असम,
अरूणाचल प्रदेश,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।
■ ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने भारत में बने पहले डोर्नियर एयरक्राफ्ट की उड़ान को झंडी दिखाकर रवाना किया
केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूर्वोत्तर भारत में हवाई अड्डों और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) को जोड़ने की योजना के तहत मंगलवार को पहली मेड इन इंडिया उड़ान डॉर्नियर डीओ-228 को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस उड़ान का संचालन असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट और आखिर में असम के लीलाबारी के लिए होगा।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, अरुणाचल प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव नरेश कुमार, अरुणाचल प्रदेश सरकार में नागर विमानन मंत्री नाकोप नालो, अरुणाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री गोरुक पोरदुंग, अरुणाचल पूर्व से संसद सदस्य तापीर गाओ, नागर विमानन मंत्रालय सचिव राजीव बंसल, अरुणाचल प्रदेश सरकार में सचिव (नागर विमानन) स्वप्निल नायर, एचएएल के सीएमडी आर माधवन, एएआई चेयरमैन संजीव कुमार, संयुक्त सचिव ऊषा पाधी और नागर विमानन मंत्रालय में संयुक्त सचिव अम्बर दुबे, अलायंस एयर के सीएमडी विक्रम देव दत्त और अरुणाचल प्रदेश, अलायंस एयर, भारतीय वायुसेना तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के कई अन्य अधिकारियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी अलायंस एयर ने भारत में निर्मित डोर्नियर एयरक्राफ्ट के संचालन के लिए रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता किया। इस विमान को हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट कहा गया है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” विजन के तहत आगे बढ़ाई गई है। इसके साथ ही, अलायंस एयर नागरिक संचालन में भारत में निर्मित विमान उड़ाने वाली पहली व्यावसायिक विमानन कंपनी बन गई है।
भारत में निर्मित डीओ-228 की तैनाती चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। पहले चरण में, दो हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट डिब्रूगढ़ में तैनात किए जाएंगे, जो तेजू, पासीघाट और जीरो को जोड़ेंगे। कार्यक्रम के दूसरे चरण में, मेचुका, तूतिंग और विजॉय नगर को जोड़ने की योजना है। आगामी 15 दिनों में विमानन कंपनी तेजू को जोड़ देगी और उसके बाद 30 दिनों के भीतर जीरो के लिए हवाई सेवा शुरू कर दी जाएगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सिंधिया ने कहा, “पिछले 70 वर्ष में, 74 हवाई अड्डे विकसित किए गए थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में पिछले 7 साल में हमने 66 नए हवाई अड्डों का निर्माण किया है और देश में हवाई अड्डों की कुल संख्या 140 हो गई है। पूर्वोत्तर में इससे पहले 9 हवाई अड्डे परिचालन में थे, लेकिन पिछले 7 साल में 15 हवाई अड्डे स्थापित हो चुके हैं।”
पूर्वोत्तर में नागरिक विमानन के विकास की योजनाओं पर बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में छह महीनों के भीतर, 645.63 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ होलोंगी में एक नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का शुभारम्भ किया जाएगा। तेजू में हवाई अड्डे के सुधार के लिए 67 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और काम जारी है। एनईआर में मार्च, 2024 तक हवाई संपर्क और हवाई इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए मंत्रालय ने 500 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन को मंजूरी दी है। 500 करोड़ रुपये में से 227 करोड़ रुपये से अरुणाचल प्रदेश में एएलजी और हवाई संपर्क का विकास किया जाना है, जो कुल बजट का 50 प्रतिशत है। इंफाल में, 499 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ व्यापक सुधार किया जाएगा, जहां एक नया इंटीग्रेटेड टर्मिनल भवन का निर्माण और उससे जुड़े कार्य किए जाएंगे। 438.28 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन से अगरतला हवाई अड्डे पर एक नया एकीकृत टर्मिनल भवन हाल में पूरा कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त अगरतला हवाई अड्डे पर 120 करोड़ रुपये की धनराशि रनवे, टैक्सीवे और एप्रोन के विकास पर व्यय की जाएगी। असम के डिब्रूगढ़ में 55.54 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ हवाई अड्डे के रनवे की री-कारपेटिंग का काम शुरू कर दिया गया है। हवाई अड्डा इन्फ्रास्ट्रक्चर में इन सभी विकास कार्यों के साथ एनईआर में हवाई संपर्क में काफी सुधार होने जा रहा है। इसके अलावा, उड़ान योजना के तहत 18 हवाई पट्टियों, हेलीपोर्ट्स/ हेलीपैड्स, वाटर एयरोड्रम्स का काम भी सौंप दिया गया है और एनईआर में लगभग 182 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ विकास कार्य किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर, भारत सरकार नागर विमानन इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और विकास के लिए पूर्वोत्तर में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।”
उड़ान योजना के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “उड़ान योजना के तहत 415 रूट परिचालन में आ चुके हैं और इससे 91 लाख लोगों को लाभ हुआ है। इस योजना के तहत 1 लाख 75 हजार उड़ानें संचालित हो चुकी हैं।”
एटीएफ (विमानन टरबाइन ईंधन) पर वैट में कटौती के संबंध में, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री पेमा खांडू के साथ वर्चुअल बैठक के बाद अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने एटीएफ पर वैट 20 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया है।”
पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के विकास का न सिर्फ सामरिक महत्व है, बल्कि यह क्षेत्र भारत की विकास की गाथा का एक हिस्सा है। एनईआर में कनेक्टिविटी बहुत आवश्यक है और कई स्थानों पर हवाई परिवहन लोगों तथा कार्गो की आवाजाही के लिए एक जीवनरेखा के समान है। क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) “उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान)” के तहत, नागर विमानन मंत्रालय ने एनईआर की प्राथमिक क्षेत्र के रूप में पहचान की है। इससे एनईआर के भीतर और बाहर संपर्क को बढ़ाने में सहायता मिली है। इस संबंध में, नए हवाई अड्डों का विकास हो रहा है और पुराने हवाई अड्डों का सुधार हो रहा है। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों को देखते हुए, उड़ान योजना के तहत संपर्क के लिए हेलिकॉप्टर संचालन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नागर विमानन मंत्रालय द्वारा किए गए इन व्यापक नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से एनईआर में पर्यटन, रोमांचक खेलों और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।