राजभवन राजस्थान में 17 पुस्तकों का लोकार्पण



जयपुर-राजस्थान,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

आज राजभवन राजस्थान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पं• दीनदयाल दयाल पीठ द्वारा प्रकाशित 17 पुस्तकों का लोकार्पण राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित मदन मोहन मालवीय व पं• दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। राजस्थान राजभवन में इतिहास में पहली बार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलगीत गाया गया। "मधुर मनोहर अतीव सुन्दर यह सर्वविद्या की राजधानी" सुनकर श्रोता गण अभिभूत थे। विश्वविद्यालय के छात्र शुभम मिश्र और विवेक उपाध्याय ने कुलगीत प्रस्तुत किया। महामहिम राज्यपाल का सम्मान किया गया। फिर 17 पुस्तकों का एक एक कर लोकार्पण महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया।

इस अवसर पर पूर्व कुलपति मोहन लाल छीपा, पूर्व राज्य सभा सांसद ओंकार सिंह लखावत, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफेसर वी के शुक्ल उपस्थित थे। पं• दीनदयाल उपाध्याय पीठ के प्रभारी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने पूरे कार्यक्रम को संचालित और सम्पन्न कराया। प्रो• छीपा ने कहा कि पं• दीनदयाल उपाध्याय का राजस्थान से गहरा रिश्ता रहा है। उनका प्रारम्भिक जीवन राजस्थान में ही बीता। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने राजस्थान चैप्टर के रूप में दीनदयाल जी के पुस्तकों का लोकार्पण कर महत्वपूर्ण कार्य किया है।

पूर्व राज्य सभा सदस्य ओंकार सिंह लखावट ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने दीनदयाल जी पर पुस्तकों का प्रकाशन कर यह सिद्ध कर दिया कि उनके विचार को अब सर्वस्वीकृति मिल रही है। उन्होंने कहा कि पं• दीनदयाल जी के विचारों का विस्तार राजस्थान से ही हुआ। उन्होंने कहा कि पं• मदनमोहन मालवीय जी ने जिस काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का निर्माण किया उसमें राजस्थान के राजा महाराजाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिए यह कार्यक्रम इतिहास को स्मृति दीलाने का कार्यक्रम है।

कुलपति प्रो• शुक्ल ने महामहिम राज्यपाल का स्वागत किया। और राजभवन में विश्वविद्यालय का कार्यक्रम सम्पन्न कराने का अवसर प्रदान करने के लिए महामहिम का आभार व्यक्त किया।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दीनदयाल पीठ का राजस्थान राजभवन आ कर 17 पुस्तकों का लोकार्पण करना सुखद आश्चर्य है। इस तरह का कार्य एक चुनौती है जिसे विश्वविद्यालय की टीम बडे ही सहजता से सम्पन्न किया। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी के सानिध्य में रह कर कार्य करने का मुझे मौका मिला है। वे जितने साधारण थे उतने ही विशाल व्यक्तित्व के धनी थे।उनके विचार सर्वकालिक हैं। दीनदयाल जी के सम्पूर्ण विचार भारत की सनातन संस्कृति का निचोड है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी ने मानव मात्र की गरिमा को पुनर्स्थापित करने महत्वपूर्ण दर्शन दिया। एकात्म मानव दर्शन इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पं• दीनदयाल उपाध्याय पर मालवीय जी के सांस्कृतिक और धार्मिक चिन्तन का गहरा प्रभाव पड़ा है।महामहिम ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पं• दीनदयाल पीठ के कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय पीठ के कार्यक्रमों में राजस्थान के बुद्धिजीवी वर्ग सहयोग करेंगे।

इस अवसर पर वाराणसी से गये -- विवेक उपाध्याय, शुभम मिश्र, विकास राज, आकाश कुमार सिंह, प्रो• राजेश कुमार रावत, प्रकाशक राहुल गुप्ता सहित राजस्थान के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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