जहरीली हवाओं की राजधानी बनी दिल्ली



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक या एक्यूआई के 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचने के बाद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं। राजधनी में जहरीली हवाओं के कारण एक खौफ की सी स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्कूल बंद करने पर विचार किया जा रहा है।

अन्य कार्रवाइयों के अलावा सभी गैर-जरूरी निर्माण और विध्वंस कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शुक्रवार सुबह 8 बजे से प्रदूषण शमन स्तर को जीआरएपी-3 तक बढ़ाने का निर्णय लिया। जीआरएपी-3 के प्रभावी होने के दौरान, पुराने उत्सर्जन मानदंड बीएस-III के पेट्रोल वाहन और बीएस-IV श्रेणी के डीजल वाहन दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के कुछ हिस्सों जैसे गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गौतमबुद्ध नगर की सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है।

निर्माण कार्य पर प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कुछ सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के काम के लिए आवश्यक परियोजनाओं पर लागू नहीं होता है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी-3) के तीसरे चरण में धूल को दबाने के लिए अधिक मशीनीकृत सड़क-सफाई और पानी-छिड़काव मशीनों को तैनात करना भी शामिल है। डीजल जनरेटर सेट केवल आपातकालीन उपयोग के लिए प्रतिबंधित रहेंगे।

आज दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि जीआरएपी-3 को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, "पिछले दो दिनों से इस सीजन में पहली बार दिल्ली में एक्यूआई 400 से ऊपर चला गया है। कई लोगों के मन में सवाल है कि 14 अक्टूबर से 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने वाला एक्यूआई अचानक 'गंभीर' श्रेणी में कैसे चला गया।" श्री राय ने कहा, "मौसम विज्ञानियों ने बताया है कि पहाड़ों पर बर्फबारी के कारण दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इसके कारण पूरे उत्तर भारत में सुबह और शाम को शुष्क स्थिति बनी हुई है।"

आज सुबह 9 बजे दिल्ली का एक्यूआई 428 के साथ 'गंभीर' श्रेणी में था। बुधवार को शहर में देश का सबसे खराब एक्यूआई दर्ज किया गया था, जिसमें इस सीजन में पहली बार हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' हो गई थी। डॉक्टरों ने लोगों को जितना हो सके घर के अंदर रहने की सलाह दी है। गंभीर वायु प्रदूषण का प्रभाव केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संज्ञानात्मक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव पड़ता है, जो मूड और भावनात्मक लचीलेपन को प्रभावित करता है। गुरुग्राम के पारस हेल्थ में श्वसन चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अरुणेश कुमार ने कहा कि लोगों को त्योहारों के बाद प्रदूषण के प्रभाव से शरीर की रक्षा के लिए, खासकर सुबह और देर शाम के समय बाहरी गतिविधियों को सीमित करने की आवश्यकता है, जब वायु गुणवत्ता आमतौर पर खराब होती है।

डॉ. कुमार के अनुसार "यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो एन95 मास्क पहनने से हानिकारक कणों को फ़िल्टर करने में मदद मिल सकती है। घर के अंदर, एचईपीए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह पार्टिकुलेट मैटर को काफी कम कर सकता है।"

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