दिल्ली,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।
इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ के आह्वान पर लेखकों और कलाकारों ने सिंघु बॉर्डर, दिल्ली पहुंचकर किसान आंदोलन के समर्थन में नए साल के पहले दिन अपनी एकजुटता व्यक्त की। एकजुटता प्रदर्शन में जाने-माने लेखक शिवमूर्ति, पंजाबी के जाने-माने आलोचक लेखक सुखदेव सिंह सिरसा, जाने माने लेखक विभूति नारायण राय, इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश और पंजाबी लेखक सभा के अध्यक्ष दर्शन बुट्टर, इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव दिलीप रघुवंशी, पंजाब इप्टा के अध्यक्ष और महामंत्री संजीवन एवं इंद्रजीत सिंह रूपोवाली, चंडीगढ़ इप्टा के अध्यक्ष एवं महामंत्री बलकार सिद्धू एवं के. एन. एस. सेखों, उत्तराखंड इप्टा के महासचिव सतीश कुमार, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इप्टा राष्ट्रीय समिति के सदस्य विनोद कोष्टी, दिल्ली इप्टा के कोषाध्यक्ष रजनीश श्रीवास्तव, जेएनयू इप्टा के उपाध्यक्ष वर्षा, दिल्ली इप्टा के रमेश, बिहार इप्टा के पदाधिकारी पियूष, एवं देशभर से आये सैकड़ों कलाकारों ने हिस्सेदारी की। कलाकारों ने सिंघु बॉर्डर पर विभिन्न स्थानों पर किसानों के समर्थन के गीत गाये, कवितायें पढ़ीं तथा संयुक्त किसान संघर्ष समिति के मुख्य मंच से अपना समर्थन व्यक्त किया।
लेखक एवं कलाकारों के दल ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर पहुँच कर अपनी एकजुटता व्यक्त की. कलाकारों के अभियान में किसानों व महिलाओं और बच्चों ने भी आगे बढ़कर हिस्सेदारी की। अभियान में शामिल कलाकारों और लेखकों का मानना है कि उन्होंने अपने जीवन में इतना संगठित और इतना अनुशासित प्रतिरोध नहीं देखा। सिंघु बॉर्डर पर लगभग 15 किलोमीटर तक पंजाब हरयाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आये किसानों के तम्बू और ट्रेक्टर ट्रालियों में बने सैलून आकर्षण के केंद्र थे। किसानों के इस प्रतिरोध में एक तरफ नानक की करुणा थी तो दूसरी तरफ भगत सिंह के विचारों की बानगी थी। एक तरफ जहाँ लगातार सूफी संतों के गीत और नानक के शबद गाये जा रहे थे तो दूसरी तरफ क्रन्तिकारी गीतों-नारों का उद्घोष हो रहा था।