--विजया पाठक (एडिटर, जगत विजन),
भोपाल-मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
चार दिन पहले सीधी के रामपुर नैकिन क्षेत्र में बाणसागर में गिरी यात्री बस को लेकर अब तक कोई संतोष जनक कार्यवाही होते दिखाई नहीं दे रही है। परिवहन विभाग के मुखिया गोविंद सिंह राजपूत जो दुर्घटना वाले दिन अपने साथी मंत्री के घर भोज का आनंद ले रहे थे उन्होंने कार्य़वाही के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करना शुरू कर दी। सोशल मीडिया से लेकर तमाम चैनलों और अखबारों में 51 लोगों की मौत के जिम्मेदार को सजा दिलाने के बजाय साहब दोपहर भोज के ठहाके लगाते हुए चटकारे ले रहे थे। एक बात सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को भी समझनी चाहिए थी कि जब प्रदेश में इतना बड़ा दर्दनाक हादसा हो गया है, तो फिर इस तरह के किसी भी प्रकार के उत्सव मनाने की क्या आवश्यकता थी। लेकिन उन्होंने भी इस तरह का कोई निर्णय लेना उचित नहीं समझा। गोविंद सिंह राजपूत के इस रवैये को देख स्वयं भाजपा राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नाराज है।
आपको बता दें कि कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद सिंधिया ने अपनी इच्छानुसार परिवहन विभाग की मांग की थी और अंत तक इस पर अडिग रहे। विभाग मिलने के बाद उन्होंने इस पद को गोविंद सिंह राजपूत जैसे लापरवाह व्यक्ति के जिम्में दे दिया, जो न सिर्फ सिंधिया बल्कि भाजपा की मिट्टी पलीत करने में पीछे नहीं हट रहे है। इस दर्दनाक घटना के चार दिन बाद भी दुर्घटना क्षेत्र का दौरा करना उचित नहीं समझा और न ही जिले के आरटीओ व अन्य अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की ठोस योजना बनाई। ऐसे में आखिर सवाल उठता है कि आखिर इन 51 मौतों का जिम्मेदार कौन है?
विपक्ष इस पूरे मसले पर परिवहन मंत्री के इस्तीफे की मांग क्यों नहीं कर रहा है? जनता की सुरक्षा को लेकर इतने संवेदनशील रहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अब तक राजपूत को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, कहीं इसका यह आशय तो नहीं कि मुख्यमंत्री खुद को सिंधिया के दवाब में महसूस कर रहे है।
खेर, बस दुर्घटना वाले मामले में एक नई जानकारी भी सामने आई है, जिले के बस संचालन करने वाले रसूखदारों को जिला परिवहन अधिकारी मनीष त्रिपाठी का संरक्षण प्राप्त था। तभी तो बस संचालक अपनी इच्छानुसार पहले तो 32 सीटर बस में 60 से ज्यादा यात्रियों को चढ़ाए हुए था दूसरा तय परमिट रूट के बजाय दूसरे और जानलेवा रास्ते से बस को निकाल रहा था, जिसके कारण यह दुखद घटना हो गई। जानकारी के अनुसार रीवा आरटीओ मनीष त्रिपाठी को इस बात की जानकारी थी, कि जिले में कई बस संचालक इस तरह से ओवरलोड करके बसे संचालित कर रहे है, लेकिन आरटीओ साहब केवल दबाकर पैसा एकत्रित करने में व्यस्त रहे और उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। यह पूरा खेल आरटीओ और निलंबित परिवहन विभाग के बाबू अनिल खरे अन्नू का मिला-जुला षडयंत्र था, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई।
मुख्यमंत्री को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से रीवा आरटीओ मनीष त्रिपाठी और निलंबित बाबू अनिल खरे अन्नू के खिलाफ पुलिस को निर्देशित करें कि इन दोनों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करें।