देश भी बदल रहा है और राजनीति भी नया स्वरूप ले रही है



--परमानंद पांडेय,
अध्यक्ष - अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास,
राष्ट्रीय संयोजक - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच, उत्तर भारत।

■ मोदी 2014 में आये राष्ट्रीय परिदृश्य पर। भाजपा की तस्वीर बदली और देश की राजनीति का स्वरूप भी बदलने लगा

एक समय था जब भाजपा व्यापारियों और कुछ ऊंचे तबके के लोगों की पार्टी कहलाती थी। किन्तु जबसे मोदी आये स्थितियां परिस्थितियां बदलने लगीं। इन आठ वर्षों में गरीब उपेक्षित दलित महिला सभी भाजपा से जुड़ते चले गए। सबसे अधिक आबादी अति पिछड़ों की है। वह समाज भी भाजपा के समर्थन में खड़ा हो गया।

कोरोना काल में 80 करोड़ जरूरतमंदों को फ्री राशन देकर मोदी ने एक चमत्कार ही कर दिया। आज गांव-गांव में मोदी-मोदी हो रहा है तो इसे चमत्कार से कम नहीं समझना चाहिए।

मोदी आये तो दलित वर्ग से राष्ट्रपति बनवाया। कांग्रेस के जमाने में एक दलित राष्ट्रपति बने थे किन्तु वे बड़े परिवार से थे जिस कारण कोई असर पड़ा नहीं। किन्तु रामनाथ कोविंद जब राष्ट्रपति बने तो लगा सभी में दलित को सम्मान मिला।

इस बार तो एक अति गरीब उपेक्षित महिला आदिवासी को राष्ट्रपति बनवाकर मोदी ने इतिहास बना दिया।

इसीलिए देश बदलता हुआ दिख रहा है। अब तो ऐसी धारणा बनती जा रही है कि जातिगत दीवारें टूटेंगी। विकास की नयी अवधारणा सोचने का ऊंचा स्तर और राष्ट्रीय भावनाओं की तीव्र गति ने देश को एक नया स्वरूप दिया है।

किन्तु इस नयी सोच में हिन्दुत्व सबसे बड़ा फ़ोर्स बन गया है। मोदी के आगमन से पूर्व तक हिन्दुओं के इस देश में हिन्दू पूरी तरह उपेक्षित थे। पर आज हमें महसूस हो रहा है कि हमारा देश है। दुनिया में हिन्दू बड़ी संख्या में विभिन्न देशों में फैले हुए हैं। किन्तु विश्व के पूरे हिन्दू समुदाय को स्पष्ट लगता है कि भारत उन सभी का है और वे भारत को ही अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं।

अब तो हमारे प्रधानमंत्री ने देश की तस्वीर ही बदल डाली है। राष्ट्रवादी हिन्दू जनमानस को मोदी पर पूरा भरोसा हो गया है कि मोदी से चूक हो सकती है पर उनकी नीयत शत प्रतिशत सही है। 2024 आ रहा है। मोदी ही आ रहे हैं।

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