुए मानसिक अवसाद और आत्महत्या जैसे मामले को रोकने में भी कारगर हो रहा है। छिन्दवाड़ा को रोल मॉडल बनाने के पीछे एक व्यक्ति की सोच ने काम किया है। वह सोच राजनीति और दलगत पार्टियों से उपर है। और यह नाम है कमलनाथ। छिन्दवाड़ा में कौशल विकास उन्नयन के रोजगारमूलक सेन्टर्स इस बात की गवाही दे रहे हैं। उन्होंने छिन्दवाड़ा के आसपास में 100 किलोमीटर जिसमें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी आता है, वहां युवाओं को रोजगार के मामलों में अपने व्यक्तिगत प्रयास एवं पहचान और मित्रता से छिन्दवाड़ा शहर में युवाओं के लिये रोजगार की अलख जगा दी है। अगर मन में लक्ष्य की चाह हो तो तस्वीर बदली जा सकती है। एक तरफ भारत में स्वच्छता के क्षेत्र में इन्दौर नम्बर 1 है वहीं छिन्दवाड़ा स्किल डवलपमेंट के मामले में नम्बर 1 है। जहां से स्किल पाकर युवा देश भर की नामी कंपनियों में जॉब कर रहे हैं। निश्चित रूप से इस तरह के स्किल सेंटर्स देश के अन्य शहरों में भी स्थापित किये जाने चाहिए। ताकि अधिक से अधिक युवा प्रशिक्षित होकर आत्मनिर्भर बन सकें।

• आज के नेताओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत हैं कमलनाथ

कमलनाथ की दूरदर्शिता आज के युवा नेताओं के लिए एक मिसाल है। हमें 2040 के भारत को एक संपन्न और वैश्विक शक्ति के रूप में देखना चाहिए। मध्यप्रदेश में विकास की अपार संभावनाएं हैं। यहां संसाधन हैं, युवाशक्ति है, और कृषि व उद्योग का विशाल आधार है। हमें एक ऐसी योजना बनानी होगी, जिसमें युवाओं को बेहतर रोजगार मिले, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संसाधन उपलब्ध हों, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, किसानों को आधुनिक खेती की तकनीक सीखने का अवसर मिले। छिंदवाड़ा का विकास इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा में सोच और मेहनत से किसी भी क्षेत्र को बदला जा सकता है। अब हमें स्वर्णिम भारत के साथ-साथ स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर बढ़ना है। यही सच्ची प्रगति और विकास का मार्ग है। आदिवासी समुदाय के लोग इसके महत्व को अच्छे से जानते हैं। देश के कई हिस्सों में महुआ के फूलों की यात्रा अब एक नये रास्ते पर निकल पड़ी है। कमलनाथ ने अपने राजनीतिक जीवन में अपने कार्यों से ऐसी छाप छोड़ी है कि अन्‍य नेता कमलनाथ के सामने बौने साबित हो रहे हैं। वैसे तो देश के विकास में अनेक कार्यों की प्रशंसा होती है लेकिन वाकई में उनकी सोच और लक्ष्‍यों को देखना है तो संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में देखा जा सकता है। छिंदवाड़ा मॉडल पूरे विश्‍व में चर्चित है। उन्‍होंने विकास के साथ-साथ समाजसेवा के भी अनुकरणीय कार्य किये हैं।

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