अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस के अजेंडे से तृणमूल कांग्रेस हुई अलग



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

संसद में उद्योगपति गौतम अडानी मुद्दे पर मुखर कांग्रेस को ममता बनर्जी ने बड़ा झटका दे दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने फ्लोर मैनेजमेंट को लेकर बुलाई गई कांग्रेस की बैठक से खुद को अलग कर लिया है। कहा जा रहा है कि ममता की पार्टी लगातार एक मुद्दे को लेकर मचाए जा रहे हंगामे की वजह से नाराज चल रही है।

टीएमसी ने हाल ही में कांग्रेस से रूख बदलने की गुजारिश की थी। पार्टी का कहना था कि संसद में जनहित के मुद्दे उठाए जाने चाहिए। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब ममता की पार्टी ने कांग्रेस को झटका दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अडानी के मामले में संसद में विरोध की रणनीति पर चर्चा के लिए इंडिया ब्लॉक नेताओं की बैठक बुलाई थी। तृणमूल कांग्रेस ने इस बैठक से दूरी बनाकर साफ संदेश दे दिया है। टीएमसी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह संसद में छह प्रमुख मुद्दे उठाना चाहती है, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, फंड की कमी और मणिपुर में अशांति शामिल है। दूसरी ओर कांग्रेस अडानी मुद्दे पर जोर देना चाहती है। इस गतिरोध के चलते टीएमसी बैठक में शामिल नहीं हुई। टीएमसी ने लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के साथ साझेदारी नहीं की थी। इसलिए पार्टी के नेताओं का मानना है कि वे ऐसे मुद्दे पर जो उनके एजेंडे में टॉप में नहीं है इंडिया ब्लॉक का साथ देने के लिए विवश नहीं हैं।

कांग्रेस मांग कर रही है कि अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग पर चर्चा के लिए सदन में सभी कामकाज स्थगित कर दिया जाए। सोमवार सुबह कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने अडानी मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। वहीं, कांग्रेस सहित कई दलों के सांसदों ने चक्रवात फेंगल से हुए नुकसान, उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा, बांग्लादेश में इस्कॉन के साधुओं को निशाना बनाए जाने और पंजाब में धान की खरीद में देरी जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की है।

हालांकि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अडानी समूह ने कहा है कि गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और वरिष्ठ कार्यकारी विनीत जैन रिश्वतखोरी के आरोपों से मुक्त हैं। गौतम अडानी ने कहा है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब समूह ने इस चुनौती का सामना किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि "हर हमला हमें मजबूत बनाता है"।

तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट संदेश देते हुए कि वह अडानी अभियोग मुद्दे पर संसद को बाधित करने में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ नहीं है। आज कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में इंडिया ब्लॉक नेताओं की बैठक में भाग नहीं लिया। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वह संसद में छह प्रमुख मुद्दे उठाना चाहती है, जिनमें मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, धन की कमी और मणिपुर अशांति शामिल है। "लेकिन कांग्रेस केवल अडानी मुद्दे पर जोर देना चाहती है। इसलिए, तृणमूल आज इंडिया फ्लोर नेताओं की बैठक में शामिल नहीं हुई।"

तृणमूल सूत्र ने यह भी कहा कि यह इंडिया ब्लॉक में एकमात्र पार्टी है जो कांग्रेस की चुनावी भागीदार नहीं है। "इसलिए पार्टी में यह भावना है कि जब हमारे शीर्ष बिंदु एजेंडे में नहीं हैं तो हम इंडिया ब्लॉक में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं हैं।" कांग्रेस मांग कर रही है कि अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग पर चर्चा के लिए सदन में सभी कामकाज को निलंबित कर दिया जाए। आज सुबह भी कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने अडानी मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया। हालांकि, कांग्रेस समेत कई दलों के सांसदों ने चक्रवात फेंगल से हुए नुकसान, उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा, बांग्लादेश में इस्कॉन के भिक्षुओं को निशाना बनाए जाने और पंजाब में धान की खरीद में देरी जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की मांग की है।

अराजकता और बार-बार स्थगन के कारण पिछले कई दिनों से संसदीय कार्यवाही बाधित है। सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होगा। इससे पहले, तृणमूल महासचिव और पार्टी के नंबर 2 नेता अभिषेक बनर्जी ने स्पष्ट किया था कि तृणमूल शीतकालीन सत्र के दौरान बंगाल के मुद्दों को प्राथमिकता देगी। "हमारा रुख बिल्कुल साफ है। हम पहले बंगाल के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। केंद्र ने बंगाल के बकाए को रोक दिया है। हम इन मुद्दों पर संसद में चर्चा चाहते हैं। कांग्रेस से जाकर पूछिए। मैंने कहा है कि हम बंगाल के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। उनका क्या रुख है?"

इससे पहले, तृणमूल की वरिष्ठ सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि पार्टी नहीं चाहती कि संसद बाधित हो। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि संसद चले। हम सिर्फ़ एक मुद्दे पर सदन को बाधित नहीं करना चाहते। हम इस सरकार को कई मामलों में जवाबदेह ठहराएंगे।" तृणमूल ने पहले कहा था कि वह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मणिपुर में चल रही अशांति का मुद्दा उठाएगी और पूर्वोत्तर राज्य में शांति लाने के लिए केंद्र से तत्काल कार्रवाई की मांग करेगी।

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