मुंबई की शाम, पुष्पाजी के नाम! व्यास सम्मान समारोह पर!!



--के• विक्रम राव
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

मुंबई में डॉ. पुष्पा भारती को जब व्यास सम्मान से कल (11 फरवरी 2024) नवाजा गया तो कई यादें फिर उकेरी गईं, उकेली भी। ठीक उनकी पुरस्कृत रचना "यादें, यादें, यादें" की भांति। उपलक्ष्य और उपलब्धि में बड़ा तालमेल रहा। जब केके बिडला फाउंडेशन के निदेशक सुरेश रितुपर्ण डॉ. पुष्पा भाभी को प्रदत्त पुरस्कार का घोषणापत्र पढ़ रहे थे तो करतल ध्वनि से साधुवाद देने वालों में समूची महानगरी के बुद्धिकर्मी समुदाय के प्रतिनिधि भरपूर थे। इल्मी भी, फिल्मी भी। मेहमाने खसूसी थे शायर और फिल्म निदेशक गुलजार। जो वक्तागण थे प्रतीत होता था वे सारे ऋषि व्यास के बजाय माँ वाणी के असर में थे। मसलन "टाइम्स आफ इंडिया" में मेरे साथी रहे (अधुना संपादक "नवनीत") भाई विश्वनाथ सचदेव ने डॉ. पुष्पाजी की रचनाशीलता को बड़ा आग्रही बताया। स्व. गणेश मंत्री को मिलाकर हम तीनों "भारती युग" की उपज हैं।

अतुल तिवारी की कमेंटरी का जवाब नहीं था। संस्थायें चौपाल और के. के. फाउंडेशन का विशेष आभार कि हमें यह अवसर दिया। पुष्पाजी सपरिवार आईं थीं। बस कमी खली तो स्व. डॉ. धर्मवीर भारतीजी की। उनके हर्ष का अंदाज लगाया जा सकता है। वे जहां भी हों, प्रमुदित तो हुये होंगे ही।

लखनऊ से मुंबई आना मेरा सार्थक रहा। हिंदी में लिखने हेतु मुझ तेलगुभाषी, अंग्रेजी भाषायी पत्रकार को प्रेरित करनेवाले डॉ. धर्मवीर भारती को सलाम!

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
इ-अखबार - जगत प्रवाह
  India Inside News