--राजीव रंजन नाग,
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनाव में स्थिति लगभग साफ हो चुकी है। नागालैंड में बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को बहुमत मिल चुका है। वहीं त्रिपुरा के रुझानों में भी भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को बहुमत मिल गया है। वहीं मेघालय के रुझानों में कनार्ड सांगमा की एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 32 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार किया है। टिपरा मोथा पार्टी को 13 सीटों पर, इंडिजिनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा को 1 सीट पर, कांग्रेस को 3 सीटों पर और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी( मार्क्सवादी) को 11 सीटों पर जीत मिली है। वहीं सत्तारूढ़ एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने बृहस्पतिवार को 33 सीट जीतकर 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। मेघालय में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। मेघालय की 60 विधानसभा सीट और नगालैंड की 59 विधानसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान हुआ था। जबकि, त्रिपुरा की 60 सीटों के लिए 16 फरवरी को मतदान हुआ था।
ताजा जानकारी के मुताबिक, त्रिपुरा और नगालैंड में सत्ता की तस्वीर साफ हो गई है।
त्रिपुरा में बीजेपी तो नगालैंड में एनडीपीपी (बीजेपी गठबंधन) की सत्ता में वापसी लगभग तय है। लेकिन, मेघालय में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। मेघालय के चुनाव नतीजे एग्जिट पोल की राह पर चलते दिखाई दिए, जिसमें किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) 11 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को पांच-पांच सीटें और भाजपा को दो सीटें मिलती दिख रही हैं।
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को राज्य के चुनावों में बहुमत से कम होने के बाद एक और कार्यकाल हासिल करने में मदद मांगी। उनका अनुरोध बिना देर किए पूरा हो गया। भाजपा आला कमान इसके लिए पहले से तैयार बैठा था।
कोनराड संगमा ने पहले ही संकेत दे दिया था कि चुनाव से पहले टूट गया बीजेपी के साथ उनका गठबंधन जल्द ही वापस आ सकता है। संगमा ने कहा था, "अगर हमें जनादेश का एक अंश भी मिलता है, तो हमें सरकार बनाने के लिए पार्टियों से बात करनी होगी... अगर कोई पार्टी पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय स्तर पर आवाज दे सकती है, तो हम इसके लिए काम कर रहे हैं।"
2018 में, भाजपा ने केवल दो सीटें जीतीं, लेकिन एनपीपी के साथ सरकार बनाने में सफल रही। इस बार, श्री संगमा की पार्टी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर मतभेद के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।
नतीजों और रुझानों को लेकर बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पूर्वोत्तर में शांति और विकास के एजेंडे की सराहना की। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने पहली बार देखा है कि केंद्र ने क्षेत्र में शांति और विकास लाने के लिए कितनी बारीकी और ईमानदारी से काम किया है। चाहे वह राजमार्ग बनाने जैसी बड़ी परियोजनाएं हों या उन्हें पेयजल, मुफ्त राशन और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना हो। उन्होंने कहा कि केंद्र और पूर्वोत्तर के बीच पहले एक व्यापक अंतर था, लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने दूरियों को खत्म कर दिया है।
रिजीजू ने कहा कि त्रिपुरा के लोगों ने देखा है कि कैसे भाजपा ने पुरानी समस्याओं को हल करके उनसे किए गए अपने वादों को पूरा करने के लिए काम किया है। त्रिपुरा चुनाव में पदार्पण करने वाले तत्कालीन शाही प्रद्योत किशोर देबबर्मा के टिपरा मोथा को 12 सीटों पर सफलता मिली है। ऐसा लगता है कि पार्टी, जो ग्रेटर टिपरालैंड के लिए जोर दे रही है, ने आईपीएफटी के जनजातीय समर्थन को पकड़ लिया है। मेघालय में, कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी, जिसने भाजपा के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया, ने इस बार अकेले चुनाव लड़ा और राज्य की 60 में से 26 सीटों पर जीत हांसिल की है।
उसे बहुमत के निशान तक पहुंचने के लिए कम से कम चार और विधायकों की जरूरत है।
उसबीच, पार्टी कार्यालयों में जश्न के माहौल को देखते हुए तीनों राज्यों में सरकार बनाने या सहयोगी की भूमिका में शामिल होने जा रही बीजेपी के पास इसका जवाब है। श्री संगमा की पार्टी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चुनाव से पहले दोनों दल अलग हो गए थे। नागालैंड में, भाजपा और उसके सहयोगी एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) को 37 सीटों पर सफलता मिली है। इसे पिछली बार की तुलना में सात सीटों की बढ़त मिली है। राज्य में एक महिला विधायक भी जीतीं है जो आजादी के बाद पहली बार किसी महिला की जीत हुई है।